स्पीकर ने लॉकडाउन तक अटकाया हेमाराम का इस्तीफा, अब या तो इस्तीफा होगा वापस या रहेगा लंबित

लॉकडाउन खत्म होने के बाद सात दिन की अवधि में पहले सूचना देकर हेमाराम चौधरी को अध्यक्ष के सामने होना है पेश, ई मेल और डाक से भेजा गया हेमाराम का इस्तीफा बिना उनके पेश हुए मंजूर नहीं करेंगे सीपी जोशी

स्पीकर ने लॉकडाउन तक अटकाया हेमाराम का इस्तीफा
स्पीकर ने लॉकडाउन तक अटकाया हेमाराम का इस्तीफा

Politalks.News/Rajasthan. 6 दिन पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के वरिष्ठ नेता और गुड़ामालानी से असंतुष्ट विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे पर लॉकडाउन ने रोक लगा दी है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने हेमाराम चौधरी को लॉकडाउन खत्म होने के बाद व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है. यानी कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद सात दिन की अवधि में पहले सूचना देकर हेमाराम चौधरी को अध्यक्ष के सामने पेश होना है. स्पीकर हेमाराम से उनके डाक और ईमेल से भेजे गए इस्तीफे पर उनकी राय जानेंगे. इससे यह भी साफ हो गया है कि विधानसभा स्पीकर ई मेल और डाक से भेजा गया हेमाराम का इस्तीफा बिना उनके पेश हुए मंजूर नहीं करेंगे.

दरअसल, विधायक हेमाराम चौधरी ने अपना इस्तीफा ई-मेल और डाक के जरिए विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है. हेमाराम ने विधानसभा के प्रक्रिया व कार्य संचालन नियम 173 (3) के प्रावधानों के तहत अपना इस्तीफा भेजा है. इस नियम में प्रावधान यह है कि कोई भी विधायक पद त्याग करना चाहे तो अध्यक्ष को लिखित सूचना देगा और अगर विधायक अध्यक्ष से व्यक्तिगत रूप से मिलकर इस्तीफा देता है तो अध्यक्ष उस इस्तीफे को तुरंत स्वीकार कर सकते हैं. डाक से मिले इस्तीफे पर अध्यक्ष उसकी जांच करने के लिए विधायक को पेश होने के लिए कहते हैं, हांलाकि ऐसी बाध्यता नहीं है, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है.

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ऐसे में अब जो परिस्थितियां बनती हैं, उनमें एक तो यह कि विधानसभा स्पीकर ने हेमाराम चौधरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है और अगर हेमाराम चौधरी लॉकडाउन खत्म होने के बाद अध्यक्ष के सामने पेश होकर इस्तीफा देने की बात दोहराते हैं तो अध्यक्ष को उनका इस्तीफा तुरन्त स्वीकार करना होगा. वहीं अगर हेमाराम चौधरी अध्यक्ष के समक्ष पेश ही नहीं होते हैं तो फैसला अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है. आम तौर पर डाक से भेजा इस्तीफा शायद ही मंजूर हो, ऐसे में अध्यक्ष फैसले को लंबित भी रख सकते हैंं. वहीं अगर हेमाराम चौधरी इस्तीफा वापस भी नहीं लेते हैं और अध्यक्ष के सामने पेश भी नहीं होते हैं तो यह प्रकरण लंबित रहेगा. अध्यक्ष इसे लंबित रख सकते हैं और मौजूदा राजनीतिक हालात में इस्तीफा लंबित रहने के ही आसार ज्यादा हैं.

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