पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना संकट के मध्यनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 5 अहम सुझाव दिए. इससे पहले सोमवार को पीएम मोदी ने सोनिया गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं से फोन पर बात की थी और कोरोना संकट के चलते विपक्षी नेताओं से सुझाव भी मांगे थे. इसी क्रम में सोनिया गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी को यह पत्र लिखा. बता दें कि पिछले 15 दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा पीएम मोदी को लिखा गया ये तीसरा पत्र है. उन्होंने पहला पत्र 25 मार्च और दूसरा पत्र 26 मार्च को लिखा था. पहले पत्र में सोनिया ने बैंक द्वारा उपभोक्ताओं को थोड़ी रिबेट देने और दूसरे पत्र में मनरेगा श्रमिकों को बकाया भुगतान देने का अनुरोध किया था.
मंगलवार को लिखे अपने तीसरे पत्र में सोनिया गांधी ने सरकार को कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए पांच अहम सुझाव दिए हैं. पत्र में केंद्र सरकार से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और नौकरशाहों के विदेश दौरों को स्थगित करने और सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगाने, सेंट्रल दिल्ली में नई संसद और दूसरे भवनों के निर्माण की योजना को टालने, सरकार के खर्चे में 30 फीसदी कटौती करने जैसे सुझाव देते हुए कहा कि ‘पीएम केयर्स’ कोष की राशि को भी प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में हस्तातंरित किया जाए.
कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए कई उपाय सुझाए। इन उपायों में मुख्य रूप से खर्चों में कटौती कर कोरोना से निपटने में उपयोग किये जाने का सुझाव दिया। pic.twitter.com/MvHDxlIbSj
— Congress (@INCIndia) April 7, 2020
सोनिया गांधी ने दिए ये पांच सुझाव
1. सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा टेलीविजन, प्रिंट एवं ऑनलाईन मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगाए. यह पैसा कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट से जूझने में लगाया जाए. कोविड-19 बारे एडवाइजरी या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन को छोड़कर कोई विज्ञापन न जारी किया जाए. केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1,250 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसके अलावा सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली सालाना राशि इससे भी अधिक है. सरकार के इस प्रयास से कोरोना वायरस द्वारा हुए अर्थव्यवस्था व समाज को होने वाले नुकसान की भरपाई में एक बड़ी राशि जुटाने में मदद मिलेगी.
2. 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे सेंट्रल विस्टा, अन्य सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्यों को स्थगित किया जाए. सोनिया ने पत्र में लिखा है कि मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना संपूर्ण कार्य कर सकती है. नई संसद व उसके नए कार्यालयों के निर्माण की आज की आपातकालीन स्थिति में जरूरत नहीं. ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है. इससे बचाई गई राशि का उपयोग नए अस्पतालों में डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण और हेल्थ वर्कर्स को पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्यूपमेंट (पीपीई)पर किया जाना चाहिए.
3. भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी इसी अनुपात में 30 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए. यह 30 प्रतिशत राशि (लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए प्रतिवर्ष) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को सुरक्षा चक्र प्रदान करने के लिए आवंटित की जाए.
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4. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों तथा नौकरशाहों द्वारा की जाने वाली सभी विदेश यात्राओं को स्थगित किया जाए. केवल देशहित के लिए की जाने वाली आपातकालीन एवं अत्यधिक आवश्यक विदेश यात्राओं को ही प्रधानमंत्री द्वारा अनुमति दी जाए. विदेश यात्राओं पर खर्च की जाने वाली यह राशि (जो पिछले पांच सालों में केवल प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए 393 करोड़ रुपए है) कोरोना वायरस से लड़ाई में खर्च की जाए.
5. ‘पीएम केयर्स फंड’ की पूरी राशि को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत फंड’ (PM-NRF) में स्थानांतरित कर दिया जाए. इससे इस राशि के आवंटन एवं खर्चे में एफिशियंसी, पारदर्शिता, जिम्मेदारी तथा ऑडिट सुनिश्चित हो पाएगा. जनता की सेवा के फंड के वितरण के लिए दो अलग-अलग मद बनाना मेहनत व संसाधनों की बर्बादी है. पीएम-एनआरएफ में लगभग 3800 करोड़ रुपए की राशि (वित्तवर्ष 2019 के अंत तक) बिना उपयोग के पड़ी है. यह फंड तथा ‘पीएम-केयर्स’ की राशि को मिलाकर उपयोग में लाकर, समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को तत्काल खाद्य सुरक्षा चक्र प्रदान किया जाए.