सोनिया चाहती थीं राहुल के हिसाब से काम करें सब, लेकिन उनमें नहीं राजनीतिज्ञ वाली बात- बोले आजाद

मैं कांग्रेस के लिए दुआ ही कर सकता हूं लेकिन कांग्रेस मेरी दुआ से ठीक नहीं होगी उसके लिए चाहिए दवा, अभी उसका डॉक्टर कंपाउंडर है, मोदी तो सिर्फ एक बहाना हैं, कांग्रेस लीडरशिप को मुझसे तब से परेशानी है जब से G23 ने पत्र लिखकर आला-कमान को दिए थे सुझाव, वे कभी नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें पत्र लिखे, उनसे सवाल पूछे- गुलाम नबी आजाद

आजाद ने फिर साधा राहुल पर निशाना
आजाद ने फिर साधा राहुल पर निशाना

Politalks.News/GulamNabiAzad. ‘मुझसे कहा जा रहा है कि मैं मोदी से मिला हुआ हूं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मोदी और भाजपा से वो मिले हैं, खुद नरेंद्र मोदी ने भी कही थी कि राहुल गांधी उनके खिलाफ बयानबाजी करते हैं और फिर संसद में गले मिलकर कहते हैं कि हमारा दिल साफ है, तो आप बताइए कि वो लोग मोदी जी से मिले हैं कि मैं मिला हूं…’ ये कहना है 51 साल तक पार्टी के शीर्ष पदों पर रहकर कांग्रेस को अलविदा कहने वाले दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद का. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. आजाद ने अपने 5 पन्नों के पत्र में राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा तो सोनिया गांधी की तारीफ में कसीदे भी गढ़े. लेकिन सोमवार को आजाद ने के बार फिर राहुल गांधी एवं कांग्रेस के कुछ नेताओं पर जमकर निशाना साधा. यही नहीं इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ़ भी की. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘मैं उन्हें बहुत कठोर आदमी समझता था, लेकिन उनमें इंसानियत तो है.’

6 दिन से सोया तक नहीं हूँ चैन से- आजाद
कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को गुलाम नबी आजाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘जब से मैंने इस्तीफे की चिठ्‌ठी लिखना शुरू किया और उसके बाद से अब तक मैं 6 दिन से सोया नहीं हूं. इस पार्टी को मैंने अपने खून से सींचा है. कुछ लोग कह रहे हैं कि मैंने कांग्रेस आलाकमान का अपमान किया है. लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि, सोनिया गांधी के लिए मेरे मन में आज भी वही इज्जत है, जो 30 साल पहले थी. राहुल गांधी के लिए भी वही इज्जत है क्योंकि वे इंदिरा गांधी का परिवार हैं क्योंकि वे राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बेटे हैं. निजी तौर पर मैं उनके लंबे जीवन की कामना करता हूं लेकिन मैं एक बात साफ़ कहना चाहता हूँ कि हमने राहुल गांधी को एक सफल नेता बनाने की कोशिश की, पर वे ही इसके लिए राजी नहीं हुए, बल्कि उन्हें तो हम में ही दोष दिखाई दिया.’

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एक कश्मीरी कैसे हो सकता है भाजपा में शामिल?- आजाद
वहीं गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने उनके बीजेपी के साथ मिले होने के और अब बीजेपी में शामिल होने के आरोप लगाए थे. यही नहीं जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ जाने की भी बात कही गई थी. इन सभी आरोपों का जवाब देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘ये सब मूर्खतापूर्ण बाते हैं. एक कश्मीरी भाजपा में कैसे शामिल हो सकता है? मुझे ऐसे कयासों से घृणा है. मैं अपने कॉलेज के दिनों से इस पार्टी का हिस्सा रहा हूं. मैं कभी बीजेपी में शामिल नहीं होऊंगा. मैं कश्मीर चुनाव के लिए अपनी पार्टी बनाऊंगा.’ वहीं गुलाम नबी आजाद ने ‘आपका रिमोट कंट्रोल भाजपा के हाथ में है’ के सवाल पर कहा कि, ‘घर वालों ने घर छोड़ने पर मजबूर किया और जहां घर वालों को लगे कि यह आदमी नहीं चाहिए तो अकलमंदी खुद घर छोड़ने में है.’

मैं पीएम मोदी को बहुत कठोर समझता था लेकिन उनमें है इंसानियत- आजाद
गुलाम नबी आजाद ने संसद में राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाने वाली घटना का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘मुझसे कहा जा रहा है कि मैं नरेंद्र मोदी और भाजपा से मिला हुआ हूं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मोदी और भाजपा से वो मिले हैं, जिन्होंने उनका सपना पूरा किया है. ये बात तो खुद नरेंद्र मोदी ने भी कही थी कि राहुल गांधी उनके खिलाफ बयानबाजी करते हैं और फिर संसद में गले मिलकर कहते हैं कि हमारा दिल साफ है. तो आप बताइए कि वो लोग मोदी जी से मिले हैं कि मैं मिला हूं.’ पीएम मोदी की तारीफ करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘मैं पीएम मोदी को बहुत कठोर आदमी समझता था, लेकिन उनमें इंसानियत तो है. मुझे लगता था कि उनकी बीवी नहीं है, बच्चे नहीं हैं तो उनको कोई परवाह नहीं होगी, लेकिन ऐसा नहीं है.’

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कांग्रेस को है स्पेशलिस्ट की जरूरत- आजाद
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘मोदी तो सिर्फ एक बहाना हैं, कांग्रेस लीडरशिप को मुझसे तब से परेशानी है जब से G23 ने पत्र लिखकर आला-कमान को सुझाव दिए थे. वे कभी नहीं चाहते थे कि कोई उन्हें पत्र लिखे, उनसे सवाल पूछे. तब से कई कांग्रेस मीटिंग हो चुकीं, लेकिन कभी कोई सुझाव नहीं माना गया. जयराम रमेश अपना DNA चेक करवाएं कि कहां के हैं और किस पार्टी से हैं, वह देखें कि उनका DNA किस-किस पार्टी में रहा है. बाहर के लोगों को कांग्रेस का अता-पता नहीं है. चापलूसी और ट्विट कर जिन्हें पद मिले अगर वे आरोप लगाएं तो हमें दुख होता है. मैं कांग्रेस के लिए दुआ ही कर सकता हूं लेकिन कांग्रेस मेरी दुआ से ठीक नहीं होगी उसके लिए दवा चाहिए. अभी उसका डॉक्टर कंपाउंडर है. अभी कांग्रेस को स्पेशलिस्ट की जरूरत है.

राहुल के ‘चौकीदार चोर है’ नारे पर बड़े नेताओं ने दर्ज कराई थी असहमति- आजाद
गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि, ‘1998 से 2004 के बीच तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं से राय लेती रहीं. उन्होंने मुझे 8 राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी, मैंने उसमें से सात राज्यों में जीत दिलाई. उन्होंने मेरे काम में दखलंदाजी नहीं की. लेकिन जब राहुल गांधी आए, तो 2004 के बाद सोनिया गांधी वरिष्ठ नेताओं की बजाय राहुल गांधी की ही बात मानने लगीं. राहुल के पास राय देने का कोई अनुभव या कला नहीं है, फिर भी सोनिया गांधी चाहती थीं कि सभी नेता राहुल के हिसाब से काम करें. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राहुल गांधी के बीच दरार तब साफ हुई, जब राहुल ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया. किसी वरिष्ठ नेता ने इस नारे का समर्थन नहीं किया. राहुल ने पार्टी मीटिंग में पूछा था कि जिन्हें नारा अच्छा लगा वे हाथ ऊपर उठाएं. तब कई बड़े नेताओं ने इस नारे को लेकर असहमति दर्ज कराई थी. उस बैठक में मनमोहन सिंह, एके एंटनी और पी चिदंबरम भी थे.’

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राजनीतिज्ञ के तौर पर राहुल में नहीं है वो बात- आजाद
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘मैंने अपनी राजनीतिक पढ़ाई इंदिरा गांधी के नेतृत्व में की है. जब मैं जूनियर नेता था, तो वे एमएल फोतेदार और मुझे कहा करती थीं कि हम अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलते रहें. हमें सिखाया गया था कि हमें अपने से बड़ों की इज्जत करनी चाहिए और विपक्ष के नेताओं को उतना ही सम्मान देना चाहिए जितना अपनी पार्टी के नेताओं को देते हैं, लेकिन राहुल की पॉलिसी सिर्फ मोदी पर हमला करने की है. वे हर तरफ से मोदी पर हमलावर रहते हैं. मेरे मन में राहुल गांधी के प्रति कोई निजी द्वेष नहीं है. वे एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन राजनीतिज्ञ के तौर पर उनमें वो बात नहीं है. उनमें हार्डवर्क करने की कुशलता नहीं है.

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