Politalks.News/Punjab. विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पंजाब (Punjab) में दल बदल की राजनीति शुरू कर दी है. विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से पहले बीजेपी में शामिल हुए मनजिंदर सिंह सिरसा (Manjinder Singh Sirsa Join BJP) को बीजेपी की बड़ी जीत माना जा रहा है. बुधवार को ही मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी से इस्तीफा देने के साथ साथ अकाली दल छोड़ने का भी फैसला ले लिया था. सियासी गलियारों में चर्चा है कि किसान आंदोलन के बाद बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को कैप्टन अमरिंदर (Amrinder Singh) के बाद सिरसा के द्वारा भाजपा भुनाने में लगी है. बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि मनजिंदर सिंह सिरसा की सिख समुदाय में अच्छी पैठ है. ऐसे में उनके बीजेपी में शामिल होने से आगामी चुनाव में उन्हें काफी मदद मिलेगी. हालांकि मनजिंदर सिंह सिरसा ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.
अकाली दल के दिग्गज नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा. पार्टी में शामिल होने से पहले सिरसा ने अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की और उनका धन्यवाद किया. इस दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि ‘उत्तर भारत की राजनीति में सिख चेहरों में जो चेहरा सबसे दिमाग में आएगा, वो मनजिंदर सिंह सिरसा का ही आएगा. सिरसा को बीजेपी में शामिल कराते हुए मुझे बेहद ख़ुशी है. भारतीय जनता पार्टी को पंजाब चुनाव में इसका लाभ होगा.’
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वहीं मनजिंदर सिंह सिरसा को पार्टी की सदस्य्ता दिलाने के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ‘आज बीजेपी के लिए शुभ दिन है. मनजिंदर सिंह सिरसा के शामिल होने से पार्टी को पंजाब में बहुत मजबूती मिलेगी. दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ज़िम्मेदारी से मुक्त होकर वे बीजेपी में शामिल हुए हैं.
बीजेपी में शामिल हुए मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मैं सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद करता हूँ. निजी कारणों से मैंने दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. लेकिन मैं यह साफ़ कर दूँ कि देश और दुनिया के सिखों ने मुझे काफी मान बक्शा है, जिसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूँ.’
सिरसा ने कहा कि ‘देश की राजधानी दिल्ली की जनता ने मुझे दो बार विधायक बनाया. भाजपा में शामिल होने का मेरा एक ही मकसद है, 70 सालों से सिखों के जो भी मसले रहे हैं वे सारे मसले आने वाले दिनों में हल होते दिखाई देंगे. ये देश की गौरवमय कौम हैं, इनके सारे मुद्दे हल होने चाहिए.’ हालांकि मनजिंदर सिंह सिरसा ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.
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मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ‘हमेशा से उन्होंने सिख मुद्दों की आवाज को सरकार के सामने रखा है और गृहमंत्री ने कई बार सिखों के सारे मसले हल किए. मैं ये भी कहना चाहता हूँ कि गृहमंत्री ने कई बार सिखों के मसले पर आगे बढ़कर प्रधानमंत्री से भी बात की.’ आपको बता दें कि पंजाब चुनाव से पहले मनजिंदर सिंह सिरसा का अकाली दल से त्यागपत्र देकर भारतीय जनता पार्टी में जाना अकाली दल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली में अकाली दल का चेहरा रहे हैं और कई बार उन्होंने दिल्ली में अकाली दल के टिकट पर चुनाव भी जीता है.
मनजिंदर सिंह सिरसा के सिख समुदाय पर प्रभाव को इस बात से समझा जा सकता है कि 2012 में जब वह गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी के महासचिव बने थे तो उस समय पंजाब चुनाव में अकाली दल ने सत्ता काबिज की थी. ऐसे में बीजेपी सिरसा के सहारे पंजाब की राजनीति में अपनी जमीन को मजबूत करना चाहती है. किसान आंदोलन के बाद से ही भाजपा सिख विरोधी दल होने की धारणा का शिकार रही है. लेकिन अब तो तीनों कृषि कानून भी वापस हो चुके हैं और पार्टी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अब सिरसा का भी साथ मिल चूका है. ऐसे में बीजेपी अब कहीं न कहीं पंजाब विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है.