फोन टैपिंग मुद्दे पर शेखावत ने तोड़ी चुप्पी, गहलोत सरकार पर लगाए आरोप, संजीवनी पर भी किया खुलासा

ऑडियो टेप मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी के पास कैसे पहुंचा इसकी जांच होनी चाहिए, मैं राजस्थान सरकार से पूछना चाहता हूं कि मैं कौन से मुकदमे में अपना वॉयस सैंपल दूं क्योंकि राष्ट्रदोह का जो मुकदमा लगाया गया था वो तो वापस ले लिया गया था, मैं क्या मेरी तीन पीढ़ी का कोई भी व्यक्ति संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी से किसी भी रूप से नहीं जुड़ा रहा

ashok gehlot gajendra singh shekhawat
ashok gehlot gajendra singh shekhawat

Politalks.News/Rajasthan. गहलोत सरकार द्वारा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान फोन टैपिंग मामले में स्वीकारनामे के बाद से इस मामले को लेकर प्रदेश की सियासत गर्माई हुई है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस मामले में सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा और कुछ अनाम पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है. लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद गजेंद्र सिंह इस मामले पर कुछ प्रतिक्रिया देने से बच रहे थे. लेकिन रविवार को अपने गृहक्षेत्र जोधपुर में इस मुद्दे अपनी चुप्पी तोड़ते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा.

गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि हमारी सरकार किसके फोन टैपिंग कर रही है. शेखवात ने आरोप लगाया कि मेरा चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया, ऐसे में निजता पर हमले की जांच होनी चाहिये और इस कारण मैने मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं पहली बार संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी से अपने रिश्तों पर बड़ी बेबाकी से बोलते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने साफ कहा कि मैं किया मेरी तीन पीढ़ी के लोगों तक का संजीवनी से कोई रिश्ता नहीं है.

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मीडिया के सामने पहली बार फोन टैंपिंग को लेकर दर्ज कराए गए मुकदमे के बारे में खुलकर अपना पक्ष रखते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि गत वर्ष देश में छाए कोरोना संकट के बीच राज्य सरकार पर उसी के कुछ लोगों की नाराजगी का ग्रहण लग गया. 45 दिन तक पांच सितारा होटलों में कैद रहने के बाद सरकार वापस लौटी तो मुख्यमंत्री सहित अन्य जिम्मेदार लोगों ने खुलकर कहा कि किसी का फोन टैप नहीं किया गया. अब विधानसभा में सरकार की ओर से कहा गया है कि कानूनी तरीके से कुछ लोगों के फोन टैप किए गए. मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा कि राजस्थान में ऐसी कोई परम्परा नहीं है.

ऑडियो टेप मुख्यमंत्री के ओएसडी के पास कैसे पहुंचा
गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगे कहा आखिर यह बाहर आना जरूरी है कि फोन टैपिंग हुई तो क्या उसमें प्रक्रिया की पालना हुई? अगर पूरी प्रक्रिया से टैपिंग हुई तो होम सेकेट्री की अनुमति के बगैर कैसे हुई? शेखावत ने कहा कि विधानसभा में शांति धारीवाल ने कहा कि सीएम के ओएसडी के पास आया ऑडियो वायरल कर दिया तो क्या हो गया? इससे यह स्पष्ट है कि सरकार के इशारे पर टैपिंग हुई और मुख्यमंत्री के ओएसडी को दी गई. यह टेप मुख्यमंत्री के ओएसडी के पास कैसे पहुंचा इसकी जांच होनी चाहिए. इसके चलते मैने दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज करवाई है जिससे इस प्रकरण की जांच हो सके. राजस्थान की जनता यह जानना चाहती है कि किन-किन चुने हुए जनप्रतिनिधियों की निजता पर हमला किया गया है. शेखावत ने बताया कि दो दिन पहले यह मुकदमा मैने दर्ज करवाया तो इसको लेकर सरकार के कई मंत्रियों ने इस पर बयानबाजी की है.

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विश्वेन्द्र सिंह और भंवरलाल शर्मा का वॉइस सैंपल क्यों नहीं लेते
वहीं कांग्रेस और गहलोत सरकार के मंत्रियों द्वारा उठाए जा रहे वॉइस सैंपल के मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से बोलते हुए गजेंद्र सिंह शेखवात ने कहा कि, ‘मैं राजस्थान सरकार से पूछना चाहता हूं कि मैं कौन से मुकदमे में अपना वॉयस सैंपल दूं, क्योंकि केंद्रीय मंत्री के खिलाफ राष्ट्रद्रोह की धाराओं में जो मुकदमा दर्ज किया गया था, वह तो दर्ज करवाने के आठ दिन बाद ही वापस ले लिया गया था. जब मुकदमा ही नहीं है तो किस मामले में मेरा वॉयस सैंपल मांग रहे हैं. देश में ऐसा पहली बार हुआ कि एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ राष्ट्रद्रोह के मामले में केस दर्ज किया गया और दस दिन बाद ही जब सरकार का ज्ञान जगा तो वापस ले लिया और अब उसमें ही अब वॉयस सैंपल मांग रहे हैं.’ शेखावत ने कहा जिस टेप को लेकर दावा किया जा रहा है कि उसमें विश्वेेंद्रसिंह व भंवरलाल शर्मा की आवाज है तो वो तो आज मुख्यमंत्री गहलोत के साथ बैठ कर कॉफी की चुस्कियां ले रहे हैं, उनका सैंपल क्यों नहीं लेते हैं. शेखावत ने कहा कि जनता के सामने सच आना चाहिये कि आखिरकार इस मामले में क्या हुआ, इस कारण मैने मामला दर्ज कराया है.

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मैं क्या मेरी तीन पीढ़ी मेरी तीन पीढ़ी में इस संस्था से किसी भी रूप में कोई नाता नहीं
इसके साथ ही लम्बे समय से चले आ रहे संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी से उनके रिश्तों के बारे में उठ रहे सवालों पर भी रविवार को गजेंद्र सिंह शेखावत ने पहली बार खुलकर जवाब दिया. शेखावत ने कहा कि मैं क्या मेरी तीन पीढ़ी का कोई भी व्यक्ति इस संस्था से किसी भी रूप से नहीं जुड़ा रहा. मैने अपनी हिस्सेदारी ओपन मार्केट में बेची, जिसे इस संस्था के कुछ लोगों ने भी खरीदी. इसके बाद उन्होंने लीगल तरीके से उन्होंने मुझे इसका भुगतान किया है. वहीं सरकार का टैक्स अदा करने के बाद मैंने इस राशि का उपयोग मेरी उधारी चुकाने में किया. शेखावत ने कहा मैंने इसमें कोई गलत काम नहीं किया, संस्था के लोगों ने किया क्या और यह जांच का विषय है.

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