लेबर कमिश्नर पद पर बैठे डाक सेवा के रिश्वतखोर अधिकारी के सत्ता में बड़े नेता से निकटता की चर्चाएं तेज

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में राज्य में करप्शन नीचे से लेकर ऊपर तक नशों में चला गया है- पूनियां, सवाल ये है कि भारतीय डाक सेवा 2011 बैच के अफसर प्रतीक झाझड़िया को किसकी सिफारिश पर राजस्थान में लेबर कमिश्नर के पद पर प्रति नियुक्ति पर लगाया?- राजेन्द्र राठौड़

भाजपा ने उठाए गहलोत सरकार पर सवाल
भाजपा ने उठाए गहलोत सरकार पर सवाल

Politalks.News/Rajasthan. बीते शुक्रवार रात को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते श्रम विभाग के लेबर कमिश्नर प्रतीक झांझड़िया को 3 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. रिश्वत की रकम मासिक बंधी के रूप में दलालों के मार्फत श्रम विभाग के अफसरों से वसूली जा रही थी. अब लेबर कमिश्नर प्रतीक झाझड़िया और दो दलालों पर हुई एसीबी की कार्रवाई को लेकर प्रदेश भाजपा ने गहलोत सरकार पर सवाल उठाए हैं. मामले में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार को करप्शन में डूबा हुआ बताया, तो वहीं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पूछा- यह रिश्ता क्या कहलाता है?, बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी.

आपको बता दें, प्रतीक झांझड़िया भारतीय डाक सेवा के अधिकारी है और वे डाक सेवा के पदों पर ही पदस्थापित हो सकते थे. जबकि केंद्र की सेवाओं से जुड़े झांझड़िया राज्य में कांग्रेस सरकार आने के कुछ महीने बाद ही आ गए थे. श्रम आयुक्त का पद आमतौर पर आईएएस अधिकारी को दिया जाता है, न कि भारतीय डाक सेवा के अधिकारी को. लेकिन नियमों को दरकिनार कर प्रतीक झांझड़िया को श्रम आयुक्त बना दिया गया. मामला यहीं नहीं रुका, इसके बाद झांझडिया को राजस्थान स्किल डेवलपमेंट के एमडी पद पर भी बैठाया गया.

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रविवार को भाजपा मुख्यालय पर मीडिया से बातचीत में सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में राज्य में करप्शन नीचे से लेकर ऊपर तक नशों में चला गया है. राज्य में जिस तरीके से करप्शन की लंबी फेहरिस्त बढ़ती जा रही है, जो बहुत ही चिंता का गंभीर विषय है. एसीबी की कार्रवाई सराहनीय है, जो इस तरीके के भ्रष्टाचारी लोगों को पकड़ती है. पूनियां ने कहा कि सरकार जब कमजोर होती है, तो इस तरह की गतिविधियां बढ़ती हैं. किसी भी महकमे को देख लें करप्शन के मामले बढ़ रहे हैं. पूनियां ने कहा मुझे लगता है कि जब सरकार मानसिकता और नीयत कमजोर होती है तो वह साथ नैतिक रूप से कमजोर होती, जिससे भ्रष्टाचार का बोलबाला ज्यादा होता है. पूनियां ने कहा राजस्थान में इस तरीके के दृश्य पहली बार देखने को मिला है कि जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की चर्चा हो रही है, सरकार को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये कोई विशेष कार्ययोजना बनानी चाहिए.

वहीं विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सोशल मीडिया पर गहलोत सरकार को घेरा. राठौड़ ने लिखा कि लूट-खसोट का खुलासा करने के लिए एसीबी को धन्यवाद. सवाल ये है कि भारतीय डाक सेवा 2011 बैच के अफसर प्रतीक झाझड़िया को किसकी सिफारिश पर राजस्थान में लेबर कमिश्नर के पद पर प्रति नियुक्ति पर लगाया ? सत्ता के बेहद करीबी रहे अफसर के मारवाड़ की सत्ता के बड़े नेता के साथ निकटता की चर्चाएं क्यों उठ रही हैं ? कहीं न कहीं, कुछ न कुछ गड़बड़ तो अवश्य है. आखिर इस व्यापक भ्रष्टाचार की गंगोत्री का स्त्रोत कहां से प्रारंभ हुआ ? यह रिश्ता क्या कहलाता है, बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी.

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बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा है कि आखिर राठौड़ ने अपने दो संदेश के माध्यम से कांग्रेस के किस बड़े नेता को घेरने की कोशिश की है. क्योंकि राजेंन्द्र राठौड़ ने प्रतीक के मारवाड़ के सत्ता के बड़े नेता के संपर्क में होने का हवाला दिया है. दरअसल, मारवाड़ में जोधपुर आता है, जहां से सत्ता के सबसे बड़े नेता तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही हैं.

रिश्वतखोरों का काल माने जाने वाले आईपीएस अफसर दिनेश एमएन के नेतृत्व में प्रतीक झांझड़ियां के खिलाफ हुई एसीबी की इस कार्रवाई की भनक गहलोत सरकार तक को नहीं थी, बहुत ही गोपनीय तरीके से इस सारी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. ठीक वैसे ही जैसे वसुंधरा राजे के कार्यकाल में आईएएस अधिकारी सिंघवी के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया गया था, इससे भी खास बात यह है कि तब भी दिनेश एम.एन. ही अधिकारी थे और आज भी दिनेश एम.एन. ही एसीबी के अधिकारी हैं. दोनों बार ही बहुत तरीके से आला अफसरों को ट्रैप किया गया है.

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