राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के नेता इंद्रेश कुमार ने ‘बीजेपी के अहंकार’ वाले बयान पर केवल 24 घंटों बाद ही यू-टर्न ले लिया. एक दिन पहले ही संघ नेता इंद्रेश कुमार ने बीजेपी को अहंकारी बताते हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों के लिए पार्टी को जिम्मेवार बताया था. उन्होंने कहा था कि जिनकी राम के प्रति आस्था नहीं थी, उन्हें 241 (सीट) पर रोक दिया. इंद्रेश कुमार ने अयोध्या से बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह की हार पर भी तंज कसा था. अपने बयान पर सियासी विवाद छिड़ते देख इंद्रेश कुमार ने इस ठीकरा विपक्ष पर फोड़ते हुए कहा कि देश का वातावरण इस समय में बहुत स्पष्ट है. जिन्होंने राम की भक्ति का संकल्प लिया, आज वे सत्ता में हैं. वहीं जिन्होंने राम का विरोध किया, वे सब सत्ता से बाहर हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बन गई है. देश उनके नेतृत्व में दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा. यह विश्वास जन-जन में जागृत हुआ है. यह विश्वास फले-फूले इसकी कामना करते हैं.
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इससे पहले इंद्रेश कुमार के पिछले बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए एनडीए के सहयोगी दल के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा था कि उनको (इंद्रेश कुमार) इसमें खुश रहने दें. राम ने हमें काम करने के लिए बहुमत दिया है.
बीजेपी को अहंकारी बताया था इंद्रेश कुमार ने
जयपुर के कानोता में ‘रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह’ में इंद्रेश कुमार ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए पार्टी को अहंकारी बताया था. संघ की आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए. जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया. उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया. लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी. जिस पार्टी ने (भगवान राम की) भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया.
विपक्ष को भी लिया था आड़े हाथ
आरएसएस नेता ने विपक्ष को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि जिनकी राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया. इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, जिन्होंने राम का विरोध किया, उन्हें बिल्कुल भी शक्ति नहीं दी. उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं दी. सब मिलकर भी नंबर-1 नहीं बने. नंबर-2 पर खड़े रह गए.
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गौरतलब है कि इस तरह के बयानों की शुरुआत मोहन भागवत के एक बयान से शुरू हुई थी. आरएसएस प्रमुख भागवत ने नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी की कार्यशैली पर सवाल उठाया था. उन्होंने इशारों इशारों में बीजेपी के नेताओं को अहंकारी बताया था. साथ ही साथ सत्ताधारी पार्टी और विपक्ष को गरिमा एवं मर्यादा का पालन करने की सलाह दी थी. कांग्रेस नेताओं ने भी आरएसएस के बयानों पर नाराजगी जाहिर की थी.