Indresh Kumar Big Statement: हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कुछ भी सही नहीं चल रहा है. अंदरखाने से खबर आ रही है कि इस बार सीट वितरण में आरएसएस की बजाए केवल नरेंद्र मोदी की चली. इसके चलते आरएसएस ने आम चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. बीजेपी का घटता वोट शेयर और बहुमत से नीचे सिमट जाना इसका सबसे बड़ा परिणाम है. यहां तक की राम मंदिर मुद्दों को चुनावों में ठोक बजाकर उठाने वाली बीजेपी अयोध्या से ही चुनाव हार बैठी. चुनावी नतीजों के बाद अब आरएसएस और बीजेपी के बीच में बनी दरार खुलकर दिखने लगी है. पहले आरएसएस प्रमुख और अब आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने सत्ताधारी बीजेपी को ‘अहंकारी’ और विपक्षी गठबंधन को ‘राम विरोधी’ करार दिया है.
आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार जयपुर के कानोता में ‘रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह’ को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राम सबके साथ न्याय करते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए. जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया. उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया. लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अहंकार के कारण रोक दी. अपने बयान में आरएसएस सदस्य ने किसी किसी पार्टी का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर पक्ष-विपक्ष का संकेत दे रहा है.
अहंकारी हो गयी है बीजेपी
इंद्रेश कुमार ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग राम की पूजा करते हैं उन्हें विनम्र होना चाहिए और जो राम का विरोध करते हैं, भगवान स्वयं उनसे निपटते हैं. लोकतंत्र में रामराज्य का विधान देखिए, जिन्होंने राम की भक्ति की लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वो पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन जो वोट और ताकत मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने उनके अहंकार के कारण रोक दी. जिस पार्टी ने (भगवान राम की) भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया.
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आरएसएस नेता ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिनकी राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया. इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, जिन्होंने राम का विरोध किया, उन्हें बिल्कुल भी शक्ति नहीं दी. उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं दी. सब मिलकर भी नंबर-1 नहीं बने. नंबर-2 पर खड़े रह गए. प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है. सत्य है. बड़ा आनंददायक है.
आरएसएस प्रमुख ने भी लिया था आड़े हाथ
इंद्रेश कुमार की यह टिप्पणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के कुछ दिन बाद आई है. नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था, ‘एक सच्चे ‘सेवक’ में अहंकार नहीं होता और वो गरिमा बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. जो सच्चे सेवक हैं, जिसे वास्तविक सेवक कहा जा सकता है, वो मर्यादा से चलता है. उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है, वो कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिपटा नहीं होता. उसमें अहंकार नहीं आता कि मैंने किया. वही सेवक कहने का अधिकारी रहता है. एक सच्चा ‘सेवक’ गरिमा बनाए रखता है. वो काम करते समय मर्यादा का पालन करता है. उसे यह कहने का अहंकार नहीं है कि ‘मैंने यह काम किया’. सिर्फ उस व्यक्ति को सच्चा ‘सेवक’ कहा जा सकता है.’