राजस्थान की भजनलाल की सरकार को बने डेढ़ महीने से अधिक समय हो चुका है. हालांकि इस बीच मुख्यमंत्री भजनलाल और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की मुलाकात नहीं हो पायी है. भजन लाल के सीएम बनने के बाद वसुंधरा इन दिनों पार्टी से दूर बनाकर बैठी हैं. पार्टी की कई अहम बैठकों में वे नहीं पहुंची. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीजेपी कार्यालय पहुंचे, तब भी राजे वहां से भी नजर नहीं आयी. ऐसे में सियासी बाजार में खबर गर्म थी कि कहीं न कहीं राजे और भजनलाल के बीच मनमुटाव चल रहा है. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह मनभेद पार्टी के लिए सही नहीं है. शायद यही भांपते हुए भजनलाल और वसुंधरा राजे में सुलह की संभावना नजर आ रही है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के डेढ़ महीने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शुक्रवार को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से उनके निवास पर मिलने पहुंचे. आधे घंटे की यह मुलाकात अब दोनों के बीच सुलह और गठबंधन की नयी कवायत गढ़ने जैसी लग रही है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, राजे और भजनलाल की इस मुलाकात के दो मायने हो सकते हैं. पहला- राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं लेकिन पार्टी अभी तक उनकी भूमिका तय नहीं कर पाई है. माना जा रहा है कि राजे की भूमिका उन्हीं से पूछकर तय की जा रही है.
यह भी पढ़ेंः बाबूलाल कटारा निलंबित, वरिष्ठ अध्यापक पेपर लीक मामले में राज्यपाल का बड़ा फैसला
दूसरा – आगामी लोकसभा चुनाव में राजे को नाराज करके पार्टी किसी भी तरह का खतरा मोल लेना नहीं चाहती है. दरअसल पिछले 20 सालों से प्रदेश में बीजेपी का मतलब ही वसुंधरा राजे रहा है. 2003 में मुख्यमंत्री बनने से लेकर 2023 में भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने तक प्रदेश में बीजेपी का केवल एक ही चेहरा रहा है, वो है वसुंधरा राजे. वसुंधरा का कद प्रदेश की राजनीति में जितना बड़ा है, उतना अन्य किसी बीजेपी नेता का नहीं है. ऐसे में भजनलाल पूर्व मुख्यमंत्री से खुद मुलाकात करने पहुंचे हैं. यह भी कम ही देखने को मिलता है कि कोई मुख्यमंत्री किसी पूर्व मुख्यमंत्री के घर पहुंचा हो लेकिन यह केवल राजे को मनाने की कवायत है. हालांकि इस मुलाकात से संबंधित कोई भी बात सामने नहीं आ पायी है लेकिन माना यही जा रहा है कि दोनों की इस मुलाकात से ही बात बनना तय है.
यह भी काबिलेगौर है कि जब पीएम मोदी भाजपा कार्यालय आए, राजे ने पार्टी कार्यालय से दूरी बनायी थी. हालांकि विधानसभा सत्र की कार्यवाही में उन्होंने भाग लेकर सभी को चौंका दिया. बीते गुरुवार को जब पीएम मोदी फिर से जयपुर पधारे थे, तब शायद भजनलाल को इस बात को अंजाम देने केा कहा गया है कि वे राजे से उनकी भूमिका के बारे में पूछें और सियास दूरियों को कम करें. वैसे राजे को जेपी नड्डा की टीम में बरकरार रखा गया है. वे फिलहाल पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रही हैं लेकिन विधायक होने के नाते उन्हें पिछले कुछ महीनों से राजस्थान से दूर रखने की कोशिश की जा रही है. इस सियासी दूरी को मिटाने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी मध्यस्थता की अहम भूमिका निभाई है.
सियासी गणितज्ञों का यह भी मत है कि वसुंधरा राजे अब राजस्थान की जगह केंद्र की राजनीति में सक्रिय किया जाएगा. इसके लिए उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में झालावाड़ सीट से लड़वाया जाने वाला है. इसका कारण यह भी है कि वसुंधरा के रहते भजनलाल खुलकर राजनीति नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि झालावाड़ सीट से राजे के सुपुत्र दुष्यंत सिंह सांसद हैं और इस बार भी झालावाड़ से सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. खैर जो भी हो, लेकिन अभी के लिए तो राजे और भजनलाल के बीच की सियासी दूरियां खत्म होने नजर आने लगी हैं.