रामपुर लोकसभा उपचुनाव परिणाम से होगा आजम की रणनीति का खुलासा, रहेंगे सपा के या होंगे बसपा के?

अगर रामपुर से समाजवादी पार्टी जीतती है तब तो हो सकता है कि आजम खान कुछ दिन और सपा की करें राजनीति लेकिन अगर सपा का उम्मीदवार नहीं जीतता है तो यह तय हो जाएगा कि आजम खान सपा से होंगे अलग, सपा हारी तो जीतेगी बीजेपी, मतलब आजम ने मुकदमों में मिली राहत का कुछ हद तक चुका दिया कर्ज!

सियासत-ए-रामपुर उपचुनाव
सियासत-ए-रामपुर उपचुनाव

Politalks.News/UttarPradesh/Politics. उत्तरप्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर दो लोकसभा सीटों पर 23 जून को होने वाले उपचुनाव को लेकर भाजपा, सपा, और बसपा ने पूरी तरह कमर कस ली है. बात करें रामपुर लोकसभा सीट की तो, यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी में है, क्योंकि बसपा ने रामपुर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. रामपुर लोकसभा का यह उपचुनाव ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान का गढ़ माना जाता है और आजम के सांसद का पद छोड़ने से ही यह सीट खाली हुई है. हाल ही में 27 महीनों बाद जेल से बाहर आए आजम खान और अखिलेश यादव के बीच यूं तो अब सब ठीक हो गया बताते हैं लेकिन सियासी जानकारों की मानें तो आजम खान को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है.

आपको बता दें, आजम खान ने अपनी रामपुर लोकसभा सीट पर अपने परिवार के किसी भी सदस्य को लड़ाने से इनकार कर दिया. हालांकि सपा ने आजम के करीबी आसिम रजा को यहां से मैदान में उतारा है. यही नहीं है ही में आजम खान के दबाव में ही अखिलेश ने कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने का फैसला भी किया, इसके बावजूद कहा जा रहा है कि आजम खान कुछ अलग राजनीति कर सकते हैं. हालांकि इसका फैसला रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव के 26 जून को आने वाले परिणाम के बाद होगा. अगर रामपुर से समाजवादी पार्टी जीतती है तब तो हो सकता है कि आजम खान कुछ दिन और सपा की राजनीति करें लेकिन अगर सपा का उम्मीदवार नहीं जीतता है तो यह तय हो जाएगा कि आजम खान सपा से अलग होंगे. क्योंकि रामपुर से सपा के उम्मीदवार के नहीं जीतने का मतलब ही होगा कि आजम खान ने उसकी जीत के लिए मेहनत नहीं की.

यह भी पढ़े: राज्यसभा की तरह विधान परिषद चुनाव में भी चमत्कार करेंगे फडणवीस या खाएंगे मुंह की? फैसला 20 को

चूंकि रामपुर लोकसभा सीट पर सीधी लड़ाई है, यानी सपा नहीं जीती तो भाजपा के घनश्याम लोधी जीतेंगे और तब यह माना जाएगा कि आजम खान ने मुकदमों से मिली राहत का कर्ज कुछ हद तक चुका दिया. इसके बाद जानकार सूत्रों का कहना है कि आजम खान बहुजन समाज पार्टी में जा सकते हैं. बसपा के नेता काफी समय से आजम को न्योता दे रहे हैं. क्योंकि आजम खान और उनका परिवार जान रहा है कि अब पहले ही तरह सपा के साथ रह कर भाजपा के खिलाफ आक्रामक राजनीति नहीं की जा सकती है. हाल ही में आजम 27 महीने जेल में रहकर आए हैं और उनको पता है कि भाजपा की नाराजगी उनके लिए भारी पड़ेगी. सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार 2027 तक रहने वाली है.

यह भी पढ़े: ‘…जो भाजपा और मोदी सरकार का विरोध करेगा, उसकी आवाज को मसल देंगे, कुचल देंगे’- पायलट

इन सबके अलावा एक फैक्टर यह भी है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव आजकल अलग ही राजनीति कर रहे हैं. ऐसे में शिवपाल की राजनीति भी सपा को नुकसान पहुंचाने वाली है. विशेष सूत्रों की मानें तो बसपा और आजम खान के बीच कड़ी का काम शिवपाल यादव ही कर रहे हैं. यहां आपको याद दिला दें, आजम खान की जेल से रिहाई के समय शिवपाल उनको रिसीव करने गए थे. बहरहाल, जो हो 26 जून के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा बदलाव हो सकता है.

Leave a Reply