राज्यसभा का दंगल कल: सियासी घमासान के बीच 18 सीटों के लिए सभी सातों राज्यों में हुई बाड़ाबंदी

19 जून को होंगे 7 राज्यों की 18 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव, कोविड 19 को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग से होंगे चुनाव, निर्वाचन आयोग ने की तैयारियां पूरी, चुनाव के बाद राज्यसभा में बदल जाएगा संख्या बल, 10 राज्यों में 37 सीटों पर निर्विरोध घोषित हो चुके हैं नए राज्यसभा सांसद

Rajyasabha Election 2020
Rajyasabha Election 2020

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो/राज्यसभा चुनाव. राज्य सभा की 10 राज्यों की 18 सीटों के लिए 19 जून यानि कल होने वाले चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है. पहले यह चुनाव मार्च में होने थे, लेकिन कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन के चलते चुनाव को टाल दिया गया था. इस साल फरवरी महीने में निर्वाचन आयोग ने आयोग ने 17 राज्यों में राज्यसभा की खाली हुई 55 सीटों को भरने के लिए चुनावों की घोषणा की थी. इनमें 10 राज्यों की 37 सीटें निर्विरोध भरी जा चुकी हैं.गईं.

अब 7 राज्यों की 18 सीटों पर होगा चुनाव

19 जून को कुल 18 सीटों के लिए चुनाव होंगे. इनमें आंध्र प्रदेश और गुजरात की 4-4 सीटें, मध्य प्रदेश और राजस्थान की तीन-तीन सीटें, झारखंड की दो और पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय और मणिपुर की एक-एक सीट हैं. मतदान 19 जून को सुबह 9 बजे शुरू होगा.

37 सीटों पर हुआ निर्विरोध निर्वाचन

महाराष्ट्र की सात, तमिलनाडु की छह, बिहार और पश्चिम बंगाल की पांच-पांच, ओडिशा की चार, असम की तीन, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश की दो-दो सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ था. इन सभी सीटों के लिए प्रत्येक पर केवल एक ही नामांकन दाखिल हुआ था. इसी के चलते उक्त सभी सीटों पर चुनाव कराने की आवश्यकता नहीं हुई.

इस साल कुल 73 सीटों पर होने हैं चुनाव

राज्यसभा में इस साल कुल 73 सीटों के खाली होने के कारण चुनाव कराए जाने थे. अप्रैल में जहां 51 सीट खाली हुई थीं, वहीं चार सीट पहले से खाली चल रही हैं. इनमें से 37 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है. जून में पांच, जुलाई में एक और नवंबर में 11 सीटें खाली होंगी. इस साल बीजेपी के 18 तथा कांग्रेस के 17 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

यह भी पढ़ें: राज्यसभा चुनाव से पहले विधायकों का पार्टी ऑफिस में जमावड़ा, आज होगा मॉकपोल

क्या है राज्यसभा का गणित

इस वक्त राज्यसभा में 224 सांसद हैं. अभी सदन में एनडीए के पास कुल 91 सांसद हैं. यूपीए के पास कुल 61 सांसद हैं जिनमें से कांग्रेस के 39 सदस्य हैं. गैर-एनडीए और गैर यूपीए सांसदों की संख्या 68 है. 19 जून के चुनाव के बाद बीजेपी के नौ सांसद और बढ़ जाएंगे जबकि कांग्रेस के 2 घट जाएंगे. यानी बीजेपी के सांसद 75 से बढ़कर 84 हो जाएंगे और कांग्रेस सांसदों की संख्या 39 से 37 सांसदों पर आ जाएगी.

गुजरात में चार सीटों के लिए चल रहा जोड़-तोड़

गुजरात में चार सीटों के लिए चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले कांग्रेस के 8 विधायकों ने इस्तीफा देकर कांग्रेस का सारा गणित बिगाड़ दिया. 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में बीजेपी के पास 103 विधायक हैं. राज्यसभा के एक प्रत्याशी को जीतने के लिए 34 वोटों की जरूरत है. बीजेपी ने अभय भारद्वाज, रामीलाबेन बारा तथा नरहरि अमीन को प्रत्याशी बनाया है. 8 विधायकों के इस्तीफे देने के बाद कांग्रेस सदस्यों की संख्या 73 से घटकर 65 हो जाने के बाद पार्टी को दो राज्यसभा सीटें जीतने में मुश्किल खड़ी हो गई है. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता भरत सिंह सोलंकी और शक्तिसिंह गोहिल को मैदान में उतारा है.

केवल एक विधायक की कमी से गंवाएगी एक सीट

कांग्रेस के पास पर्याप्त विधायक संख्या होने के बावजूद वो बीजेपी के चक्रव्यूह में फंसी हुई है. गुजरात में कांग्रेस को केवल एक विधायक की कमी की कारण एक राज्यसभा सीट गंवानी पड़ सकती है. गुजरात में चार सीटों के लिए पांच उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने दो और बीजेपी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं. अगर कांग्रेस के विधायकों ने इस्तीफे नहीं दिए होते तो पार्टी आसानी से दो सीटों पर जीत जाती.

यह भी पढ़ें: गुजरात कांग्रेस के पॉलिटिकल टूरिज्म पर राठौड़ ने लगाए लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप

इस वक्त राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 65 विधायक हैं. राज्य में पार्टी को भारतीय ट्राइबल पार्टी और एनसीपी के एक-एक विधायक और निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी के वोट की उम्मीद है. इस तरह उसके पास 68 विधायक हो सकते हैं. इनके समर्थन के बावजूद पार्टी को दो सीटें जीतने के लिए एक वोट की कमी पड़ रही है. कांग्रेस नेता पूरी कोशिश कर रहे हैं कि 2017 की तरह इस बार भी चुनावी जंग जीत लें, लेकिन इस बार राह आसान नजर नहीं आ रही.

इस बार के चुनाव में गांधी परिवार के करीबी और पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल की सिफारिश पर शक्ति सिंह गोविल और भरत सोलंकी को मैदान में उतारा गया है लेकिन पार्टी के कई विधायक इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. इसी कारण पिछले तीन माह में 8 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. दूसरी तरफ बीजेपी ने मौके का फायदा उठाकर अपना तीसरा उम्मीदवार भी मैदान में उतार दिया. एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए 34 विधायकों की जरूरत है. अगर विधायकों ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो कांग्रेस के पास 77 विधायक थे और वह आसानी से दो सीट जीत लेती.

राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा विधायकों की बाड़ेबंदी

राजस्थान में तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस ने के सी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने शुरूआत में राजेन्द्र गहलोत को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन पार्टी ने नामांकन के अंतिम दिन ओंकार सिंह लखावत को दूसरे प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया.

यह भी पढ़ें: भाजपा ने ओंकारसिंह लखावत को हवाई प्लानिंग में ही उतारा या फिर वाकई थी कोई गोपनीय रणनीति?

विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच पहले कांग्रेस ने विधायकों की बाड़ेबंदी की फिर भाजपा ने भी अपने विधायकों को प्रशिक्षण के नाम पर एक रिसार्ट में एकत्रित कर लिया है.

मध्य प्रदेश में दिग्गी राजा और सिंधिया आमने-सामने

कांग्रेस गुजरात की तरह ही मध्य प्रदेश में भी संकट में हैं. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर राज्य में सत्ता परिवर्तन कर दिया. मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा है. इसके साथ ही बीजेपी ने सुमेर सिंह सोलंकी को तो कांग्रेस ने दूसरे उम्मीदवार के रूप में फूलसिंह बरैया को मैदान में उतारा है. मुख्य मुकाबला इन दोनों के बीच ही है.

मध्यप्रदेश विधानसभा में सदस्यों की संख्या 228 है. जिस उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 58 वोट मिल जाएंगे वह यह चुनाव जीत लेगा. पूर्व में कांग्रेस ने तीन रिक्त सीटों में से दो सीटें हासिल करने की योजना बनाई थी, लेकिन कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए. ऐसे में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो गई. इस स्थिति में प्रत्येक सीट जीतने के लिए 52 वोटों की जरूरत होगी. कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में सदस्यों संख्या 206 हो गई है.

यह भी पढ़ें: आज से बीजेपी विधायकों की भी बाड़ाबंदी, मतदान में हुई कोई गलती तो कुछ सैकंड में पार्टी से बाहर

इसमें कांग्रेस के पास 114 विधायकों में से घटकर 94 हो गई हैं और उसे सात अन्य विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं 107 विधायकों के साथ बीजेपी दो राज्यसभा सीटें जीत लेगी जबकि कांग्रेस के हाथ में सिर्फ एक ही सीट आ पाएगी.

विधायकों को दी गई मॉकपोल की जानकारी

कांग्रेस ने एक बैठक आयोजित कर अपने विधायकों को माॅकपोल की जानकारी दी. बैठक में खासतौर पर प्रथम वरीयता में राज्यसभा के उम्मीदवार पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का नाम रखा गया है, उन्हें कांग्रेस के कौन से 52 विधायक वोट करेंगे, यह तय किया गया. वहीं दूसरे उम्मीदवार फूल सिंह बरैया को पहली वरीयता में डाले जाने वाले 52 विधायकों के बाद आगे के 40 विधायक वोट करेंगे. हालांकि दूसरी सीट के लिए कांग्रेस को मौजूदा विधायकों के अलावा 12 और विधायकों की जरूरत है, जो उसके पास नहीं हैं. कांग्रेस की निगाहें अभी भी 4 निर्दलीय और 2 बसपा और सपा के इकलौते विधायक पर है. बीजेपी भी आज मॉकपोल करेगी.

झारखंड में कांग्रेस उम्मीदवार संकट में

झारखंड में 2 सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव में कुल 3 उम्मीदवार जंग के मैदान में हैं. झामुमो से शिबू सोरेन, बीजेपी से दीपक प्रकाश और कांग्रेस से शहजादा अनवर प्रत्याशी बनाए गए हैं. इनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार शिबू सोरेन की जीत संख्या बल के आधार पर पक्की है. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की जीत भी आसान मानी जा रही है. ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार शहजादा अनवर संकट में दिख रहे हैं.

राज्यसभा चुनाव के लिए झारखंड कोटे से खाली हो रहीं 2 सीटों के गणित को समझें तो राज्य विधानसभा की 81 सीटों में से मौजूदा 79 विधायक इस बार वोटिंग करेंगे. इस लिहाज से राज्यसभा चुनाव में एक उम्मीदवार की जीत के लिए 27 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दुमका सीट छोड़ने के बाद जहां झामुमो के पास 29 विधायकों का संख्या बल है. वहीं बीजेपी के पास 25 विधायक हैं. बाबूलाल मरांडी के बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी का संख्या बल अब 26 पर पहुंच गया है. ऐसे में अपनी उम्मीदवार को उच्च सदन में पहुंचाने के लिए केवल एक अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी जो ज्यादा मुश्किल नहीं है.

मेघालय में एक सीट के लिए दो उम्मीदवार

मेघालय की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए एमडीए व कांग्रेस की ओर से एक-एक प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल किया है. मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) ने एनपीपी के प्रदेश अध्यक्ष डब्ल्यू आर खार्लुखी को सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक केन्नेडी खीरियम को चुनाव मैदान में उतारा है. 40 विधायकों वाली मेघालय विधानसभा में एमडीए के पास 21 तो कांग्रेस के पास 19 सीटें हैं. ऐसे में समर्थन के लिए 31 वोटों की जरूरत होगी. बीजेपी के दो विधायकों सहित अन्य पार्टियों एवं निर्दलीय 13 विधायकों ने सत्ताधारी पार्टी को समर्थन दिया हुआ है. ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार आसानी से उच्च सदन पहुंच जाएगा.

Leave a Reply