भाजपा ने ओंकारसिंह लखावत को हवाई प्लानिंग में ही उतारा या फिर वाकई थी कोई गोपनीय रणनीति?

कांग्रेस और सरकार समर्थित विधायकों की बाड़ेबंदी से गड़बड़ा गया भाजपा का समीकरण, भाजपा के दावे के विपरीत एकजुट दिखाई दे रहे कांग्रेस विधायक और सरकार समर्थित विधायक, दो सीटों पर कांग्रेस का जीत हर हाल में तय

Lakawat
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पाॅलिटाॅक्स न्यूज/राजस्थान. पिछले पांच दिनों में हुए राजनीति घटनाक्रमों के चलते भाजपा की राज्यसभा की दो सीटें जीतने की कवायद की अब हवा निकल सी गई है. राज्य की तीन सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव की गणित के अनुसार कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी की जीत तय मानी जा रही है, वहीं भाजपा के पहले प्रत्याशी राजेंद्र गहलोत की जीत भी निश्चित मानी जा रही है, लेकिन दूसरे प्रत्याशी ओंकारसिंह लखावत की जीत को लेकर सवालिया निशान लग गया है.

आखिर किस रणनीति के तहत उतारा गया ओंकारसिंह लखावत को

सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि भाजपा के पास वोटों का गणित पूरा नहीं होने के बावजूद भी उसने दूसरे प्रत्याशी के तौर पर ओंकारसिंह लखावत को चुनावी मैदान में क्यूं उतारा? क्या भाजपा के पास लखावत को जिताने के लिए विशेष और गोपनीय रणनीति थी या फिर सिर्फ हवाई योजना ही थी? क्या भाजपा कांग्रेस में दो धड़ों के बीच की फूट का कोई लाभ लेने का बीजेपी सपना संजोय थी या फिर कांग्रेस या सरकार समर्थित निर्दलीय उसके संपर्क में थे?

मुख्यमंत्री गहलोत ने कही होर्स टेडिंग की बात

राज्यसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राज्य में बढ़ी चुनावी गहमा गहमा के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. हालांकि इस मामले मेें भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा है कि अगर कोई ऐसी बात है तो गहलोत सरकार उसे जनता के सामने सार्वजनिक करें. अब सरकार की ओर से इस मामले में एसीबी के साथ साथ एसओजी की जांच भी कराई जा रही है.

एक विधायक की कीमत 25 करोड़

चुनावी बयार के बीच आरोप प्रत्यारोप राजनीति का हमेशा से अभिन्न अंग रहे हैं, जहां एक ओर भाजपा नेता कांग्रेस में विधायकों की सरकार से असंतुष्टि की बात को आधार बना रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि उनके विधायकों को खरीदने के लिए 25 करोड़ तक का आॅफर दिया गया है.

बाड़ेबंदी के खेल से जीत का गणित

खरीद फरोख्त की खबरें आने के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी विधायकों की जयपुर के एक रिसोर्ट में बाड़ेबंदी कर दी. अब यहां एक-एक विधायक से वन टू वन का संवाद स्थापित किया जा रहा है. एक-आध को छोड़कर सभी कांग्रेसी, सरकार समर्थित निर्दलीय, बीटीपी सहित करीब 120 के आस-पास विधायकों के रिसोर्ट पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने राहत की सांस ली.

विधायकों से बातचीत के बाद राज्यसभा की दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत के दावे के साथ मुख्यमंत्री ने भाजपा के प्रति आक्रमक रूख अपना लिया है. मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी की लिखित शिकायत पर एसओजी से जांच शुरू करा दी है. एसओजी महेश जोशी का बयान लेकर यह पता लगाएगी कि करेगी आखिर किन-किन विधायकों को खरीद फरोख्त का आॅफर दिया गया है, किसने दिया है और कितने धन का दिया गया है और यह जानकारी मुख्य सचेतक के पास कहां से आई? मुख्य सचेतक की ओर से दी गई शिकायत में विधायकों को धन का लालच तो देने का जिक्र किया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि यह लालच किसने दिया.

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अब बीजेपी ने अलापा नया सुर

दिल्ली रोड स्थित पहले एक रिसोर्ट और फिर बाद में एक पांच सितारा होटल में कांग्रेस विधायक और सरकार समर्थित निर्दलीय विधायकों की सफलता पूर्वक बाडेबंदी के बाद भाजपा नेेताओं के सुर बदलने शुरू हो गए हैं. जहां ओंकार सिंह लखावत का दूसरे प्रत्याशी के तौर पर नामांकन के वक्त भाजपा नेता अतिउत्साहित नजर आ रहे थे और कह रहे थे कि सरकार से बड़ी संख्या में विधायक नाराज हैं, जिसका लाभ लखावत को चुनाव में मिलेगा. वही भाजपा नेता अब कह रहे हैं कि भाजपा प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के नाम पर चुनावी मैदान में हैं. केंद्र सरकार की ओर से बीते वर्षों में किए गए काम के दम पर राज्य के कांग्रेस विधायकों से वोट मांगे जाएंगे.

सच तो यह भी है कि कई विधायक खुश नहीं

राजनीति स्थितियों का एक पहलू यह भी है कि कांग्रेस और सरकार समर्थित कई निर्दलीय विधायक प्रदेश सरकार से खुश नहीं है. उनके असंतोष का कारण इनके क्षेत्रों में उनका मनचाह काम नहीं होना, अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होना है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक एक विधायक से व्यक्तिगत बात करके उनकी समस्या पूछ कर सूचीबद्ध कर रहे हैं. वहीं सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों का अपना एक खेमा है और यह खेमा चाहता है कि उनमें से किसी एक का चयन कर उसे केबिनेट मंत्री बनाया जाए. इसके साथ उनके द्वारा जिन कार्यों की अनुशंषा की जाए, उसे मुख्यमंत्री प्राथमिकता से पूरा कराएं.

चार दिन बचे हैं राज्यसभा चुनाव में

राजस्थान की तीन सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होने हैं. यह सीटें भाजपा के दो और कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल पूरा होने पर खाली हुई है. इस दौरान राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी. ऐसे में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए वोटों का समीकरण बदल गया है. मौटे तौर पर कांग्रेस के पास 125 तो भाजपा के पास 75 विधायकों का समर्थन है. ऐसे में संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस की दो सीटों पर जीत निश्चित मानी जा रही है. वहीं भाजपा ने भले ही दो प्रत्याशियों का चुनावी मैदान में उतार दिया हो लेकिन एक प्रत्याशी की हार मय मानी जा रही है.

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केंद्रीय स्तर के नेताओं ने संभाला मोर्चा

मध्य प्रदेश और गुजरात के घटनाक्रम से सबक ले चुकी कांग्रेस के आला नेता राजस्थान में कोई चूक नहीं होने देना चाहते हैं, यही कारण है कि जयपुर रिसोर्ट या होटल में एकत्रित किए गए विधायकों से कांग्रेस के केंद्रीय नेता खुद संवाद कायम कर रहे हैं. यह नेता विधायकों की नब्ज टटोलने के साथ उनकी नाराजगी को दूर करने का भी हर संभव प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही हर तरह के घटनाक्रमों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं और उसकी पूरी रिपोर्टिंग केंद्रीय नेतृत्व यानी आलाकमान को की जा रही है.

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