कांग्रेस विधायकों की बाडाबंदी के बीच सुरजेवाला ने गिनाई मोदी सरकार के छह साल की छह भ्रांतियां

भारी निराशा और अपराधिक कुप्रबंधन एवं असीम पीड़ा के मोदी सरकार के ये छह साल रहे है. सातवें साल की शुरुआत में भारत एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा है, जहां देश के नागरिक सरकार द्वारा दिए गए अनगिनत घावों व निष्ठुर असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को हैं मजबूर- रणदीप सुरजेवाला

Img 20200614 Wa0003
Img 20200614 Wa0003

पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर मचे घमासान के बीच कांग्रेस व कांग्रेस समर्थित विधायकों की बाडाबंदी के चौथे दिन सभी विधायकों की एक कार्यशाला आयोजित की गई. कार्यशाला में प्रवासी मजदूरों के संकट, कोविड 19, लॉकडाउन, अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, आजादी के बाद न्यूनतम जीडीपी दर, आय की असमानता, किसान की आय दोगुनी करने के नाम पर छल, महंगाई और मोदी सरकार में असीम पीड़ा के छह साल आदि बिंदुओं पर चर्चा हुई. इसके साथ ही कार्यशाला में विचार-विमर्श और सवाल-जवाब भी हुए.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार के छह साल की छह भ्रांतियां विधायकों के समक्ष रखी. सुरजेवाला ने कहा कि भारी निराशा और अपराधिक कुप्रबंधन एवं असीम पीड़ा के मोदी सरकार के ये छह साल रहे है. सातवें साल की शुरुआत में भारत एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा है, जहां देश के नागरिक सरकार द्वारा दिए गए अनगिनत घावों व निष्ठुर असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को मजबूर हैं. पिछले छह सालों में देश में भटकाव की राजनीति एवं झूठे शोरगुल की पराकाष्ठा मोदी सरकार के कामकाज की पहचान बन गई.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि दुर्भाग्यवश, भटकाव के इस आडंबर ने मोदी सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा तो किया, लेकिन देश को भारी सामाजिक व आर्थिक क्षति पहुंचाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद रखना होगा कि बढ़ चढ़ कर किए गए वादों पर खरा उतरना ही असली कसौटी है. लेकिन ढोल नगाड़े बजाकर बड़े बड़े वादे कर सत्ता में आई यह सरकार देश को सामान्य रूप से चलाने की एक छोटी सी उम्मीद को भी पूरा करने में विफल रही ओर उपलब्धि के नाम पर शून्य साबित हुई है.

पहली भ्रांति: ‘विकास’ बनाम ‘मोदीनोमिक्स’ की वास्तविकता

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने सुशासन का अपना ब्रांड, एक शब्द विकास के बूते बेचा था. इस काल्पनिक विकास के लिए उन्होंने 60 साल बनाम 60 महीने का नारा लगाया. साल 2020 तक सभी वादों को पूरा करने के लिए मील का पत्थर स्थापित कर दिया गया. लेकिन आज सरकार के पास उपलब्धि के नाम पर दिखाने को क्या है?

दूसरी भ्रांति: ‘सबका साथ, सबका विकास’ बनाम ‘मित्रों का साथ, भाजपा का विकास’

मोदी सरकार के छः साल में साबित हो गया है कि उनकी प्राथमिकता केवल मुट्ठीभर अमीर मित्रों की तिजोरियां भरना है. चंद अमीरों से सरोकार और गरीब को दुत्कार ही सरकार का रास्ता बन गया है. अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब, जरूरतमंद एवं कमजोर वर्ग के लोगों को बेसहारा छोड़ दिया गया है.

तीसरी भ्रांति: ‘प्रधान सेवक’ बनाम ‘निरंकुश तानाशाह’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी साधारण पृष्ठभूमि का स्तुतिगान तो बार बार करते हैं लेकिन उनके 6 साल के कार्यकाल ने साबित कर दिया है कि उन्हें आम जनमानस के दुख तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है. इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि उनमें आम लोगों के प्रति जिम्मेदारी व जवाबदेही का पूर्णतः अभाव है.

सुरजेवाला ने कहा कि कोरोना संकट के समय में प्रवासी मजदूरों के संकट ने मौजूदा सरकार की असंवेदनशीलता तथा नेतृत्व की विफलता को अजागर कर दिया है. कोविड-19 की महामारी के बीच 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को बिना खाने, पानी और आश्रय के सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव को पैदल जाने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि पीएम मोदी ने उनकी दुर्दशा का संज्ञान तक लेने से इंकार कर दिया. देश में चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी हो या फिर कोविड लॉकडाउन, सारे फैसले एक व्यक्ति द्वारा लिए जा रहे हैं और नीतिगत विफलता के चलते, इन सबका परिणाम देशवासियों के लिए विनाशकारी साबित हुआ है.

चौथी भ्रांति: किसान की आय ‘दोगुनी करना’ बनाम किसान से ‘छल’

मोदी सरकार के छः साल अन्नदाता किसान के साथ बार बार हुए छल की कहानी कहते हैं. मोदी सरकार ने लागत+50 प्रतिशत मुनाफे के बराबर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने व आय दोगुनी करने का वादा कर सत्ता हथियाई थी. मोदी सरकार ने 6 सालों में एक बार भी लागत+50 प्रतिशत मुनाफे के बराबर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं किया, जिसका वादा उन्होंने सी2 फॉर्मूले के आधार पर अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था. इसके विपरीत किसानों को अकेले रबी 2020 के सीज़न में 50,000 करोड़ रु. से अधिक का नुकसान हुआ है. किसान का खून चूसकर हो रही मुनाफाखोरी और खेती उत्पादों की अनाप शनाप बढ़ती कीमतों के चलते खेती आर्थिक रूप से नुकसान का सौदा बन गई है.

पाँचवीं भ्रांति: ‘अच्छे दिन’ बनाम ‘सच्चे दिन’

सुरजेवाला ने आगे कहा कि इससे पहले कभी भी कोई सरकार अपने नागरिकों के प्रति इतनी उदासीन व निर्दयी नहीं साबित हुई. भारत पूरे विश्व में लोकतंत्र की अनूठी मिसाल पेश करता आया है, पर मोदी सरकार की कार्यप्रणाली के चलते प्रजातंत्र का आधार ही खतरे में है. विदेशों से 80 लाख करोड़ रुपये का कालाधन वापस लाने और हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने का झूठ भारत के राजनैतिक इतिहास का सबसे बड़ा झूठ साबित हुआ है. यह वादा पूरा करना तो दूर मोदी सरकार की नाक के नीचे से 2 लाख 70 हजार करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड हो गया और भगोड़े देश का पैसा लूटकर देश छोड़कर भागने में सफल हो गए. छह साल बीत जाने के बाद भी एक भी भगोड़ा वापस नहीं लाया जा सका.

छठी भ्रांति: मजबूत नेतृत्व बनाम बेतुके निर्णय

मोदी सरकार के छह साल में राजनैतिक महत्वाकांक्षा की वेदी पर लगातार राष्ट्रहित के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. मोदी सरकार के छह सालों में हमारे जवानों की शहादत में लगभग 110 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. उरी आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर, पठानकोट एयर बेस एवं नगरोटा आर्मी बेस आदि प्रमुख रक्षा संस्थानों तथा अमरनाथ यात्रा पर पाक-प्रशिक्षित आतंकियों द्वारा बार-बार हमले किए गए और दिशाहीन सरकार देखती रह गई. पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. आज तक आरडीएक्स स्मगल कर ले आने का षडयंत्र, आरडीएक्स भरी गाड़ी से उग्रवादियों द्वारा सभी सुरक्षाचक्र तोड़कर जवानों के काफिले पर हमला व इस पूरे मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की भूमिका को लेकर गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है.

यह भी पढ़ें: आरोप सिद्ध करें गहलोत या कानूनी चुनौती के लिए रहें तैयार- बीजेपी, झूंठ व धोखे का प्रमाण एमपी व गुजरात- कांग्रेस

सुरजेवाला ने आगे कहा कि आज तक इस रहस्य से भी पर्दा नहीं उठा कि पुलवामा हमले के समय व उसके बाद प्रधानमंत्री जिम कॉर्बेट पार्क में फिल्म की शूटिंग क्यों करते रहे और सभी सुरक्षा एजेंसियों का प्रधानमंत्री से संपर्क कैसे टूट गया था. हमारी सेना के शौर्य का राजनैतिक लाभ लेने के लिए सदैव तत्पर रहने वाली मौजूदा सरकार ने रक्षा बजट में ही कटौती कर दी. साल 2020-21 के बजट में, रक्षा मामलों के लिए केवल जीडीपी का 1.58 प्रतिशत दिया गया है, जो साल 1962 के बाद सबसे कम राशि है. कोविड की महामारी के बाद तो इस बजट को ओर काट दिया गया है.

रणदीप सुरजेवाला ने अंत में कहा कि छह साल का लंबा अरसा पूरा होने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मोदी सरकार अपने ही नागरिकों के खिलाफ युद्ध लड़ रही हो और मरहम लगाने की बजाय घाव दे रही हो. यह यकीनन आश्चर्यजनक है कि सरकार ने प्रजातंत्र के संचालन का सबक आज तक भी नहीं सीखा. सरकारें नागरिकों की बात सुनने, सुरक्षा करने, संरक्षण देने व सेवा के लिए हैं, ना कि गुमराह करने, भटकाने व बांटने के लिए. जितना जल्दी मौजूदा सरकार को यह बात समझ में आ जाएगी, उतना जल्दी ही सरकार को इतिहास के पन्नों में अपनी भूमिका समझ आएगी.

शनिवार दोपहर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में करीब तीन घंटे चली विधायकों की इस कार्यशाला में एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, एआईसीसी महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे, उपमुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ सचिन पायलट, पर्यवेक्षक एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय चीफ प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सांसद राजीव सातव, सांसद मणिकम टैगोर और एआईसीसी से आए कांग्रेस के नेता मौजूद रहे.

Leave a Reply