पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो/मणिपुर. 19 जून को मणिपुर में राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले चुनाव से ठीक एक दिन पहले बीजेपी की बीरेन सिंह सरकार का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया है. यहां एक राजनीतिक अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद बीजेपी गठबंधन वाली राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है. इस घटनाक्रम से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. उल्लेखनीय है कि 2017 में बहुत कम सीटें होते हुए भी बीजेपी ने राज्यपाल के सहयोग से विवादस्पद तरीके से सरकार बनाई था. बाद में यह मामला हाई कोर्ट में गया.
राज्यसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में जबर्दस्त राजनीतिक उठा पटक का खेल चल रहा है. अधिकांश राज्यों में कांग्रेस को बीजेपी से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन मणिपुर में इसके उलट कांग्रेस ने बीजेपी के लिए बड़ी समस्या पैदा कर दी है. ताजा घटनाक्रम के बाद मणिपुर में बीजेपी की सरकार जाना तय माना जा रहा है. वहीं कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा कर दिया है.
यह भी पढ़ें: राज्यसभा का दंगल कल: सियासी घमासान के बीच 18 सीटों के लिए सभी सातों राज्यों में हुई बाड़ाबंदी
ऐसे समझिए मणिपुर में सत्ता का गणित
मणिपुर में विधानसभा सदस्यों की संख्या कुल 60 है. 2017 के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और उसके 28 प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधायक बने. वहीं भाजपा के 21 विधायक थे. इतने बड़े अंतर के बाद भी राज्यपाल नजमा हेपुतुल्ला ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.
कांग्रेस का आंकड़ा पहुंचा 25 पर
कांग्रेस के नेता इबोबी सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार बनाने का दावा पेश किया हैं. कांग्रेस के पास फिलहाल 19 विधायक हैं. उसे एनपीपी के चार और टीएमसी सहित एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन मिल सकता है. इस तरह कांग्रेस को 25 विधायकों का समर्थन हासिल हो सकता है.
मणिपुर में बीजेपी सरकार संकट में
ताजा घटनाक्रम में उपमुख्यमंत्री वाई. जॉयकुमार के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायकों (तीन मंत्री शामिल), तृणमूल कांग्रेस के एक मात्र विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया जिसके चलते मणिपुर में बीजेपी की सरकार संकट में आ गई है. यहां एनडीए के गठबंधन को एनपीपी के चार विधायक, निर्दलीय सहित दो विधायक और एनपीएफ के चार विधायक समर्थन दे रहे थे.
इस तरह मणिपुर में बीजेपी को 32 विधायकों का समर्थन हासिल था. राज्यसभा सभा चुनाव के चलते गठबंधन और पार्टी के भीतर मतभेद उभर गए और इसके बाद एनपीपी के 4 विधायकों और टीएमसी सहित निर्दलीय 2 विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया.
यह भी पढ़ें: सीएम गहलोत ने पत्र लिखकर पीएम मोदी को दिए अहम सुझाव, GST क्षतिपूर्ति का जल्द जारी करें भुगतान
इसके अतिरिक्त बीजेपी के 3 विधायकों ने भी अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है जिससे बीजेपी की सरकार अब अल्पमत में आ गई है. अब बीजेपी के पास सिर्फ 19 विधायकों का समर्थन रह गया है.
राज्यसभा चुनाव का भी बिगड़ा गणित
मणिपुर की एक राज्यसभा सीट के लिए 19 जून को होने वाले चुनाव से ठीक एक दिन पहले हुए इस राजनीकि घटनाक्रम के बाद राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी का गणित बदल गया है. बीजेपी ने नरेश लीसेम्बा सनाजाओबा और कांग्रेस ने टी.मंगी बाबू को प्रत्याशी बनाया है. यहां यह भी गौर करने लायक है कि 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले 7 विधायक हाई कोर्ट के समक्ष दल बदल विरोधी मामलों का सामना कर रहे हैं.
सरकार बनाने का दावा पेश करेगी कांग्रेस
बीजेपी सरकार के अल्पमत में आने के बाद अब कांग्रेस सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही है. कांग्रेस ने गुरुवार को गवर्नर से समय मांगा है. इससे पहले मणिपुर में बीजेपी के 3 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और एनपीपी ने अपने चारों विधायकों का समर्थन वापस ले लिया है. इसके अलावा एक एलजेपी और एक निर्दलीय भी सरकार से बाहर हो गए हैं जिससे बीजेपी की मणिपुर सरकार संकट में आ गई है. आज कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी और पूर्व उपमुख्यमंत्री गायखंगम गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.