rajasthan politics
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Rajasthan Election 2023- राजस्थान विधानसभा चुनाव का चुनावी प्रचार इस बार थोड़ा ठंडा जरूर है लेकिन चुनावी रणनीतियां काफी सोच समझकर तैयार की जा रही है. खासतौर पर बीजेपी ने प्रदेश के विस चुनाव को जीतने के लिए हर तरह के प्रयास झोंक दिए हैं. बीजेपी अपना हिंदूत्व का मुद्दा लेकर आगे बढ़ रही है. यही वजह है कि अब तक 182 में से 5 सीटों पर साधू संन्यासी और संतों को टिकट दिया गया है. बीजेपी ने हाल में 58 प्रत्याशियों की सूची में भी 2 संतों को उम्मीदवार बनाया है. काफी सोच विचार के बाद मुस्लिम बाहुल्य वाली हवामहल वि.सीट पर नया चेहरा बालमुकुंद आचार्य को टिकट दिया है. बालमुकुंद को एक सशक्त हिंदू चेहरे के तौर पर पेश किया जा रहा है. अभी तक घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं है. शेष 18 की लिस्ट में दो अन्य संतां को मौका दिया जा सकता है. वहीं पिछले चुनावों पर गौर करें तो जब जब कांग्रेस को मुस्लिमों का साथ मिला है, सत्ता में ‘हाथ’ का ठप्पा लगा है.

बीजेपी ने उतारे 8 संत, कांग्रेस की साध्वी भी मैदान में

गौर करने वाली बात ये है कि बीजेपी की अब तक की 182 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुस्लिम चेहरा देखने को नहीं मिला है. पिछले चुनावों में एक मात्र मुस्लिम चेहरा टोंक से लड़े यूनूस खान का टिकट भी कट चुका है. इस बार हवामहल सीट से हाथोज धाम के बालमुकुंद आचार्य और पचपदरा से भजन गायक प्रकाश माली को टिकट मिला है. पिछली सूचियों में पोकरण से महंत प्रतापपुरी, तिजारा से महंत बाबा बालकनाथ और सिरोही से ओटाराम देवासी को भी बीजेपी उम्मीदवार बनाया गया है. दो अन्य सीटों पर भी टिकट मांगे जा रहे हैं. इधर, कांग्रेस ने भी साध्वी अनादि सरस्वती को जोड़ा है. उन्हें भी टिकट दिया जाना कंफर्म माना जा रहा है. पोकरण से सालेह मोहम्मद और आचार्य धमेंद्र की पुत्रवधु का अर्चना शर्मा को मालवीय नगर से हारने के बावजूद टिकट मिला है.

प्रदेश में मुस्लिम प्रभाव वाली 40 सीट, कांग्रेस ने 30 जीती

प्रदेश के 18 जिलों में मुस्लिम प्रभाव वाली 40 सीटें ऐसी है जहां एक तरफा वोटिंग सत्ता तय करने में अहम भूमिका निभाती है. इन सभी सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का समर्थन और नाराजगी से चुनावी समीकरण बनते और बिगड़ते हैं. पिछले तीन चुनावी ट्रेंड पर गौर करें तो जिसे मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिला, सत्ता पर उसका हाथ काबिज हुआ. 2008 और 2018 में 40 में से कांग्रेस ने क्रमश: 21 और 30 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं 2013 में बीजेपी ने जब प्रचंड बहुमत से वसुंधरा सरकार बनायी थी, 40 में से 30 सीटें हथियाई थी. इस बार कांग्रेस ने 6 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं जबकि कांग्रेस की ओसे से 6 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मौका मिला है.

पूर्वी राजस्थान में मुस्लिम प्रभाव वाली 15 सीटें

मुस्लिम बाहुत्य की 15 सीटें पूर्वी राजस्थान में है. इनमें से कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करना बीजेपी के लिए चुनौती भरा है. 2013 में इनमें से अधिकांश सीटें पक्ष में रही तो सत्ता में वसुंधरा सरकार दुबारा लौटकर आयी थी. ये सीटें अलवर, भरतपुर, बारां, करौली, सवाई माधोपुर, धौलपुर और कोटा जिले की है. ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) का मुद्दा इन्हीं जिलों से जुड़ा है जिसको लेकर राज्य सरकार और केंद्र में ठनी हुई है. इन सीटों पर मुस्लिम के अलावा मेव, मीणा, गुर्जर, एससी वोटर्स का भी खास प्रभाव है. राज्य की सर्वाधिक 16 प्रतिशत मुस्लिम आबादी अलवर की चार और जैसलमेर की दो सीटों पर है. वहीं जयपुर की हवामहल और किशनपोल सहित तीन सीटों पर 12.5 फीसदी मुस्लिम मतदाता निवास करते हैं. प्रदेश की 20 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 50 लाख से अधिक है. वैसे तो हवामहल सीट पर सामान्य जाति का उम्मीदवार उतारा जाता है लेकिन यहां मुस्लिम समुदाय का एक तरफा मतदान होने की वजह से यह कांग्रेस की मजबूत सीट है.

बसपा-ओवैसी ने बनाया मुस्लिम सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय

प्रदेश की 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर बसपा और ओवैसी की AIMIM ने प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. हवामहल सीट पर बीजेपी ने मुकुंद आर्चाय तो बसपा ने तरुषा पाराशर को सीट सौंपा है. कांग्रेस की तरफ से भी हिंदू चेहरा उतारा जा सकता है. इस सीट पर दूसरी ओर हिंदू समुदाय के मतदाताओं की अच्छी पैठ है. कांग्रेस की ओर से 6 मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका मिला है. सीकर के लक्ष्मणगढ़ से गोविंद सिंह डोटासरा, नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा और झुंझनूं से बृजेंद्र सिंह ओला लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं.

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