राजस्थान: विशेषाधिकार हनन मामले में फंसते दिखाई दे रहे बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, बचाव में उतरी बीजेपी

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी करेंगे मामले को लेकर अंतिम फैसला, पूनियां को तलब किया जोशी ने, राज्यसभा चुनाव संपन्न होने के बाद 20 जून को मीडिया के सामने कांग्रेस की बाड़ाबंदी में विधायकों की खरीद फरोख्त के लगाए थे आरोप

Satish Poonia BJP
Satish Poonia BJP

PoliTalks.News. प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए बीते दिनों संपन्न हुए चुनावों के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां द्वारा की गई बयानबाजी अब उन पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है. सतीश पूनियां ने कांग्रेस की बाड़ाबंदी में विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोप लगाए थे. इसको लेकर निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया था. विशेषाधिकार हनन के इस मामले में अब सतीश पूनियां फंसते दिखाई दे रहे है. इधर, प्रदेश बीजेपी अपने अध्यक्ष के बचाव में उतर आई है.

कांग्रेस को समर्थन दे रहे सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सतीश पूनियां के खिलाफ प्रथम दृष्टया विशेषाधिकार हनन का मामला बनता पाया है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अब इस मामले में अपना पक्ष रखने को लेकर सतीश पूनियां को तलब किया है. पूनियां की सुनवाई के बाद सीपी जोशी इस मामले को लेकर अंतिम फैसला करेंगे. सुनवाई में अगर पूनियां द्वारा विशेषाधिकार हनन का मामला आया तो इसे सदन में रखा जाएगा.

यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमण को लेकर गहलोत सरकार की भूमिका अभी तक रही है खुद की पीठ थपथपाने की- पूनियां

गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव संपन्न होने के बाद 20 जून को सतीश पूनियां ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा था कि कांग्रेस की बाडाबंदी में 10 दिनों में विधायकों से डील हुई है. मुख्यमंत्री अपनी नाकामी ओर भ्रष्टाचार छुपाने के लिए बीजेपी पर आरोप लगाते हैं लेकिन थोड़े दिनों में यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि 10 दिन में क्या क्या डील हुई. किन-किन से डील हुई इसके भी प्रमाण है. कांग्रेस ने 23 विधायकों से डील की है. आने वाले समय में पता चल जाएगा कि किसको खान आवंटित की गई. किन लोगों को रीको के प्लाट आवंटित हुए, किसको कैश ट्रांजैक्शन हुआ. केवल अपनी नाकामी छुपाने के लिए चोरी और सीनाजोरी का काम भी अशोक गहलोत जी ने किया है. हम इसके प्रमाण आने वाले कुछ दिनों में दे देंगे.

सतीश पूनियां द्वारा कांग्रेस पर विधायकों से डील करने के लगाए आरोप को लेकर 21 जून को निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का प्रस्ताव दिया था. विधानसभा सचिव प्रमिल कुमार माथुर को विधायक संयम लोढ़ा द्वारा विधानसभा के कार्य संचालन और प्रक्रिया के नियम 157, 158 और 159 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया गया था. विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने कहा था कि सतीश पूनियां द्वारा कांग्रेस पर लगाए गए आरोप निराधार है. पूनियां के इस आचरण से राजस्थान विधानसभा की गरिमा, विधायकों की छवि खराब हुई है जिसे लेकर पूनियां के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया गया है.

सतीश पूनियां के बचाव में उतरे बीजेपी के नेता

इस मामले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा, ‘पूनियां के बयान में 23 लोगों का जिक्र है, लेकिन कौन है ये 23 लोग? इस पर उन्होंने कहा कि आगे बताऊंगा, इस कारण ये बयान विशेषाधिकार की श्रेणी में नहीं आता है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा था कि 35 करोड़ की डील हुई है. सीएम गहलोत ने किस आधार पर कहा था? अगर पूनियां का बयान विशेषाधिकार है तो सीएम गहलोत का बयान भी विशेषाधिकार की श्रेणी में है. विधानसभा के सदन में कोई ऐसी बात कही हुई हो या सदन के क्षेत्र में कही हो तो विशेषाधिकार माना जाता है. विधायक को यदि कोई विधानसभा कार्यवाही में जाने से रोकता है तो विशेषाधिकार होगा. प्रदेश अध्यक्ष का मामला विशेषाधिकार के अंतर्गत नहीं है.’

वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले को लेकर कहा कि विशेषाधिकार हनन का कोई मामला पूनियां पर नहीं बनता है. नोटिस जाने पर विशेषाधिकार समिति को मामला जाता है. लेकिन किसी विधायक का विशेषाधिकार हनन किया हो तब ही तो मामला बनता है. सतीश पूनियां ने किसी विधायक का नाम नहीं लिया था. ऐसे में यह विशेषाधिकार हनन का मामला नहीं बनता है.

Leave a Reply