कोरोना संक्रमण को लेकर गहलोत सरकार की भूमिका अभी तक रही है खुद की पीठ थपथपाने की- सतीश पूनियां

प्रदेश में कोरोना से जो भी लोग बचे वो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपनी जागरूकता और जनभागीदारी से बचे हैं, भीलवाड़ा मॉडल पर सरकार ने क्रेडिट लिया तो रामगंज, कोटा और जोधपुर का भी क्रेडिट लेना चहिए था- सतीश पूनियां

सतीश पूनियां
सतीश पूनियां

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में एक बार फिर से तेजी से बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार को आडे हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेश में कोरोना से जो भी लोग बचे वो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपनी जागरूकता और जनभागीदारी से बचे हैं. कोरोना को लेकर सरकार की अब तक की भूमिका सिर्फ खुद की पीठ थपथपाने की रही है.

प्रदेश में बढते कोरोना संक्रमण को लेकर मंगलवार को पत्रकारों से रूबरू होते हुए सतीश पूनियां ने कहा कि कोरोना को लेकर मैनें 26 जनवरी को सरकार को आगाह करने के लिए ट्वीट किया था. कोरोना को लेकर फरवरी में विधानसभा में चर्चा हुई ओर मार्च में भी गहलोत सरकार कोरोना को लेकर चेती नहीं. प्रदेश में जो भी लोग कोरोना से बचे वो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता, अपनी जागरूकता और जनभागीदारी से बचे. गहलोत सरकार ने भीलवाडा मॉडल का क्रेडिट लेने की कोशिश की लेकिन भीलवाडा में वहां की जनता, प्रशासन और चिकित्साकर्मियों का योगदान था. भीलवाडा मॉडल में सरकार की भूमिका सिर्फ पीठ थपथपाने की रही है. गहलोत सरकार को रामगंज, कोटा और जोधपुर का भी क्रेडिट लेना चहिए था.

पूनियां ने कहा कि प्रवासियों का जब आवागमन शुरू हुआ उस समय भी हमने कहा कि प्रवासियों की स्क्रीनिंग, सैम्पलिंग की जाए. कोरोना को लेकर जागरूकता भी सरकार की पहल पर नहीं हुई. प्रवासी मजदूरों का जब आवागमन गांवों में शुरू हुआ ओर कोई संदिग्ध व्यक्ति आया तो गांव के लोगों ने अपने स्तर पर प्रशासन को इसकी खबर दी. सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई. आज भी सरकार की ओर से कोरोना को लेकर जो पहल होनी चाहिए उसकी कमी दिखाई देती है. चिकित्सा मंत्री कुछ कहते हों, आंकडे कुछ कहते हो लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी कोरोना के मामले में सरकार की तरफ से जागरूकता की आवश्यकता है.

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प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर पूनियां ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में जब से यह सरकार बनी है. सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कोई स्थिति बनी है तो कानून और अपराध की व्यवस्था को लेकर बनी है. कोरोना कालखंड को छोड़ दें तो लगभग पौने दो लाख मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इसमें 40 प्रतिशत मुकदमें ऐसे है जिनमें किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अफसोस की बात यह है कि कोरोना काल में जब अपराधों का आंकड़ा कम हो रहा था, उस दौरान भी संगीन अपराधों में कमी नहीं आई. प्रदेश में क्रमिक रूप से गैंग रेप की घटनाएं बढना एक बड़ा प्रश्न है. गैंग रेप की घटनाओं को लेकर हमने गृहमंत्री जी के नाते मुख्यमंत्री के सामने भी यह प्रश्न उठाया कि गृह मंत्री के नाते उनकी नैतिक जिम्मेदारी होती है. लेकिन मुख्यमंत्री जी की तरफ से कानून व्यवस्था को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. सरकार इतनी सुस्त होगी तो अपराधियों के हौसले निश्चित रूप से बुलंद होंगे.

प्रधानमंत्री राहत कोष से अस्पतालों में दिए गए वेंटिलेटर को सीएम गहलोत द्वारा घटिया बताए जाने के सवाल पर पूनियां ने कहा कि देश में चिकित्सा सुविधाओं का पिछले काफी अर्से से प्रबंधन नहीं हुआ था. यह पहली बार हुआ है कि महामारी के बाद चिकित्सा व्यवस्थाओं में सुधार किया जा रहा है. देश में अच्छी चिकित्सा व्यवस्थाओं की आवश्यकता सदैव रही है. अन्य सरकारों की प्राथमिकताओं में यह विषय नहीं रहा होगा लेकिन मोदी सरकार इसके लिए संकल्पित थी. इसलिए आयुष्मान भारत से लेकर इस तरह की तमाम योजनाओं को शुरू किया गया. गहलोत सरकार तो वह सरकार है जिसने पिछले डेढ़ साल में आयुष्मान भारत योजना को भी लागू नहीं किया. वेटिंलेटर्स के घटिया होने की बात कह के मुख्यमंत्री गहलोत अपने पापों को माफ करना चाह रहे हैं.

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