Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) प्रदेश को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को देश में अग्रणी राज्यों में शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके तहत सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री आवास से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के ई-लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने करीब 62 करोड़ रुपये की लागत से उच्च शिक्षा के 9 राजकीय महाविद्यालयों तथा रूसा भवन एवं करीब 23.22 करोड़ रुपये की लगात से तकनीकी शिक्षा के 10 राजकीय इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों में नवनिर्मित भवनों, बालिका छात्रावास, अनुसूचित जाति एवं जनजाति बालिका छात्रावास, लैब, नवीन आधारभूत संरचनाओं एवं तीन नवाचारों आनंदम पाठ्यक्रम, ई-कंटेट तथा पॉलोटेक्निक कॉलेज में सेमेस्टर प्रणाली का ई-लोकार्पण किया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के गांव-ढाणी में रहने वाले बच्चे भी डॉक्टर-इंजीनियर, साइंटिस्ट तथा रिसर्च स्कॉलर जैसे उत्कृष्ट मानवीय संसाधन के रूप में तैयार हो सकें, इस उद्देश्य से दूरस्थ क्षेत्रों तक उच्च एवं तकनीकी शिक्षा का प्रसार करना हमारी प्राथमिकता है. इसी दिशा में काम करते हुए बीते करीब डेढ़ साल में 87 नए सरकारी महाविद्यालय खोलने का जो अभूतपूर्व काम हुआ है, वह उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के हमारे दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.
यह भी पढ़ें: बीजेपी के साथ एलायंस में हैं लेकिन किसानों का अपमान किसी कीमत पर नहीं बर्दाश्त – हनुमान बेनीवाल
सीएम गहलोत ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 की विशिष्ट परिस्थितियों के अंतर्गत अगर कोई विद्यार्थी किसी भी कारण से सम्मिलित नहीं हो पाता है तो विश्वविद्यालय द्वारा उनके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी, ताकि कोई भी विद्यार्थी परीक्षाओं से वंचित नहीं रह पाए. इस बात का निर्णय भी मुख्यमंत्री आवास पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया है. मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग को इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइन जारी करने के निर्देश दिए हैं.
इसके साथ ही प्रदेश में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों की अंतिम वर्ष, अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं का आयोजन सुप्रीम कोर्ट व यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसरण में पूर्व की भांति ऑफलाइन कराए जाने की बात भी कही है ताकि इन परीक्षाओं की विश्वसनीयता बनी रहे और जारी की जाने वाली डिग्रियों की वैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह न लगे.