Politalks.News/UP-Amethi. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (UttarPradesh Assembly Election) का घमासान अपने चरम पर है. इसी बीच राहुल (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की अमेठी (Amethi) की पदयात्रा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने अमेठी में लोगों को भावुक करने वाला भाषण दिया. राहुल ने प्रियंका गांधी वाड्रा का हवाला देते हुए कहा था कि, ‘बहन ने लखनऊ (Lucknow) चलने को कहा तो मैंने उनसे कहा कि पहले घर चलते हैं‘. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि क्या राहुल गांधी अमेठी में ‘घर वापसी‘ कर रहे हैं? पिछले लोकसभा चुनाव में मिली अमेठी की हार के बाद अबकी बार के चुनाव पर अभी से सभी की नजरें टिकी हैं. कांग्रेस की राजनीति को जानने वाले रणनीतिकारों का कहना है कि राहुल अभी से तैयारी में जुट गए हैं लेकिन आगे की रणनीति अगले साल के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगी.
आपको बता दें, बीते शनिवार को राहुल और प्रियंका गांधी ने कभी अपने सियायी गढ़ रहे अमेठी में पदयात्रा की और एक चुनावी रैली को सम्बोधित करते हुए भावुक भाषण भी दिया. ऐसे में अब सियासी गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है कि इतने दिनों तक राहुल गांधी अपने पुराने संसदीय क्षेत्र से क्यों दूर रहे? क्यों राहुल केरल-वायनाड के नए घर की बार-बार यात्रा करते रहे और अमेठी को भूले रहे? माना जाता है कि एक साधारण नेता भी चुनाव हारने के बाद क्षेत्र नहीं छोड़ता है, जबकि अमेठी तो गांधी परिवार के लिए दशकों से बनाया गया सियासी गढ़ है. राहुल गांधी कोई स्मृति ईरानी नहीं हैं कि पार्टी ने यहां से लड़ाया तो यहां लड़े और फिर दूसरी जगह भेज दिया तो दूसरी जगह चले गए. आपको बता दें कि टीवी इंडस्ट्री से राजनीति में उतरीं स्मृति ईरानी पहले दिल्ली की चांदनी चौक सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं और हारने के बाद एक बार भी वहां नहीं गईं फिर पार्टी ने उनको अमेठी भेज दिया.
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दरअसल, राहुल गांधी का अमेठी का दौरा और वहां उनका भावात्मक भाषण जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है. राहुल ने अमेठी के लोगों से घर-परिवार का नाता बताया है. राहुल के भाषण के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या राहुल गांधी घर वापसी करने जा रहे हैं? क्या राहुल अगला चुनाव अमेठी से लड़ेंगे? यह बड़ा सवाल है राहुल ने पिछली बार दो सीटों से चुनाव लड़ा था और यह घातक गलती साबित हुई थी. दरअसल, अमेठी के लोगों को आभास हो गया था कि वे अमेठी छोड़ सकते हैं तो जो सीट वे 2014 की नरेंद्र मोदी की पहली लहर में भी नहीं हारे थे वह 2019 में हार गए. इसलिए राहुल गांधी को बहुत सोच समझ कर 2024 का फैसला करना होगा. कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि, राहुल अमेठी से लड़ें तो जोखिम उठा कर अकेले इसी सीट से लड़ना होगा और उसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी.
आपको याद दिला दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी 1977 में रायबरेली सीट से चुनाव हार गई थीं, लेकिन ढाई साल के बाद ही लोगों ने उनकी बड़ी जीत दिलाई थी. इस दौरान वे चिकमंगलूर से लोकसभा का चुनाव जीत गई थीं लेकिन 1980 के आम चुनाव में वे फिर बरेली से लड़ीं और बगल की अमेठी सीट से संजय गांधी लड़े. फिर संजय गांधी के निधन के बाद उस सीट पर उपचुनाव में राजीव गांधी लड़ कर जीते थे. एक बार चुनाव हारे राहुल के लिए वापसी का मौका है. अगर इस बार उन्होंने क्षेत्र छोड़ा तो वह हमेशा के लिए छूट सकता है.
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कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अमेठी को लेकर राहुल गांधी का अगला कदम आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों से तय होने की संभावना है. लेकिन कुछ अन्य सूत्र कहते हैं कि, विधानसभा चुनाव का नतीजा चाहे कुछ भी आए राहुल के लिए अमेठी में अगले चुनाव में हालात अनुकूल रहेंगे. अगर भाजपा फिर से जीत जाती है तो 2024 के चुनाव में केंद्र सरकार के खिलाफ 10 साल की और राज्य सरकार के खिलाफ सात साल की एंटी इन्कंबैंसी होगी, जिसका फायदा राहुल को जरुर मिलेगा. दूसरी तरफ ये भी तय है कि अगर भाजपा इस बार के विधानसभा में नहीं जीत पाती है तो वैसे भी 2024 में विपक्ष के लिए हालात अनुकूल होंगे, इसीलिए पार्टी के ज्यादातर नेता अभी से अमेठी में राहुल की तैयारियों के पक्ष में हैं.