Politalks.News/Delhi. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मोदी सरकार पर एक बार फिर तेज हमला किया है. कोरोना और अर्थव्यवस्था के बाद राहुल गांधी ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा वार किया है और केंद्र सरकार पर देश के रोजगार और जमा पूंजी को नष्ट करने का गंभीर आरोप लगाया है, साथ ही इसका फायदा उनके खास पूंजीपति मित्रों को पहुंचाने की बात भी कही है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर अपनी बात सभी के सामने कही है. बता दें कि सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) का निजीकरण होने वाला है. राहुल गांधी ने इस निजीकरण को अनावश्यक बताया है.
राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर तीखी हमला किया और केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप जड़े. राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, ‘आज देश मोदी सरकार-निर्मित कई आपदाएं झेल रहा है जिनमें से एक है अनावश्यक निजीकरण. युवा नौकरी चाहते हैं पर मोदी सरकार PSUs का निजीकरण करके रोजगार और जमा पूंजी नष्ट कर रही है. फायदा किसका? बस चंद ‘मित्रों’ का विकास, जो हैं मोदी जी के खास.’ जाहिर है कि कांग्रेस नेता का सीधा निशाना अंबानी-अडाणी पर ही है.
आज देश मोदी सरकार-निर्मित कई आपदाएँ झेल रहा है जिनमें से एक है अनावश्यक निजीकरण।
युवा नौकरी चाहते हैं पर मोदी सरकार PSUs का निजीकरण करके रोज़गार व जमा पूँजी नष्ट कर रही है।
फ़ायदा किसका?
बस चंद ‘मित्रों’ का विकास
जो हैं मोदी जी के ख़ास।Stop Privatisation Save Govt Jobs.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 7, 2020
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गौरतलब है कि जीडीपी के आंकड़े सामने आने के बाद सरकार के सामने कई नई चुनौतियां हैं. ऐसे में केंद्र सरकार कई सरकारी कंपनियों को प्राइवेट हाथों में देने की योजना बना रही है. सरकार का मानना है कि इससे सरकारी बोझ कम होगा. बीपीसीएल के अलावा केंद्र सरकार भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के निजीकरण की भी तैयारी कर रही है. कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. वीआरएस स्कीम लागू होने के बाद से ही इस सरकारी कंपनी की हालत खराब हो रही है. कंपनी ने 30 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पहले ही निकाल दिया है. इन कर्मचारियों का एक साल से भी अधिक का वेतन बकाया है. वहीं कॉन्ट्रैक्टर के जरिये काम कर रहे 20 हजार कामगारों पर छंटनी की तलवार लटक रही है. माना जा रहा है कि दिवाली से पहले इन सभी की नौकरियां जा सकती है.
2019 में वीआरएस के तहत कम से कम 79 हजार कर्मचारियों को पहले से ही घर बिठाया जा चुका है. अलग-अलग शहरों में मैनपावर की कमी से नेटवर्क में दिक्कत लगातार बनी हुई है. ऐसे में उपभोक्ताओं का भी बीएसएनएल से मोह भंग होता जा रहा है. कंपनी की वित्तीय हालात इतनी खराब हो चुकी है कि वीआरएस स्कीम के तहत बड़ी संख्या में कर्मचारियों के चले जाने के बाद भी मौजूदा कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. पिछले 14 महीनों में 13 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी वेतन न मिलने की वजह से आत्महत्या तक कर चुके हैं. लॉकडाउन के चलते स्थिति ज्यादा खराब हो गई है.
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इसी कड़ी में केंद्र सरकार देश के कई एयरपोर्ट्स को भी निजी हाथों में देने का नोटिफिकेशन भी जारी कर चुकी है. देश के 11 एयरपोर्ट को 50 साल की अवधि के लिए निजी हाथों में सौंपा जा रहा है ताकि इससे सरकार के खजाने में मोटा पैसा आ सके. कुछ की निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और शेष की प्रक्रिया चल रही है. एलआईसी (LIC) को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है. सरकारी कंपनियों को लगातार निजी हाथों में देने को लेकर देशभर में बवाल मच रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साधी हुई है.