पॉलिटॉक्स न्यूज़. भोपाल के शाहजहांनी पार्क में नियमितीकरण की मांग को लेकर अतिथि विद्वानों का 73 दिनों से बदस्तूर जारी धरने ने सियासी रंग ले लिया है. बुधवार को धरने पर बैठी एक महिला अतिथि विद्वान ने अपना विरोध तेज करते हुए मुंडन करवा लिया. इसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई और ये घटना देशभर में सुर्खियों में आ गई. धरने को अब विपक्ष का समर्थन मिलना शुरु हो गया है. इस घटना पर जहां पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए कमलनाथ सरकार पर प्रदेश को शर्मसार करने का आरोप लगाया तो वहीं पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ.नरोत्तम मिश्रा धरने स्थल पर पहुंच महिला के केशों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने देने की बात कही.
मुंडन कराने वाली महिला का नाम डॉ.शाहीन खान है. वह कटनी के पालू उमरिया शासकीय महाविद्यालय में हिन्दी पढ़ाती हैं. अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ.आशीष पांडे के अनुसार, संगठन द्वारा 2 दिसंबर से छिंदवाड़ा से आंदोलन शुरू किया गया था. उसके बाद शाहजहांनी पार्क में धरना लगातार जारी है. वहीं संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. देवराज सिंह ने बताया कि फिलहाल एक महिला अतिथि विद्वान ने मुंडन कराया है. आगामी 26 फरवरी को चार महिलाएं और 4 मार्च को महिला और पुरुष मुंडन कराकर सरकार से नियमितीकरण की गुहार लगाएंगे. इस मौके पर डॉ.शाहीन ने कमलनाथ सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि सरकार द्वारा वचन पत्र में किए गए वादे कहां गए? अब हमारे लिए जीवन और मौत का मामला है. हमें जब तक लिखित आर्डर नहीं मिल जाता, तब तक यहां से नहीं हटेंगे. हमें मुख्यमंत्री के आने का इंतजार है.
मोर्चा के संयोजक डॉ. देवराज ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार के पास आईफा अवार्ड्स कराने के लिए पैसा है. फिल्मों को टैक्स फ्री करने के लिए पैसे हैं लेकिन वचनपत्र में किए गए वादे को पूरा करने के लिए सरकार बार-बार वित्तीय संकट का हवाला दे रही है.
इस कृत्य पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए सीएम कमलनाथ से सवाल किया कि, ‘मुख्यमंत्री जी, आज भी केश नारी के सम्मान का प्रतीक हैं. अतिथि विद्वान बहनों ने आपकी सोती हुई सरकार को नींद से जगाने के लिए अपने केश त्यागे (मुंडन), क्या आज आपको उनकी पीड़ा का अंदाज़ा है?’
मुख्यमंत्री जी, आज भी केश नारी के सम्मान का प्रतीक हैं।
अतिथि विद्वान बहनों ने आपकी सोती हुई सरकार को नींद से जगाने के लिए अपने केश त्यागे, क्या आज आपको उनकी पीड़ा का अंदाज़ा है?
क्या आपकी नज़र में आज प्रदेश शर्मसार हुआ?
क्या उनकी भलाई के लिए आप कोई कदम उठाएंगे? #MP_मांगे_जवाब https://t.co/Ev4xUlphVj
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 19, 2020
बता दें, अपने ट्वीट में शिवराज सिंह ने कमलनाथ के फरवरी, 2018 में किए एक ट्वीट को टैग भी किया है जिसमें उन्होंने करीब करीब ऐसा ही ट्वीट कर तत्कालीन शिवराज सरकार पर निशाना साधा था.
इसी बीच पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ.नरोत्तम मिश्रा धरना स्थल पहुंचे और मुंडन कराने वाली महिला से वादा किया कि आपके केशों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी. उन्होंने कहा कि अतिथि विद्वानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. मिश्रा ने प्रदर्शन कर रहे अतिथि विद्वानों को विश्वास दिलाया कि आपकी लड़ाई को विधानसभा के सत्र में मंजिल तक पहुंचाने के लिए हम हर संभव कदम उठाएंगे.
वहीं कमलनाथ सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने इस मामले पर कहा कि महिला अतिथि विद्वानों को मैंने हर बार कहा है कि हम एक-एक को रिक्रूट करेंगे. पिछले 30 साल से पीएससी की वैकेंसी नहीं निकली है, लेकिन हमने 1700 शिक्षकों की भर्ती के लिए नौकरी निकाली. इसमें 600 शिक्षकों को भर्ती किया जा चुका है. अतिथि विद्वानों की बात है तो मैं उनके आंदोलन में गया था. वहां भी मैंने उन्हें कहा है कि एक भी अतिथि विद्वान बाहर नहीं होगा.
बता दें, शिक्षा महिलाओं का मुंडन कर विरोध प्रदर्शन कोई नया नहीं है. दो साल पहले भी ऐसा एक कृत्य यहां हो चुका है जब शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ीं महिला कर्मचारी मांगों के लिए इस तरीके से विरोध जाहिर किया है. 13 जनवरी, 2018 को जंबूरी मैदान में धरना दे रही 4 महिला अध्यापकों ने मुंडन करवाकर शिवराज सरकार को चुनौती दी थी. तब आंदोलन आजाद अध्यापक संघ द्वारा किया गया था. उस दौरान कमलनाथ ने ट्वीट कर तत्कालीन बीजेपी की शिवराज सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया था.