पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया और अब जल्द ही राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश में लागू भी हो जाएगा. लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा चौकानें वाली बात जो रही वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति. संसद के दोनों ही सदनों पहले लोकसभा फिर राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति (PM Modi’s Absence) राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है. बिल पर लोकसभा में बहस दौरान पीएम मोदी झारखंड थे, लेकिन शाम तक वो दिल्ली आ चुके थे और बिल सोमवार को आधी रात के बाद पारित हुआ था, ऐसे में वो सदन में आ सकते थे.
इसी प्रकार राज्यसभा में बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल पर लगभग आठ घण्टे से ज्यादा चली बहस के बाद 125 मतों से पारित हुआ, लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी यहां भी नजर नहीं आए और अमित शाह अकेले ही विपक्ष को पटखनी देते नजर आए. जबकि ये विधेयक बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे का महत्वपूर्ण पार्ट भी है. ऐसे में नरेन्द्र मोदी की अनुपस्थिति (PM Modi’s Absence) क्या अचानक परिस्थितिजन्य रही या फिर इसके पीछे भी थी कोई रणनीति? इन सवालों के जवाब को लेकर राजनीतिक गलियारों में चल रही हैं कई खास चर्चाएं.
कुछ सुधीजनों का कहना है कि चूंकि अमित शाह खुद इस विधेयक के रणनीतिकार थे, अमित शाह काफी लम्बे समय से आक्रामक रूप से इसकी पैरवी करते आ रहे थे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर कभी बोलते नजर नहीं आए. इसीलिए पीएम मोदी ने अपने आप को इससे दूर रखा ताकि अगर कहीं ये बिल सदन में पास नहीं हो पाता और वोटिंग के आधार पर बिल खारिज कर दिया जाता तो इस failure का ठप्पा भी सिर्फ अमित शाह के माथे ही मंडता और नरेंद्र मोदी अपनी विजयी छवि को बरकरार रख लेते (PM Modi’s Absence).
दूसरी ओर, जैसा कि अंदेशा भी था (PM Modi’s Absence) इस बिल को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच से भी इसकी खिलाफत की जा सकती है तो ऐसा हुआ भी, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर कहा कि इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है. USCIRF ने कहा कि, “नागरिकता संशोधन विधेयक गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.” यूएससीआईआरएफ ने कहा, ‘अगर यह बिल दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए. अमित शाह द्वारा पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है.’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो कि एक सफल राजनयिक की अपनी छवि बनाने में जुटे हैं और खुद को शांति के लिए मिलने वाले नोबल पुरस्कार का विजेता मान कर चल रहे हैं, ऐसे में उन्होंने अपने आप को इस प्रकार की आलोचना से भी बचा लिया. तो क्या किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने के दौरान अपने आप को दोनों सदनों से दूर रखा, इस पर चर्चा जारी है (PM Modi’s Absence).