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महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार घटनाक्रम के बाद शांति बनी हुई थी लेकिन प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल पैदा होते दिख रही है. ये हलचल एनसीपी प्रमुख शरद पवार के एक बयान के बाद हुई है. शिंदे ने एक प्रबल दावा करते हुए शिंदे गुट और अजित पवार गुट को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक ‘पवार फॉर्मूला’ बताया है. पवार ने दावा किया है कि अगर यह फॉर्मूला काम करता है तो महाराष्ट्र में बदलाव ला सकते हैं. एक पुस्तक विमोचन समारोह में पवार ने सभी के समक्ष ये बात कही. शरद पवार ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के साथ मंच साझा किया. 2 जुलाई को अजित पवार के विद्रोह के कारण एनसीपी के विभाजन के बाद यह पहली बार था कि एमवीए के तीनों सहयोगियों के नेताओं ने मंच साझा किया.

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एमवीए निर्णय ले तो ला सकते हैं बदलाव

एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने पवार फॉर्मूले को बताते हुए कहा कि अगर उनकी पार्टी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) निर्णय लें, तो वे महाराष्ट्र में बदलाव ला सकते हैं. उन्होंने सीधे सीधे महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि अगर तीनों घटक एक साथ आ जाएं तो बीजेपी, शिंदे गुट और अजित गुट को सत्ता विहीन किया जा सकता है. बता दें कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) राज्य में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के घटक हैं.

पवार का दावा नहीं जुड़ेंगे शिंदे से

शरद पवार ने मंच पर बैठे अपने सहयोगी दलों और सामने बैठी जनता के समक्ष यह भी दावा किया कि वो वर्तमान की शिंदे सरकार के साथ कभी नहीं जुड़ने वाले हैं. पवार ने बताया कि गकिया कि कैसे पिछली सरकारों ने प्राचीन कला और संस्कृति, साहित्य और इतिहास के संरक्षण में मदद की थी. उन्होंने कहा कि हमारे लिए वर्तमान राज्य सरकार के साथ जुड़ना मुश्किल है, लेकिन कोई न कोई समाधान निकलेगा. अगर हम तीन (एमवीए घटक) ठान लेते हैं, तो बदलाव हो सकता है.

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