ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटें ही तय करेंगी प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस का क्या होगा सियासी भविष्य?

क्या बचा रहेगा शिवराज सिंह का ताज या जैसा कि कांग्रेस ने किया हुआ है दावा कि इस बार 15 अगस्त को झंडा तो फहराएंगे कमलनाथ ही? मध्यप्रदेश के राजनीतिक समीकरण में ग्वालियर-चंबल इलाके में जीत दर्ज करने वाले को सत्ता की चाभी मिलना माना जाता है तय

कमलनाथ-सिंधिया-शिवराज
कमलनाथ-सिंधिया-शिवराज

पॉलिटॉक्स न्यूज़/एमपी. मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस से बागी होकर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभुत्व वाली ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटें ही तय करेंगी कि प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस का सियासी भविष्य क्या होगा? क्या शिवराज सिंह का ताज बचा रहेगा या जैसा कि कांग्रेस ने दावा किया हुआ है कि इस बार 15 अगस्त को झंडा तो कमलनाथ ही फहराएंगे? मध्यप्रदेश के राजनीतिक समीकरण में ग्वालियर-चंबल इलाके में जीत दर्ज करने वाले को सत्ता की चाभी मिलना तय माना जाता है.

यही वजह है कि ग्वालियर-चंबल की 16 विधानसभा सीटें बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गयी हैं. सीधे-सीधे कहें तो इन पर कांग्रेस और बीजेपी में गए सिंधिया की साख दांव पर लगी है. बीजेपी यदि 2018 के मुकाबले इस बार यहां सीटें जीतती है तो वह सत्ता में बनी रहेगी. अगर कांग्रेस पार्टी सिंधिया के बिना जीत बरकरार रख पाती है तो निश्चित तौर पर बीजेपी की स्थिति डांवाडोल हो सकती है. यही कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस ग्वालियर चंबल इलाके की इन 16 विधानसभा सीटों पर है. पिछले विधानसभा चुनाव में सिंधिया के दम पर कांग्रेस ने ये इलाका जीता था, लेकिन इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक बीजेपी में जा खड़े हुए हैं. इसलिए कांग्रेस के लिए इन सीटों पर पार पाना बड़ी चुनौती बन गई है.

बीजेपी ग्वालियर-चंबल इलाके में भले ही पार्टी के बड़े नेता शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर के साथ चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन, पार्टी को जीत दिलाने का पूरा दारोमदार ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ही होगा. ग्वालियर और चंबल इलाका ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ कहलाता है. ऐसे में बीजेपी सिंधिया का चेहरा आगे रखकर ही ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

वहीं दूसरी ओर वक़्त की इस नज़ाकत को कांग्रेस भी भांप चुकी है. कांग्रेस को पता है कि ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस का चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया थे और अब उनके बीजेपी में जाने पर कांग्रेस के लिए जीत दर्ज करा पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. इसलिए पार्टी ने ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटों के लिए कांग्रेस की मजबूत टीम उतारने का प्लान तैयार किया है. कांग्रेस का मकसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की घेराबंदी करने का है. इसके लिए पार्टी ने कभी सिंधिया के करीबी रहे प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत, ग्वालियर में सिंधिया के घुर विरोधी डॉक्टर गोविंद सिंह, केपी सिंह और पूर्व मंत्री लाखन यादव समेत अशोक सिंह को रणनीति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. उपचुनावों में कांग्रेस के निशाने पर पाला बदलने वाले दलबदलु विधायकों से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया होंगे.

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इस बारे में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत का कहना है ग्वालियर चंबल इलाके में सिंधिया के मुकाबले कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ेगी. वहीं बीजेपी नेता और केबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मानना है कांग्रेस के पास ग्वालियर चंबल इलाके में उम्मीदवारों का टोटा है. ऐसे में टीम कैसे तैयार होगी इसका अंदाज लगाया जा सकता है.

गौरतलब है कि प्रदेश में पहली बार कांग्रेस अपने दम पर ग्वालियर चंबल इलाके में चुनाव मैदान में उतरेगी और वो भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लड़ेगी. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि कमलनाथ की रणनीति पर टीम कांग्रेस सिंधिया के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन पाती है और साथ ही सिंधिया को उनके इलाके में ही मात देकर सत्ता में वापसी कर पाती है?

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