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‘एक देश-एक चुनाव’के लिए देश की सियासत में बहस अब जोर पकड़ने लगी है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति के लिए केंद्र सरकार ने आठ शीर्ष सदस्यों के नाम जारी कर दिए हैं जिनमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का नाम भी शामिल हैं. हालांकि उन्होंने इस समिति में शामिल होने से स्पष्ट इनकार कर दिया है. कांग्रेस सांसद ने इस समिति को संसदीय लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश बताया. उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को समिति में शामिल न करने पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ऐसा न किया जाना संसदीय लोकतंत्र का अपमान है.

समिति पर ‘अधीर’ हुए रंजन चौधरी, काम करने से किया मना

‘एक देश-एक चुनाव’ के लिए बनायी गयी समिति के लिए सरकार ने आठ सदस्यों के नाम जारी किए हैं. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी, 15वें​ वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य और विधि विभाग के सचिव नितेन चंद्र समिति के सचिव होंगे. समिति यह भी देखेगी कि इसके लिए राज्यों की सहमति कितनी जरूरी है या कितने राज्यों की सहमति जरूरी होगी. समिति लोकसभा-विधानसभा, नगर पालिका और पंचातयों के चुनाव एक साथ कराने का संभावित रास्ता भी बताएगी.

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कमेटी में नाम आने के बाद अधीर रंजन ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए इस समिति में काम करने से स्पष्ट तौर पर मना कर दिया. अधीर ने कहा कि इसका गठन ऐसे किया गया है कि नतीजे पहले से तय हो सकें. आम चुनाव से पहले ऐसी समिति सरकार के गुप्त मंसूबों की ओर इशारा करती है, जिसमें संवैधानिक रूप से एक संदिग्ध व्यवस्था को लागू करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को शामिल नहीं करना संसदीय लोकतंत्र का अपमान है.

इधर, सरकार ने तर्क दिया है कि 1951-52 से 1967 तक चली एक देश एक चुनाव की व्यवस्था की ओर एक बार फिर लौटना चाहिए. अलग चुनाव अपवाद की स्थिति में होना चाहिए. नियम यह हो कि लोकसभा और विधानसभाओं के लिए चुनाव में पांच साल में एक बार होना चाहिए. शनिवार को जारी अधिसूचना में सरकार ने विधि अयोग की 170वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि हर साल और बिना तय समय के होने वाले चुनाव रुकने चाहिए.

केंद्र सरकार ने 5 दिवसीय विशेष सत्र बुलाया

एक देश एक चुनाव की चर्चा के बीच केंद्र सरकार ने संसद का पांच दिन विशेष सत्र बुलाया है. यह 18 सितंबर से शुरू होगा. इसमें 5 बैठकें होंगी. इस सत्र को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं. यह सत्र क्यों बुलाया गया है, इसे लेकर सरकार की तरह से अभी कोई बयान नहीं आया है. हालांकि इसमें लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल संसदीय टेबल पर लाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा हुआ है. इसके अलावा, नए संसद भवन में ​शिफ्टिंग, यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश करने, महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना और आरक्षण पर प्रावधान जैसे संभावनाओं पर भी चर्चा गरम है.

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