Politalks.News/PunjabPolitics. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में कई मुद्दों को लेकर सियायत गरमाई हुई है. इसी बीच गुरुवार को पंजाब विधानसभा में जारी विशेष सत्र के दौरान जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. सूत्रों के अनुसार सदन में अकाली दल के विधायकों और कांग्रेस विधायकों के बीच हाथापाई की नौबत तक आ गई. वहीं सत्र के दौरान बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर बोलते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भाजपा की केंद्र सरकार और शिरोमणि अकाली दल को खूब आड़े हाथ लिया. चन्नी ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अकाली दल ने विरोध नहीं जताया और केंद्र ने राज्य के अधिकारों में दखल देना शुरू कर दिया. सीएम चन्नी ने अकाली दल को गद्दार पार्टी करार देते हुए कहा कि पंजाब में आरएसएस और भाजपा को कोई भी नहीं आने देता, जबकि अकाली दल खुद भाजपा और आरएसएस को पंजाब में लेकर आया. यहीं नहीं मुख्यमंत्री चन्नी ने आरएसएस को पंजाब का सबसे बड़ा दुश्मन भी बताया.
वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में है. कैप्टन ने एक बार फिर केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाये गए BSF के अधिकार क्षेत्र को सही ठहराया. कैप्टन ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए और BSF के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की सलाह दी है. पंजाब विधानसभा में चन्नी सरकार ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी और कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है . ऐसे में कैप्टन और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज होने के आसार बन गए हैं.
यह भी पढ़ें- प्रशासन गांवों के संग अभियान में आए फरियादी पर बिफरे परसादी, बोले- मैं क्या करूं….गेट आउट..
पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दूसरे दिन BSF से जुड़े मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ. साथ ही इस हंगामे के बीच सूबे के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने वाली केंद्रीय अधिसूचना को खारिज करने का आधिकारिक प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया. प्रस्ताव रखे जाने पर वहां मौजूद बीजेपी के दो विधायक कुर्सी छोड़ सदन से बाहर चले गए. इस दौरान सदन में रंधावा ने BSF मुद्दे पर दो टूक कहा कि, ‘अगर यह अधिसूचना वापस नही ली गई तो वे अधिसूचना को लेकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे’.
सूत्रों के अनुसार सदन में शिरोमणि अकाली दल के सदस्य और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हाथापाई की नौबत तक की भी खबर सामने आई है. अकाली विधायकों ने कृषि कानूनों के संबंध में आधिकारिक प्रस्ताव पर पीसीसी प्रमुख नवजोत सिद्धू के भाषण को रोक दिया कर दिया, क्योंकि नवजोत सिद्धू ने शिअद पर कृषि कानूनों के वास्तुकार होने का आरोप लगा रहे थे. उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय कानून 2013 में अकाली सरकार द्वारा लाए गए इसी तरह के अधिनियम पर आधारित था. इस बीच सिद्धू और अकालियों के बीच जुबानी जंग के बीच सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित भी करना पड़ा. हालांकि इस बारे में खबर लिखे जाने तक ज्यादा स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है. लेकिन वीडियो जो वायरल हो रहा है उसमें चोर शब्द सुनाई दे रहा है.
यह भी पढ़ें- 1947 की आजादी भीख थी- कंगना के बयान पर वरुण का ‘तगड़ा’ जवाब- इसे पागलपन कहूं या देशद्रोह?
इस के बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू विधानसभा के विशेष सत्र के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आज विधानसभा सत्र का बहुत महत्वपूर्ण दिन था. राज्य के संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में चर्चा होनी थी लेकिन विपक्षी दलों ने जानबूझकर वहां हंगामा किया. पंजाब के कर्ज पर चिंता जताते हुए और आंकड़े बताते हुए नवजोत सिद्धू ने कहा कि कभी देश का नंबर एक राज्य था, पंजाब अब सबसे ज्यादा कर्जदार राज्य है. वर्तमान परिदृश्य भविष्य में पंजाब में गृहयुद्ध का कारण बन सकता है.
वहीं पंजाब विधानसभा में चन्नी सरकार ने BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के खिलाफ आधिकारिक प्रस्ताव पास करवा लिया हो लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मुद्दे पर अब तक केंद्र सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. केंद्र ने BSF का अधिकार क्षेत्र 50 KM तक बढ़ा दिया था. इसे लेकर कैप्टन ने कहा कि, ‘यह संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं है, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए’. अमरिंदर सिंह ने आगे कहा कि, ‘BSF का अधिकार क्षेत्र बढ़ना पंजाब पुलिस की क्षमता पर सवाल नहीं उठाता. राजनीतिक स्वार्थ के चलते इसे मुद्दा बनाया जा रहा है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए’.
यह भी पढ़ें- सोनिया-राहुल के इशारे पर हो रहा हिंदुओं का अपमान- हिन्दुत्व की तुलना ISIS से करने पर भड़की BJP बोली
साथ ही कैप्टन ने आगे यह भी कहा कि, ‘इस मुद्दे से वही लोग खेल रहे हैं, जिन्हें लॉ एंड ऑर्डर और राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में कुछ भी पता नहीं है. BSF भी पंजाब पुलिस की तरह हमारी ही फोर्स है. यह कोई बाहरी या विदेशी सेना नहीं है, जो हमारी जमीन पर कब्जा करने आ रही है’. आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से नई पार्टी का एलान भी कर चुके हैं. अमरिंदर फिलहाल विधायक हैं लेकिन उन्होंने दो दिवसीय विधानसभा के विशेष सत्र में भाग नहीं लिया.
वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने भी विधानसभा में पारित हुए BSF पर प्रस्ताव को लेकर सभी कांग्रेस नेताओं का स्वागत किया. तिवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘बीएसएफ मुद्दे पर पंजाब विधानसभा का संकल्प पंजाब राज्य की सर्वसम्मत इच्छा को दर्शाता है, यह एक अच्छा कदम है. हालांकि यदि पंजाब का राजनीतिक वर्ग गंभीर है तो COI के अनुच्छेद 131 के तहत मूल मुकदमा दायर करके अधिसूचना की सामूहिक संवैधानिक चुनौती ही आगे का रास्ता है’