निर्भया मामला: दोषी विनय शर्मा की सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी का बहाना बनाने वाली याचिका खारिज

पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज की याचिका, आपने पानी के लिए पूछा, यह मेरे लिए ग्लूकोज है- कोर्ट में बोले निर्भया के वकील, चारों दोषियों को 3 मार्च को होनी है फांसी, फिर कानूनी दांव पेचों का सहारा ले रहे दोषी

Nirbhaya Case
Nirbhaya Case

पॉलिटॉक्स न्यूज़. निर्भया के दोषी विनय शर्मा की सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी का बहाना बनाने वाली अर्जी को पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अर्जी लगाते हुए वकील एपी सिंह ने दावा किया था कि सिर पर चोट लगने की वजह से विनय को मानसिक बिमारी सिजोफ्रेनिया हो सकती है क्योंकि वो अपनी मां को भी नहीं पहचान पा रहा है. इस पर कोर्ट ने विनय का मेडिकल और इलाज करने को कहा था. शनिवार को विनय की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को रद्द कर दिया कि उनकी दिमागी हालत एकदम सही है. सुनवाई के दौरान वकील एपी सिंह जी-तोड़ कोशिश करते रहे कि वो अपने दावे को साबित कर सकें. इसके लिए वे तरह तरह के लॉजिक दे रहे थे और थोड़े भावुक भी दिखे. बेतुके लॉजिक देकर थक चुके वकील एसपी सिंह को जज ने कहा कि एक ग्लास पानी पी लीजिए इस पर वकील एपी सिंह ने कहा कि आपने पानी के लिए पूछा, यह मेरे लिए ग्लूकोज है.

इससे पहले दोषी विनय के वकील ने बुधवार को इस बिनाह पर पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि विनय मानसिक बिमारी का शिकार है. सुनवाई के दौरान पैरवी करते हुए उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि 17 फरवरी को वे जेल गए थे. उस दौरान विनय से मिलने 5 लोग आए लेकिन जेल प्रशासन ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी. वो इसलिए क्योंकि विनय को सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी है जिसमें मरीज लोगों को पहचान नहीं पाता है. वकील सिंह ने विनय के हाथ में भी चोट लगने की बात कही.

यह भी पढ़ें: ‘कब करनी है परिवार से अंतिम मुलाकात’- जेल प्रशासन ने पूछा निर्भया के दोषियों से

इस पर तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा कि दोषी विनय शर्मा ने जेल में अपना सिर फोड़ लिया था लेकिन उसका स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है. उसका इलाज कोर्ट के मुताबिक ही हुआ है. विनय को कोई मानसिक बीमारी नहीं है. जेल के डॉक्टर ने इसकी पुष्टि की है. विनय के हाथ में कोई चोट नहीं आई है. रेडियोलॉजिस्ट ने रिपोर्ट तैयार करके दी है.

जेल प्रशासन ने यह भी कहा कि दोषियों का हर दिन चेकअप कराया जा रहा है. तिहाड़ सुप्रीटेंडेंट की यह जिम्मेदारी है कि दोषियों का मेडिकल चेकअप कराया जाए. सभी दोषियों की मानसिक और शारीरिक जांच पर नजर रखी जा रही है. वहीं विनय की मानसिक बिमारी के संदर्भ में जेल प्रशासन ने कहा कि विनय ने दो बार फोन पर बातचीत की है. पहली बार अपनी मां से और दूसरी बार अपने वकील से. ऐसे में यह कहना कि दोषी विनय अपनी मां को नहीं पहचान रहा है, सरासर गलत बात है. फिलहाल विनय की चुनाव आयोग में लगाई एक अर्जी लंबित है.

बता दें, 16 दिसंबर, 2012 की रात को दिल्ली की एक बस में 6 लोगों द्वारा एक युवती के साथ सामुहिक दुष्कर्म के मामले में 4 दोषियों को 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है. अन्य दोषियों में एक ने जेल में सुसाइड कर लिया था और दूसरा नाबालिग होने के चलते 2015 में रिहा हो चुका है. मामले को 7 साल से अधिक समय बीत चुका है जिससे चलते मामला देश के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. कानूनी दांव पेचों का आसरा ले पहले भी दो बार डेथ वारंट टला चुके हैं दोषी. तीसरी बार तय हुई फांसी की तिथि भी टालने की पुरजोर कोशिश में जुटे चारों दोषी.

Leave a Reply