Politalks.news/Rajasthan. बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर हाईकोर्ट की तरफ से उक्त सभी विधायकों को नोटिस तामील करवा दिए गए हैं. बीते दिन रीडर ने पुलिस की मौजूदगी में जैसलमेर के सूर्यागढ़ रिजॉर्ट पहुंच सभी विधायकों को नोटिस थमाए. नोटिस मिलने के बाद बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नदबई विधायक जोगेंदर सिंह अवाना (Joginder Singh Awana) ने साफ किया कि कांग्रेस में विधायक दल का विलय हुआ है, बसपा पार्टी का विलय नहीं हुआ है. अवाना ने प्रदेश पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें परेशानियां बताई गई थी लेकिन न तो उन्होंने कोई कदम उठाया, न ही बसपा सुप्रीमो तक बात पहुंचाई.
कांग्रेस में विधायक दल के विलय के लिए बसपा के तत्कालीन प्रदेश पदाधिकारियों को दोषी ठहराते हुए विधायक अवाना ने कहा कि बसपा के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सीताराम मेघवाल और प्रदेश प्रभारी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम को हमने अपनी पीड़ा बताई थी. उन्होंने ना तो हमारी बात सुप्रीमो मायावती तक पहुंचने दी और ना ही हमें मिलने दिया. उन्होंने पार्टी सुप्रीमो को गुमराह किया. मजबूरन अपने क्षेत्र के विकास के लिए हम सभी बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल होना पड़ा.
अवाना ने कहा कि प्रदेश में बसपा खुद दुविधा में थी. एक तरफ तो गहलोत सरकार को समर्थन कर रही थी, वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ खड़ी थी. ऐसे में हमारी स्थिति अजीब हो गई थी. हमने तो पार्टी से विपक्ष में बैठने को कहा था लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई.
यह भी पढ़ें: शुरू हुआ भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच फाइनल टकराव! अबकी बार आर-पार
विधायक ने कहा कि हम जिस मिशन भाव को लेकर चल रहे थे, वही कांग्रेस का था इसलिए हमने कांग्रेस में सहभागी होने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में बसपा विधायक दल का विलय हुआ है, न की पार्टी का इसलिए बसपा द्वारा जो भी आपत्ति जताई गई है वह गलत है. इससे पहले पार्टी चुनाव आयोग और स्पीकर के पास जा चुकी है, जहां कानूनन उनके दावे को नकारा जा चुका है.
नोटिस मिलने पर अवाना ने कहा कि कोर्ट का नोटिस हमें मिल गया है. नोटिस मुख्य रूप से स्पीकर को जारी हुआ है, लेकिन हम इसमें सहभागी पक्षकार हैं. इस संबंध में कानून विशेषज्ञों से चर्चा के बाद जवाब पेश किया जाएगा. विधायक अवाना ने कहा कि हमने विलय में सभी नियमों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है इसलिए हम इसे लेकर चिंतित नहीं है.
बसपा सुप्रीमो मायावती के बारे में अवाना ने कहा कि वे हमारी आदरणीय हैं. उन्होंने हमें विधायक बनाया लेकिन विधायकों के कांग्रेस में विलय के लिए पार्टी की दोहरी नीति और तत्कालीन प्रदेश पदाधिकारी जिम्मेदार हैं. विलय के बाद अब हम पिछड़े लोगों के विकास के लिए ज्यादा काम कर रहे हैं.
अवाना ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में नदबई विधानसभा क्षेत्र में विकास के काफी काम हुए हैं जिनमें डिग्री कॉलेज, नगर पालिका, पंचायत समिति, ट्रोमा सेंटर, टोल केंद्र, इंडस्ट्रीज एरिया, देव नारायण छात्रावास, आईटीआई कॉलेज, स्टेडियम, सीएचसी, पांच पीएचसी आदि प्रमुख हैं. कांग्रेस विधायक ने विकास के अन्य काम भी होने की उम्मीद जताई है.
यह भी पढ़ें: 14 अगस्त को दिखेगी ‘जादूगर’ की जादूगरी, बीजेपी में सिर्फ वसुंधरा राजे ही हैं दमदार नेता- धारीवाल
गौरतलब है कि साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीएसपी टिकट पर संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुढ़ा ने जीत दर्ज की थी. सितम्बर, 2019 में ये सभी बीएसपी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. अब करीब 10 महीने बाद बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने स्पीकर से शिकायत करते हुए इसे दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन बताया. दिलावर ने हाल में राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया और अगस्त महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बीएसपी के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को खारिज करने की मांगी की. इसके बाद बसपा ने भी कांग्रेस में अपने विधायकों के विलय के खिलाफ दायिका दायर की.
मायावती ने आरोप लगाया था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन और बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी और असंवैधानिक काम किया है. इस संबंध में 11 अगस्त को फिर से सुनवाई है. प्रदेश में सियासी संकट के चलते सरकार पिछले एक महीने से बाडबंदी में कैद है.