14 अगस्त को दिखेगी ‘जादूगर’ की जादूगरी, बीजेपी में सिर्फ वसुंधरा राजे ही हैं दमदार नेता- धारीवाल

धारीवाल ने कहा- कोर्ट का फैसला हक में आए या खिलाफ सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पूनियां और राठौड़ का नहीं है कोई जनाधार, सतीश पूनियां ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी खुद की पार्टी टूट रही है, फिर भी हमारी फिक्र की जा रही है, बीजेपी व वसुंधरा जी पर मेहरबानी की जरूरत नहीं है

Rajasthan Political Crisis
Rajasthan Political Crisis

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने एक बयान देते हुए कहा कि राजनीति के जादूगर यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी 14 अगस्त को सदन में देखने को मिलेगी. वहीं बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय पर हाईकोर्ट की एकलपीठ के 11 तारीख को होने वाले फैसले पर मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि कोर्ट का फैसला हक में आए या खिलाफ, सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही बीजेपी पर तंज कसते हुए धारीवाल ने कहा कि बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और राजेन्द्र राठौड़ का कोई जनाधार नहीं है. जनाधर तो वसुंधरा राजे का है, जिन्हें इन दिनों साइडलाइन कर रखा है, वसुंधरा राजे ही वो नेता हैं जिनमें दम है. धारीवाल के बयान पर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी व वसुंधरा जी पर मेहरबानी करने की जरूरत नहीं है.

दरअसल, गुरुवार को बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने अहम फैसले में याचिकाकर्ता बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर को बड़ी राहत देते हुए सभी BSP विधायकों को नोटिस तामील कराने के निर्देश दिए हैं. वहीं खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की स्टे एप्लीकेशन का 11 अगस्त को निस्तारण करने के निर्देश भी एकलपीठ को दिए हैं. इसके साथ ही जैसलमेर जिला न्यायालय को सभी बसपा विधायकों को 8 अगस्त तक होटल में नोटिस तामिल कराने और उक्त नोटिस को अखबार के जैसलमेर-बाड़मेर एडिशन में पब्लिश करवाने के भी निर्देश दिए हैं. जरूरत पड़ने पर पुलिस अधीक्षक की सहायता लेने के निर्देश भी खण्डपीठ ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में दिए हैं. बता दे, हाईकोर्ट की खण्डपीठ के फैसले पर याचिकाकर्ता भाजपा विधायक मदन दिलावर ने संतोष जताया है.

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खंडपीठ के फैसले के तुरंत बाद सरकार में संसदीय मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जादूगर की जादूगरी अभी बाकी है जो 14 अगस्त को प्रदेश की राजनीति में दिख जाएगी. मंत्री धारीवाल ने बहुमत का दावा करते हुए कहा कि बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों पर अगर कोर्ट स्टे भी लगाती है तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है. हमारे पास पूर्ण बहुमत है तभी तो सदन बुलाने की मांग हमने की है. वहीं कांग्रेस में फूट के सवाल के शांति धारीवाल ने कहा कि अंतर्कलह तो बीजेपी में है हमारे यहां नहीं. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का कोई जनाधार नहीं है.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थन में बोलते हुए मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि जनाधर तो वसुंधरा राजे का है, जिन्हें इन दिनों साइड लाइन कर रखा है. वसुंधरा राजे वो नेता हैं, जिनमें दम है. धारीवाल ने ये भी कहा कि जिसके पास बहुमत होता है, वही तो सदन बुलाता है. हम तो चलाकर सदन बुला रहे हैं. सरकार को किसी भी तरह से कोई खतरा नहीं है.

मंत्री शांति धारीवाल के बयान पर तत्काल त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि उनकी खुद की पार्टी टूट रही है, फिर भी हमारी फिक्र की जा रही है. पूनियां ने कहा कि यदि खुद की चिंता करते तो ऐसी हालत नहीं होती. वहीं वसुंधरा राजे पर दिए बयान और बंगला पॉलिटिक्स पर पूनियां ने कहा कि बीजेपी व वसुंधरा जी पर मेहरबानी की जरूरत नहीं है. सरकार यू-टर्न लेने में माहिर है. दो साल में जाकर अन्नपूर्णा रसोई का टाइटल बदला है. वे सिर्फ टाइमपास कर रहे हैं.

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वहीं बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले पर बोलते हुए सतीश पूनियां ने कहा कि नोटिस पहुंचने के बाद आवश्यक है कि कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए. 11 अगस्त तक जब तक सिंगल बैंच अपना आदेश सुनाती है, तब तक इंतजार करना है. 14 अगस्त से पहले अविश्वास प्रस्ताव की बात कहना प्री-मैच्यौर होगा. वहीं धारीवाल पर निशाना साधते हुए पूनियां ने कहा कि अगर वो कोर्ट से बड़े हैं तो मुझे इस बारे में टिप्पणी नहीं करनी है. अभी सब कुछ ज्यूडिशियरी में है तो ऐसी टिप्पणी करना ठीक नहीं.

सतीश पूनियां ने कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं रहा. पूनियां ने कहा कि अब धीरे धीरे सामने आ रहा है कि जॉगिंग करने वालों के साथ पुलिस भाग रही है. विधायकों के लिए जैमर लगाए हुए हैं. बाहर निकलने, आपस में बात करने और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में गहलोत सरकार की सच्चाई सामने आ गई है.

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