ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा गंवा सकती हैं. चुनाव आयोग इन पार्टियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है. हाल ही लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों का प्रदर्शन राष्ट्रीय पार्टी के अनुरूप नहीं रहा.
चुनाव आयोग की नियमावली में चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) आदेश, 1968 के तहत राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए पार्टी को लोकसभा चुनाव में कम के कम 6 फीसदी वोट मिलना जरूरी है या फिर किसी भी राज्य में पार्टी के कम से कम चार सांसद दुबारा जीतकर आने चाहिए या पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम 2 फीसदी सीटें मिलनी चाहिए या पार्टी को कम से कम चार राज्यों में प्रांतीय पार्टी का दर्जा होना चाहिए.
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग ने पराजित पार्टियों का भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखा था. लेकिन इस बार चुनाव आयोग ऐसा नहीं करेगा. चुनाव आयोग के फैसले के बाद राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या आठ से घटकर पांच रह जाएगी. फिलहाल जिन आठ पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है, उनमें कांग्रेस, बीजेपी, माकपा, भाकपा, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस और मणिपुर, मेघालय, नगालैंड की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल है.
गौरतलब है कि इनमें से चार पार्टियों, तृणमूल, राकांपा, भाकपा और बसपा को चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किए थे. इन पार्टियों का जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग ने इनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त नहीं किया था. इन पार्टियों को राष्ट्रीय दर्जा साबित करने के लिए दूसरे लोकसभा चुनाव तक का समय दे दिया था. अब 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने तो अपना राष्ट्रीय दर्जा कायम रखा है, लेकिन तृणमूल, राकांपा और भाकपा दायरे से बाहर हैं. ये तीनों पार्टियां न तो राज्यों में अपना प्रदर्शन ठीक रख पाई, न ही उन्हें पर्याप्त वोट मिले.
इस बार पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन ठीक नहीं रहने से राकांपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म हो सकता है. तृणमूल कांग्रेस का पश्चिम बंगाल के अलावा और किसी राज्य में मौजूदगी नहीं है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त पार्टी एक ही चुनाव चिन्ह पर देश में कहीं भी चुनाव लड़ सकती है. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं होने पर यह नियम लागू नहीं होता. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म होने के बाद उस पार्टी को चुनाव के दौरान दूरदर्शन और आकाशवाणी जैसे माध्यमों पर भी प्रचार के लिए समय नहीं मिलता.