कांग्रेस विधायक और राजस्थान के पूर्व डीजीपी हरीश मीना ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि ऐसा लगता है, जैसे वन विभाग और पर्यटन विभाग होटल मालिकों की सेवा में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग पीढ़ियों से जंगल में रह रहे हैं, जहां उनकी जमीन है उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. हरीश मीना बजट में वन, पर्यटन एवं राजस्व विभाग की अनुदान मांगों पर बहस में भाग ले रहे थे.
मीना ने कहा कि जब से वन विभाग बना है, तब से वन भी कटे हैं और जानवर भी घटे हैं. वहां होटल माफिया भी पनप गया है. स्थानीय लोगों की जमीनें छीनकर उन्हें उनके ही गांवों से बेदखल कर दिया गया है. इसमें होटल माफिया, अधिकारी, नेता और बड़े पूंजीपति शामिल हैं. फॉरेस्ट एक्ट में कभी भी बड़े होटल वालों या किसी बड़े ग्रुप का चालान नहीं होता. अगर कोई गांव वाला लकड़ी बटोरने या मवेशी चराने के लिए जंगल में चला जाए तो उस पर फॉरेस्ट एक्ट में चालान हो जाता है. स्थानीय वनवासियों को जबरन परेशान करने का यह सिलसिला रुकना चाहिए.
मीना ने कहा कि बीसलपुर बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले कई गांवों के लोगों को अभी तक जमीन का अधिकार नहीं मिला है. वन विभाग और राजस्व विभाग इस जमीन को अपनी बताते हैं, इसलिए गरीब लोगों के जमीन के पट्टे नहीं बन रहे हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों से ज्यादा सुविधाएं सेंट्रल जेल में कैदियों को मिल रही है. उन्होंने राजस्व मंत्री हरीश चौधरी से कहा कि उत्तर प्रदेश और गुजरात में पटवारी के पद समाप्त कर दिए गए हैं. वहां राजस्व रिकॉर्ड का काम ग्राम पंचायतों को दे दिया गया है. इस व्यवस्था में यहां भी कुछ सुधार किया जाना चाहिए. उन्होंने अपने क्षेत्र के हाथी भाटा स्थान को विकसित करने की भी मांग की.
बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक अमीन खान ने गोचर और ओरण जमीन पर अवैध कब्जे का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि कई लोगों ने हजारों बीघा गोचर जमीनें बेच दी हैं. वहां दुकानें बन गई हैं. उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. अमीन खान ने डेजर्ट नेशनल पार्क का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस क्षेत्र में एक भी मोर तिलोर, गोडावण और चिंकारा नहीं है, जबकि धोरीमन्ना और चौहटन के गांवों में ये पक्षी और जानवर काफी संख्या में मिल जाएंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि डेजर्ट नेशनल पार्क से इनके गायब होने का कारण यह है कि यहां मस्ती करने वाले लोग उन्हें नोचकर खा गए. डेजर्ट नेशनल पार्क के नाम पर सड़क ही नहीं, बल्कि सेना की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है.
विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि वन एवं पर्यावरण का मानव सभ्यता के साथ चोली-दामन का साथ है. विकास की होड़ में पर्यावरण इतना बिगड़ा कि ग्रीन हाउस गैसों के कारण धरती का तापमान बढ़ गया है. ग्रीन पीस ने विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों का सर्वे किया है. ऐसे शीर्ष 50 शहरों में राजस्थान के सात शहर, जयपुर, जोधपुर, पाली, उदयपुर, अलवर, अजमेर और कोटा शामिल हैं. वनों की कमी के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि विलायती बबूल की जगह परंपरागत बरगद, नीम, खेजड़ी, गूलर आदि के पेड़ लगाए जा सकते हैं. विलायती बबूल हमारे यहां के मौसम के हिसाब से ठीक नहीं है. उन्होंने खेजड़ी पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का सुझाव भी दिया.
बलजीत यादव ने नीमराणा में कारखानों के कारण फैल रहे प्रदूषण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि कारखानों को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से पहले पेड़ लगाने के लिए पाबंद किया जाना चाहिए. उन्होंने बहरोड के तहसीलदार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कस्बे में रास्तों पर अतिक्रमण हो रहा है. यह अतिक्रमण एक आदमी ने कर रखा है. कई जगह सड़कें रोक दी गई है. पैसे लेकर उन्हें नहीं खोला जा रहा है. अलवर कलेक्टर मौके पर पहुंचे तब सिर्फ एक सड़क खोली गई. दिल्ली के एक भूमाफिया ने अनाज मंडी के लिए अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा कर रखा है. उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने बहरोड मिड-वे को फिर से शुरू करने की मांग की.
गोपाल मीणा ने बहस में भाग लेते हुए रामगढ़ को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने याद दिलाया कि 1982 के एशियाज में नौकायन प्रतियोगिता रामगढ़ में हुई थी. विदेशों में जयपुर का नाम हुआ था. आज रामगढ बांध में पानी नहीं है और खेल गांव सूना पड़ा है, बंद है. बांध में पानी आना चाहिए और क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से फिर मजबूत बनाना चाहिए. बीजेपी सदस्य रामलाल शर्मा ने कहा कि वन क्षेत्र में पानी का इंतजाम हो तो जानवर आबादी वाले क्षेत्रों में आकर हमला नहीं करेंगे. उन्होंने शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि स्कूलों में ही बच्चों को कम से कम एक पौधा लगाने का संकल्प दिलाया जाए.
माकपा के बलवंत पूनिया ने वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया और अवैध आबंटनों को निरस्त करने की मांग की. उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, पेड़ कहां लगे, कितने लगे, कौनसे लगे, इसकी जांच होनी चाहिए. वन अधिकारियों के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यमराज हिसाब करे, उससे पहले संविधान को हिसाब करना चाहिए. बीजेपी के राम प्रकाश कासनिया ने कहा कि सरकारी जमीन पर लोगों ने कई वर्षों से कब्जा कर रखा है.
गिरिराज सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों पर पेड़ों की अवैध कटाई करवाने के आरोप लगाए और जांच की मांग की. निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर सख्त कानून बनाने, मंजू देवी ने जायल में श्मशान भूमि से अतिक्रमण हटाने और सुरेश टांक ने पटवारियों की भर्ती करने के साथ ही सिवायचक और श्मशान भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग की. गोपीचंद ने वन भूमि में बसे आदिवासी लोगों को पट्टे जारी करने, रफीक खान ने जयपुर के जामडोली में वन विभाग की जमीन पर बसे लोगों का अन्यत्र पुनर्वास करने की मांग उठाई.