केरल की तर्ज पर CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी ममता की तृणमूल सरकार, गैर बीजेपी शासित सरकारों से भी की अपील

ममता ने NPR की कवायद को बताया खतरनाक खेल, राजस्थान की गहलोत सरकार भी बजट सत्र में कर रही सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लानेे की तैयारी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. केरल की माकपा सरकार की तर्ज पर अब पश्चिम बंगाल की आॅल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इसी के साथ बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी गैर-बीजेपी शासित सरकारों के मुख्यमंत्रियों से इस तरह का कदम उठाने की अपील की है. ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव पारित करेंगी. उन्होंने गैर बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों से आव्हान किया कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद में शामिल होने से पहले इसके विवरण खंडों का संज्ञान लें. बता दें, ममता बनर्जी उत्तर बंगाल में अगले चार दिन तक सीएए विरोधी रैलियों का नेतृत्व करेंगी.

ममता बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को ‘खतरनाक खेल’ करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है. उन्होंने कहा कि मैं उनसे इस कवायद में शामिल न होने का आग्रह करती हूं क्योंकि स्थिति बहुत बुरी है.

बड़ी खबर: मोदी सरकार से सीधे टकराने के मूड में ‘ममता दीदी’, एनपीआर की कार्रवाई को कहा साफ ‘ना’

टीएमसी प्रमुख ने आशंका व्यक्त करते हुए बताया कि उन्हें मीडिया में आई खबरों से पता चला है कि माता-पिता के एनपीआर फॉर्म में जन्मस्थान से जुड़ा कॉलम भरना अनिवार्य नहीं है. यदि यह अनिवार्य नहीं है तो फिर इस कॉलम को फॉर्म में क्यों रखा गया? इन सवालों को हटाने का प्रयास किया जाना चाहिए. ममता ने दावा किया कि यदि यह कॉलम फॉर्म में बरकरार रहता है तो इसे न भरने वाले अपने आप बाहर हो जाएंगे. ऐसी आशंका है.

बता दें, राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी 24 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है. इसी सिलसिले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 28 जनवरी को जयपुर आ रहे हैं. वहीं कांग्रेस शासित पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सरकारें भी सीएए के पूरे विरोध में हैं. झारखंड सरकार भी इस कानून का विरोध कर रही है. पंजाब सरकार पहले ही इस संबंध में प्रस्ताव ला चुकी है. वहीं केंद्र सरकार और बीजेपी राज्यों के रुख को असंवैधानिक बता रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि विपक्ष का ये कहना कि वे राज्यों में सीएए लागू नहीं करेंगे, कानून के खिलाफ और असंवैधानिक है.

गौरतलब है कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने कहा था राज्य सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इसलिए गया क्योंकि यह संवैधानिक शुचिता के खिलाफ है. संविधान और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में केरल सबसे आगे रहेगा. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीएए और एनपीआर पर रोक लगाने की मांग की है.

बड़ी खबर: सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर भड़के केरल के राज्यपाल, कहा ‘मैं नहीं हूं कोई रबर स्टैंप’

Google search engine