Wednesday, January 15, 2025
spot_img
Homeबड़ी खबरदीदी और दादा बने विलन! लोकसभा में सीट शेयरिंग के फेर मे...

दीदी और दादा बने विलन! लोकसभा में सीट शेयरिंग के फेर मे फंसी कांग्रेस

आम आदमी पार्टी चीफ अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव भी कांग्रेस के रवैये से नाराज, कई जगह बन रही टकराव की परिस्थितियां, लोकसभा चुनाव तक I.N.D.I.A का अस्तित्व में रहना तक मुश्किल

Google search engineGoogle search engine

लोकसभा चुनाव में अब 6 महीने से भी कम का समय बचा है और कांग्रेस पूरी ताकत से मोदी राज को पलटने की हर संभव कोशिश कर रही है. इसके लिए I.N-D.I.A गठबंधन में 28 विपक्षी दलों को लाया जा रहा है. सभी कुछ सही जा रहा था लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दोस्त भी अब दुश्मन बनते दिख रहे हैं. सबसे पहला नाम बंगाल की दीदी और महाराष्ट्र के दादा हैं जो इस गठबंधन के लिए विलन बनते दिख रहे हैं. इसके ​चलते कांग्रेस सीट शेयरिंग के फेर में बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है.

दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस और I.N.D.I.A के 28 दलों के बीच सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती साबित हो रही है. अभी तक विपक्षी गठबंधन में पीएम फेस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है. मामला फंसने पर इस मामले को लोकसभा चुनाव परिणाम तक टाल दिया गया. अब सीट शेयरिंग पर वाद तेज हो रहा है. खास तौर पर उस स्थानों पर पेंच फंस रहा है जहां स्थानीय दलों की स्थिति कांग्रेस से अधिक मजबूत है.

इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने प्रदेश में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर दी है. टीएमसी चीफ ने राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. दीदी ने कहा कि बंगाल में उनकी पार्टी की बीजेपी से सीधी टक्कर है. ऐसे में यहां पर दीदी को कांग्रेस का सपोर्ट चाहिए न कि बंटवारा. दीदी की बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है क्योंकि बंगाल की 42 सीटों में से कांग्रेस के पास केवल दो सीट है. बीजेपी के पास 18 और टीएमसी के पास 22 सीटें हैं. पिछले चुनावों में भी कांग्रेस के हाथ महज 4 सीटें लगी थी. जीती हुई सीटों के अलावा कांग्रेस के पास बंगाल में कोई जनाधार नहीं है. कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे में ममता को नुकसान होना तय है लेकिन समर्थन से बीजेपी को थोड़ा कमजोर किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की ‘भारत न्याय यात्रा’ महज एक नारेबाजी..! क्या सोचते हैं राजनीतिज्ञ

वहीं महाराष्ट्र में ठाकरे गुट की शिवसेना ने भी यही डिमांड रखते हुए कांग्रेस को संकट में डालने काम किया है. शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने 29 दिसंबर को महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर कोई समझौता न करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में दादरा और नगर हवेली सहित 23 सीटों पर शिवसेना लड़ती रही है और वह मजबूती से लड़ेगी. महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार के समय कांग्रेस शिवसेना और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ गठबंधन में शामिल थी. ये दोनों गुट विपक्षी एकता गठबंधन में भी शामिल हैं. पिछले लोकसभा चुनाव  शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर लड़ा था जिसमें दोनों को 41 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को एक और एनसीपी को 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. अब बंगाल की ‘दीदी’ और मुंबई के ‘दादा’ की पार्टियों के बयानों के बाद कांग्रेस के लिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला निकालना आसान नहीं होगा.

उधर, पंजाब में भी सीट शेयरिंग को लेकर AAP और कांग्रेस में टकराव देखने को मिल सकता है.  17 दिसंबर को बठिंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने उपस्थित जनता से पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटें मांग लीं. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और ऐसे वक्त में आम आदमी पार्टी के मुखिया के इस बयान से साफ है कि पंजाब में आम पार्टी किसी भी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं है. कमोबेश दिल्ली में भी यही स्थिति बनती दिख रही है. मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव भी सीट ​शेयरिंग को लेकर कांग्रेस को पहले ही चेता चुके हैं.

स्थानीय स्तर पर देखा जाए तो सभी स्थानीय दल यही चाहते हैं कि जिन सत्ता में होने के चलते उसे ज्यादा सीटें मिलें जबकि कांग्रेस अपने पाले में ज्यादा से ज्यादा सीटें रखना चाहती है. ऐसे में संयुक्त गठबंधन का ये बंधन लोकसभा तक टिक पाए, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है.

Google search engineGoogle search engine
Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img