Politalks.News/Madhyapradesh. ग्वालियर में दो तस्वीरें बहुत चर्चा में हैं. पहली- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) का पहली बार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (Jhansi Ki Rani LakshmiBai) की समाधि पर जाकर हाथ जोड़ना और शीश झुकाना। दूसरी- इस घटना के विरोध में कांग्रेस नेताओं द्वारा इस समाधि को गंगाजल से धोना. आज से दो दिन पहले ग्वालियर में पूर्व कांग्रेस और अब भाजपा की मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिवार का इतिहास बदलने की कोशिश की. ज्योतिरादित्य ने वो कर दिया, जो अब तक सिंधिया घराने के किसी महाराज ने नहीं किया. सिंधिया रविवार को अचानक झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंच गए. समाधि के सामने हाथ जोड़े और शीश झुकाकर लक्ष्मीबाई को नमन किया. अब सिंधिया के लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर नमन करने से कांग्रेस (Congress) भड़क गई है. कांग्रेस ने मंगलवार को रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल को गंगाजल से धोया. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह राजावत ने पुलिस का घेरा तोड़कर रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पुष्पांजलि की.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि ज्योतिरादित्य ने 160 साल पुराने सिंधिया परिवार के इतिहास को बदलने की कोशिश की है. क्योंकि भाजपा में उनको कई बार ये सुनने को मिल रहा था कि सिंधिया घराने ने झांसी की रानी का उस समय साथ नहीं दिया था. अब ज्योतिरादित्य ने इस बैरियर को तोड़ने की कोशिश की है.
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कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने झांसी की रानी की समाधि को गंगाजल से धोया
बताया जा रहा है कि मंगलवार को कांग्रेस के कई नेता रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल पर दोपहर 2 बजे पहुंचे. जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता की अगुआई में महिला कांग्रेस समाधि स्थल का गंगाजल से शुद्धिकरण करना चाहती थी. वहां पहले से मौजूद पुलिस और प्रशासन ने महिला कांग्रेस की टीम को समाधि स्थल के मुख्य द्वार पर ही रोक दिया. अधिकारियों से बात करने के बाद प्रशासन ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता को समाधि पर पुष्पांजलि की अनुमति दी. रुचि ने रानी लक्ष्मीबाई समाधि पर पुष्पांजलि देकर नारेबाजी की. इसके बाद पुलिस ने महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को समाधि से बाहर किया. जिला अध्यक्ष रुचि गुप्ता ने समाधि के मुख्यद्वार को गंगाजल से धोया और इसके बाद बाकी गंगाजल रानी लक्ष्मीबाई समाधि की ओर उछाल दिया. इस दौरान रुचि ने कहा कि, ‘प्रशासन ने सरकार के दबाव में उनको रोक दिया’ .
ज्योतिरादित्य ने बदला था 160 साल का इतिहास
आपको बता दें कि पूर्व कांग्रेस और अभी मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को राज घराने का इतिहास बदल दिया. ज्योतिरादित्य ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर सिर झुकाकर उन्हें नमन किया. 160 साल के इतिहास में ये पहला मौका था जब सिंधिया राज परिवार का मुखिया रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर उन्हें नमन करने गया हो. सिंधिया के इस कदम से उनके आलोचकों को भी करारा जवाब मिल गया. सिंधिया राज परिवार आजादी के बाद से ही राजनेताओं के निशाने पर रहा है, लेकिन ज्योतिरादित्य के इस कदम से वे चारों खाने चित हो गए.
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ज्योतिरादित्य ने आलोचकों के मुंह बंद किए !
यह किसी से छिपा नहीं है कि जब भी सन् 1857 की क्रांति और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की बात होती है तो सिंधिया परिवार की भूमिका उनके विरोधी के रूप में याद की जाती है. हिंदूवादी संगठन चुनावों में भी इसका जिक्र करते रहे हैं. वे इसे लक्ष्मीबाई के साथ सिंधिया परिवार की गद्दारी कहकर मुद्दे को हवा देते रहे हैं. हालांकि, ज्योतिरादित्य जब से कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं तब से ये कयास लगाए जा रहे थे कि क्या वे लक्ष्मीबाई की समाधि पर आएंगे?
…तो ज्योतिरादित्य इसलिए गए समाधि पर!
ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा में शामिल होने के बाद से सिंधिया पर लगातार दबाव था कि लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाएं. क्योंकि, भाजपा के हिंदूवादी नेता उन पर अंदर ही अंदर इसे लेकर कटाक्ष कर रहे थे. यही वजह है कि ज्योतिरादित्य को रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाना पड़ा. इसके पीछे की वजह राजनीतिक भविष्य है. उन्हें भाजपा में आगे बढ़ना है, इसलिए यह बैरियर तोड़ना पड़ा है. अब उनके कहने और बोलने के लिए कुछ नहीं बचा, साथ ही सिंधिया ने भी दिखा दिया कि उन्होंने भाजपा को राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने ही ज्वॉइन नहीं की है, बल्कि दिल से आत्मसात किया है. आपको याद दिला दें कि, इसके पहले 2014 में कांग्रेस में रहते हुए रोड शो के दौरान राहुल गांधी के साथ समाधि स्थल तक गए थे, लेकिन उन्होंने माथा नहीं टेका था. न ही पुष्प अर्पित किए थे.