राजस्थान की सभी सातों सीटों पर उपचुनाव को लेकर मतदान जारी है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों प्रमुख पार्टियों के सामने जमीन बचाने की जंग है. हालांकि इससे सरकार और विपक्ष दोनों की सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. फिर भी इसे एक स्वाभिमान की लड़ाई के तौर पर लिया जा रहा है. इन सीटों में से एक दौसा सीट है जहां चुनाव भले ही कोई ओर लड़ रहा हो, लेकिन साख दिग्गजों की दांव पर है. दौसा विधानसभा सीट पर किरोड़ी लाल मीणा और सचिन पायलट की साख दांव पर है. बीते विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के मुरारी मीणा चुनाव जीते थे. फिलहाल मीणा लोकसभा सांसद हैं.
दौसा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. भारती जनता पार्टी ने सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया है. कांग्रेस ने डीसी बैरवा को टिकट दिया है, जो सांसद मुरारी लाल मीणा के करीबी हैं.
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पूर्वी राजस्थान में बीजेपी के पास किरोड़ीलाल मीणा बड़े नेता हैं और कांग्रेस के पास सचिन पायलट. ऐसे में दोनों ही दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगना लाजमी हैं. सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने दौसा में बड़ी राजनीतिक पारी खेली है. दूसरी ओर, किरोड़ीलाल मीणा की राजनीति का केंद्र भी दौसा ही रहा है. लिहाजा, दोनों बड़े नेता अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं. मुरारी लाल मीणा ने जहां बैरवा को जिताने की जिम्मेदारी ली है, वहीं जगमोहन को जिताने की जिम्मेदारी उनके भाई किरोड़ी लाल मीणा के कंधों पर है.
अन्य किसी मजबूत उम्मीदवार के अभाव में दौसा विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. हालांकि किरोड़ी के राजनीतिक कद को देखते हुए यहां जगमोहन मीणा थोड़े आगे जरूर दिख रहे हैं. वहीं सचिन पायलट ने बैरवा को जिताने के लिए कमर कस रखी है. फलोदी सट्टा बाजार में भी बीजेपी का भाव आगे चल रहा है. हालांकि आम चुनाव में पायलट का जादू किरोड़ी की उपस्थिति के बावजूद दौसा में छा गया था. कांग्रेस उसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद पाले बैठी है. अब देखना होगा कि आम चुनावों में दावे के फैल होने के बाद मंत्री पद ठुकराने वाले किरोड़ी अब क्या नए समीकरण सेट कर पाएंगे. वहीं क्या पायलट अपनी पुरानी जमीन को फिर से पा पाएंगे, देखना रोचक होगा.