राजस्थान उपचुनाव: पति के सामने ताल ठोक रही पत्नी, एक ही मंच से कर रहे प्रचार

ऐसा नहीं है कि पति और उनकी पत्नी के बीच कोई मनमुटाव है, कोई मतभेद भी नहीं है लेकिन मतदाताओं का सिर भी चकरा रहा है कि किसे वोट देना है और किसे नहीं.

rajendra singh gudha
rajendra singh gudha

राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव का आज अंतिम दिन शेष है. प्रचार का शोर थमने के बाद घर घर जाकर मान मनुहार का दौर शुरू है. अंतिम क्षणों में प्रत्याशी जमकर पसीना बहा रहे हैं. सर्वविदित है कि राज्य की सात में से पांच सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस, आरएलपी और बाप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बन रहा है. वहीं इन सभी में एक सीट ऐसी भी है जहां चुनावी जंग की त्रिकोणमिती तो बन ही रही है, पति और पत्नी एक दूसरे के सामने ही ताल ठोक रहे हैं. इतना ही नहीं, एक ही मंच पर एक दूसरे के लिए प्रचार भी कर रहे हैं.

झुंझुनूं का चुनाव है थोड़ा अलग

झुंझुनूं विधानसभा सीट का चुनाव इस बार थोड़ा अलग और रोचक है. इसकी वजह है पूर्ववर्ती गहलोत में मंत्री रहे राजेन्द्र गुढ़ा और उनकी पत्नी निशा कंवर, जो यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा और उनकी पत्नी निशा कंवर दोनों निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. ये दोनों चुनाव मैदान में डटे हैं लेकिन फिर भी यहां भी कहानी कुछ अलग है. ऐसा भी नहीं है कि राजेंद्र सिंह गुढा और उनकी पत्नी के बीच कोई मनमुटाव है. दोनों में कोई मतभेद नहीं है. चुनाव मैदान में भले ही मिया-बीवी दोनों खड़े हैं लेकिन वोट एक के लिए ही मांग रहे हैं. ऐसे में मतदाताओं का सिर भी चकरा रहा है कि किसे वोट देना है और किसे नहीं.

यह भी पढ़ें: ‘खींवसर हार गए तो मैं मूंछ और बाल मूंडाकर चौक पर खड़ा हो जाउंगा’ CM भजनलाल के इस मंत्री का बड़ा ऐलान

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. पिछले विधानसभा चुनाव में राजेन्द्र गुढ़ा शिवसेना के टिकट पर उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थे. यहां भी उनकी पत्नी निशा कंवर उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैदान में थी लेकिन दोनों ने वोट एक के लिए ही मांगे. एक बार फिर पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा की पत्नी निशा कंवर लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरी है लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी वे अपने लिए नहीं बल्कि पति राजेन्द्र गुढ़ा के लिए वोट मांग रही हैं.

नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राजेंद्र सिंह गुढा ने शिवसेना के टिकट पर झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. 57823 वोट लेकर राजेंद्र सिंह गुढा तीसरे स्थान पर रहे थे. उनकी पत्नी निशा कंवर को महज 197 वोट मिले थे. हालांकि बढ़ती पैठ के चलते मुकाबले में त्रिकोणीय समीकरण बनते नजर आ रहे हैं.

गजब है गुढ़ा की अजीब रणनीति

इन दोनों पति पत्नी का एक साथ एक ही सीट से चुनाव मैदान में उतरना और वोट एक के लिए मांगना चर्चा का विषय बना हुआ है. राजनीति के जानकार इसे गुढ़ा की रणनीति का अहम पार्ट मानते हैं. वहीं उनके कई समर्थक दोनों के चुनाव मैदान में खड़े रहने से कन्फ्यूज हो जाते हैं कि किसे वोट दें. इसी कन्फ्यूजन के चलते बीती बार राजेन्द्र गुढ़ा के मिलने वाले 197 वोट निशा कंवर के खाते में आ गए. गुढ़ा की इस अजीब रणनीति को राजनीति के जानकार भी भांप नहीं पाए हैं.

गुढ़ा ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन

गुढ़ा अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं. वे अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय में दिन प्रतिदिन बढ़ रही राजेंद्र गुढ़ा की पैठ से यहां कांग्रेस तनाव में है. गुढ़ा दो बार उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. वे दोनों बार यहां बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, जीतने के बाद दोनों ही बार उन्होंने कांग्रेस की तत्कालीन गहलोत सरकार को समर्थन दे दिया था.

यह भी पढ़ें: ‘मुझे कुछ होता है तो…‘ वोटिंग से पहले सांसद राजकुमार रोत को मिली जान से मारने की धमकी!

इतना ही नहीं, दोनों ही बार बसपा को दगा देते हुए अपने सभी साथी विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल भी हो गए. यही वजह रही कि बसपा ने उनसे कन्नी काट ली. गुढ़ा गहलोत के दोनों कार्यकाल में राज्यमंत्री भी रहे. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले वे गहलोत के खिलाफ ‘लाल डायरी’ लेकर मैदान में कूद पड़े. इस पर कांग्रेस ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. वे चुनाव में उतरकर अपनी लाज तो नहीं बचा पाए लेकिन कांग्रेस को ढुंबाने का काम बखूबी किया.

दोनों खेमों में सेंधमारी में जुटे निर्दलीय गुढ़ा

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके राजेन्द्र सिंह गुढ़ा झुंझुनू से निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं. कांग्रेस ने सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला तथा बीजेपी ने राजेंद्र भांबू को टिकट दिया है. गुढ़ा इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी सहित दोनों के खेमों में सेंधमारी कर सकते हैं. बीजेपी के परंपरागत राजपूत वोट से लेकर कांग्रेस के मुस्लिम और एससी वोटरों पर इनकी नजर है. बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस छोड़ शिवसेना की ओट लेने वाले गुढ़ा को मुंह की खानी पड़ी थी. हालांकि इस बार भी उनकी स्थिति इतनी अच्छी नहीं बताई जा रही है लेकिन वोट कटवा स्थिति पैदा करने के बाद पलड़ा किसी भी ओर भारी पड़ सकता है.

Google search engine

Leave a Reply