पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिक संशोधन कानून (CAA) को असंवैधानिक बताकर उन्हें अपने राज्यों में लागू नहीं करने का निर्णय करने वाली कांग्रेस और विपक्षी दलों की राज्य सरकारें कांग्रेस के दो नेताओं के बयान के बाद खुद ही असंवैधानिकता के कठघरे में खडी हो गई हैं. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद के बयान के बाद केरल और वामपंथी सरकारों द्वारा सीएए के विरोध में लाए गए प्रस्ताव बेमानी हो गए हैं.
मोदी सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कानून के बाद दो विचारधारओं के बीच सियासी और कानूनी दांव पेचों का घमासान मचा हुआ है. गैर भाजपा शासित प्रदेशों ने इस कानून को देश की एकता के खिलाफ बताते हुए उसे अपने राज्यों में लागू करने से इंकार कर दिया है. गैर भाजपा पक्ष इसे मुसलमानों का विरोधी तो भाजपा इसे विदेशों में अल्पसंख्यक के तौर पर रह रहे हिंदू, बौद्ध, सिख, ईसाई धर्मों की सुरक्षा के लिए जरूरी बता रही है.
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में केरल की वामपंथी सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वहीं पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी विधानसभा में इस कानून को गैर जरूरी बताते हुए प्रस्ताव पारित किया है. सीएए से जुडे इन घटनाक्रमों के बीच कांग्रेस के दो दिग्ग्ज नेताओं सलमान खुर्शीद और कपिल सिब्बल ने सभी को चौंकाते हुए बयान दिया कि, “सीएए के पास हो जाने के बाद कोई राज्य ये नहीं कह सकता कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा. ये असंभव है और ऐसा करना असंवैधानिक होगा. आप इसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने के लिए कह सकते हैं.”
कपिल सिब्बल ने शनिवार को केरल में साहित्य के एक सम्मेलन में यह बात बोली जबकि सलमान खुर्शीद ने सिब्बल की बात को दोहराते हुए इसकी व्याख्या की है. कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों का मानना है कि CAA को लागू करने से मना करने वाले ये राज्य सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन उसे लागू होने से नहीं रोक सकते हैं.
बता दें, 10 जनवरी से देश भर में नागरिकता कानून लागू हो चुका है. कई गैर बीजेपी शासित राज्यों में नागरिकता कानून को अपने यहां लागू करने से इनकार किया है. केरल सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण का विरोध भी किया है.
ऐसे में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का कहना है कि इस कानून को लेकर अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही कुछ कर सकता है. यह एक ऐसा मामला है जहां राज्य सरकारों का केंद्र के साथ बेहद गंभीर मतभेद है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा करनी होगी. कोई भी राज्य सरकार सैंवधानिक तौर पर केंद्र सरकार द्वारा पारत किए कानून को मानने से इंकार नहीं कर सकती है.
इससे पहले पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकारें सीएए का विरोध तो कर सकती है लेकिन उन्हें अपने राज्य में लागू होने से नहीं रोक सकती. कांग्रेस के इन दोनों दिग्गज नेताओं के बयान के बाद अब साफ हो गया है कि कांग्रेस सहित सभी गैर भाजपा राज्य सरकारों को सीएए को अपने राज्यों में बिना इच्छा के भी लागू तो करना ही पडेगा.