Politalks.News/Bihar. देशभर में ठण्ड और बारिश ने सभी की कंपकंपी झूटा रखी है. लेकिन बिहार (Bihar) में जारी सियासत ने प्रदेश के राजनीतिक दलों में गर्माहट पैदा कर दी है. जातीय जनगणना को लेकर अब बिहार की राजनीति में खेला होना तय है. माना जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा जातीय जनगणना के मुद्दे पर JDU को साथ आने के न्योते के बाद अब बीजेपी फंसती नजर आ रही है. हालांकि राजनीति के लिए कहा जाता है कि, ‘राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.’ अब सियासी गलियारों में ‘पलटूराम’ के नाम से मशहूर नीतीश कुमार पर सभी की नजरें जाकर टिक चुकी है. तो वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) अब उन्हें सीधे-सीधे तो नहीं तल्ख़ अंदाज में साथ आने का न्योता दे रहे हैं. तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि, ‘नीतीश कुमार (Nitish Kumar) किस चीज के लिए उनका साथ छोड़ेंगे? लिखकर ले लीजिए वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे. इसके लिए कलेजा चाहिए, जो उनके पास नहीं है’.
देश में अगले कुछ दिनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उन राज्यों के साथ साथ बिहार में भी सत्ता परिवर्तन के आसार दिख रहे हैं. जातीय जनगणना को लेकर राजद जदयू के साथ कड़ी है और बीजेपी इसके समर्थन में कोई जवाब नहीं दे रही है लेकिन खुल इसका पक्ष भी नहीं ले रही है. ऐसे में खुद नीतीश कुमार पशोपेश में है कि वे आगे क्या करेंगे? लेकिन RJD के नेताओं का कहना है कि, ‘फिलहाल खरमास (मलमास) यानी चूड़ा-दही के बाद प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा.’ RJD नेताओं का यह बयान इस कारण भी आ रहा है कि, ‘प्रदेश की गठबंधन सरकार में फिलहाल कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है.’
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हालंकि बीजेपी का साथ छोड़ वापस RJD और कांग्रेस के साथ सरकार बनाना नीतीश कुमार के लिए बहुत मुश्किल नहीं है. सियासी दिग्गजों का मानना है कि नीतीश हमेशा अपने लिए दोनों दरवाजे खुले रखते हैं या फिर वह वैसी राजनीतिक परिस्थितियां बना कर रखते हैं कि उनके लिए दो दरवाजे हमेशा खुले रहें. कभी भी नीतीश कुमार अपना पाला बदल सकते हैं. वहीं, कई वरिष्ठ पत्रकार इसे बयानबाजियों की राजनीति बता रहे हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार ऐसा कुछ नहीं करने जा रहे हैं. लेकिन पहले भी नीतीश कुमार ने 2017 में रातों रात पाला बदल लिया था.
वहीं जातीय जनगणना के माध्यम से तेजस्वी यादव चाहते हैं कि, ‘वापस नीतीश कुमार उनके साथ आ जाएं और कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर एक मजबूत सरकार बनाएं’. हालांकि तेजस्वी यादव सीधे तो सीधे नीतीश कुमार को ये ऑफर नहीं दे रहे हैं लेकिन अपने पार्टी नेताओं और अपनी ही बातों को घुमाकर उन्हें साथ आने का न्योता जरूर दे रहे हैं. जब मीडिया से सवाल उठा कि ‘अगर नीतीश कुमार BJP का साथ छोड़ते हैं तो क्या आप स्वागत करेंगे?’ तो तेजस्वी यादव ने तंज भरे लहजे में कहा कि, ‘किस चीज के लिए छोड़ेंगे? लिखकर ले लीजिए वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे. इसके लिए कलेजा चाहिए, जो उनके पास नहीं है. हम तो 50 बार बोल चुके हैं कि एंट्री-एग्जिट की कोई बात ही नहीं है.’
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि, ‘जातीय जनगणना की जहां तक बात है लालूजी का इसमें संघर्ष रहा. हम लोगों की मांग पर प्रस्ताव के बाद बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से पास हुआ लेकिन यह नीतीश कुमार का कभी एजेंडा था ही नहीं.’ तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि, ‘हमने नीतीश कुमार को सुझाव दिया कि केन्द्र नहीं मान रहा तो कम से कम राज्य सरकार तो जातीय जनगणना करा ले. लेकिन अब इसको लेकर भी नौटंकी की जा रही है. आपके मन में सवाल है तो फिर सर्वदलीय बैठक बुला लीजिए पता चल जाएगा कौन आ रहा है नहीं. हम नीतीश कुमार की जगह रहते तो जातीय जनगणना की घोषणा कर देते कि जातिगत जनगणना राज्य सरकार अपने खर्चे पर करा रही है.’
राजद अपने तरीके से जदयू को साथ लाने का ऑफर दे रही है लेकिन नीतीश के मन में क्या है क्या नहीं ये तो वही जानता हैं. राजद ने कहीं ना कहीं जो ऑफर JDU को दिया है वह नीतीश कुमार को सूट भी करता है. वो इसलिए कि नीतीश कुमार अक्सर अपना गठबंधन बदलते रहे हैं. वह कभी कांग्रेस के साथ, कभी RJD के साथ तो कभी BJP को छोड़ा. नीतीश कुमार की फितरत है कि वह पाला बदलने में माहिर रहे हैं. अब नीतीश की इसी फितरत को लेकर BJP भी दबाव में है. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है मकर सक्रांति के बाद बिहार की सत्ता में परिवर्तन होने वाला है.