हिमाचल में कांग्रेस सरकार होने के बावजूद राज्यसभा में सत्ताधारी पक्ष के विधायकों द्वारा की गयी क्रॉस वोटिंग के बाद हिली हिमाचल सरकार में एक बार फिर से ‘खेला’ होने की संभावना बन रही है. कांग्रेस की ओर से बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवार के लिए क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 विधायकों के निलंबन के बाद तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे से सियासी बाजार गर्मा रहा है. अब इन तीनों का बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. निलंबित विधायकों का केस अभी कोर्ट में चल रहा है. जो भी फैसला आता है, वो अपनी जगह पर है लेकिन इन्हें भी जल्द बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में देखा जाने वाला है. इसके बाद हिमाचल में कांग्रेस सरकार का गिरना तय है. चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद होते दिख रहे हैं.
दरअसल, हिमाचल में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा, देहरा से विधायक होशियार सिंह और नालागढ़ से विधायक केएल ठाकुर ने हिमाचल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयपराम ठाकुर के साथ जाकर इस्तीफा सौंपा. तीनों राजनेताओं का बीजेपी में शामिल होना तय है. जल्द ही शर्मा, सिंह और ठाकुर बीजेपी की ओर से चुनावी मैदान में भी देखे जाएंगे. अब इंतजार केवल निलंबित छह विधायकों के मामले पर फैसला आने का है.
यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव का बजा बिगुल, जानिए आपके राज्य में कौन कौनसी तारीख को होगा मतदान
गौरतलब है कि राज्यसभा की एक सीट पर पिछले माह हुए चुनावों में बहुमत के चलते कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी का उच्च सदन जाना तय था. अंदरखाने हुई सियासी रणनीति के तहत कांग्रेस के 6 विधायकों ने बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी. निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा, होशियार सिंह और केएल ठाकुर के बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने के बाद मामला बराबरी पर छूटा और लॉटरी के जरिए हुए बीजेपी के हर्ष महाजन को विजेता घोषित कर दिया गया. इसके बाद सरकार की मांग पर क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, कुटलैहड़ से देवेंद्र भुट्टो, बड़सर से आईडी लखनपाल, लाहौल-स्पीति से रवि ठाकुर और गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा को निलंबित कर दिया गया. अब निलंबन पर मामला अदालत में चल रहा है.
लोकसभा चुनाव तक सरकार सुरक्षित –
हिमाचल में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 और बीजेपी ने 25 सीटें जीती. तीन निर्दलीय विधायक जीत विधानसभा पहुंचे. निर्दलीय विधायकों के इस्तीफा देने के बाद तीन सीटें खाली हो गयी हैं. कांग्रेस के 6 विधायकों के निलंबन के बाद सत्ताधारी पार्टी के पास 34 सदस्यों का संख्या बल शेष है. बहुमत के लिए 35 विधायक आवश्यक हैं. ऐसे में प्रर्याप्त संख्या बल किसी भी पार्टी के पास नहीं है. उक्त 6 विधायकों पर पार्टी बदलने पर दल बदल कानून लगना तय है. ऐसे में चुनाव होना तय है. लोकसभा की हवा को देखते हुए सरकार पर संकट आना तय है.