Wednesday, January 15, 2025
spot_img
Homeलोकसभा चुनावग्राउंड रिपोर्ट: डूंगरपुर-बांसवाड़ा में मोदी-बीटीपी के बीच फंसी कांग्रेस

ग्राउंड रिपोर्ट: डूंगरपुर-बांसवाड़ा में मोदी-बीटीपी के बीच फंसी कांग्रेस

Google search engineGoogle search engine

इस बार के लोकसभा चुनाव में शायद डूंगरपुर-बांसवाड़ा संसदीय सीट ही राजस्थान की इकलौती सीट है जहां करीब एक दशक बाद त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है. यहां के आदिवासियों में बीटीपी पार्टी बेहद लोकप्रिय होती जा रही है. विधानसभा में 2 सीट जीतकर आयी भारतीय ट्राइबल पार्टी लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को कड़ी टक्कर दे रही है. बीटीपी पड़ोसी राज्य गुजरात की एक पार्टी के तर्ज पर यहां पनपी थी. बीटीपी से कांतिलाल रोत मैदान में है. बीजेपी ने पूर्व मंत्री कनकमल कटारा और कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे ताराचंद भगोरा को इस सीट से टिकट दिया है.

भगोरा कभी नहीं हारे लेकिन इस बार बीटीपी चुनौती
ताराचंद भगोरा ने अब तक तीन लोकसभा चुनाव लड़े और तीनों में विजयश्री हासिल की है. कोई चुनाव अभी तक गंवाया नहीं है लेकिन इस बार बीटीपी ने समीकरण बिगाड़ दिए हैंं. यहां तक की कांग्रेस के वोटर भी बीटीपी की बात कर रहे हैंं. गुटबाजी बैलेंस करने के लिए सीएम अशोक गहलोत इसी महीने में दो बार बांसवाड़ा आ चुके हैं. बागीदौरा विधायक महेन्द्रजीत सिंह इस बार पत्नी रेशमा मालवीय को टिकट नहीं देने से अंदरखाने नाराज चल रहे हैं. वहीं मंत्री बनने से यहां अर्जुन बामनिया का एक अलग गुट खड़ा हो गया है. लिहाजा स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बेणेश्वर में सभा करानी पड़ी.

कनकमल को इस बार भी मोदी लहर का आसरा
बीजेपी को सिर्फ दो बार यहां जीती मिली वो भी सिर्फ घाटोल और बांसवाड़ा विधानसभा के दम पर. 2014 में नरेन्द्र मोदी की लहर में मानशंकर निनामा 91,916 वोटों से जीते थे. घाटोल से ही 46 हजार वोट की लीड थी. इस बार बीटीपी ने फांस रखा है. बीजेपी ने संघ से जुड़े कनकमल कटारा को इस बार टिकट दिया और निनामा का वोट काट दिया. कटारा को पूरी तरह से मोदी नाम पर ही जीत का आसरा है.

यूथ में अच्छी पकड़ वाले कांतिलाल रोत मैदान में
बीटीपी ने यहां से कांतिलाल रोत को उतारा है जो बांसवाड़ा और डूंगरपुर के कॉलेजों में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा का वर्चस्व कायम कर चुके हैं. यूथ में उनकी अच्छी खासी पकड़ है. उन्हें आदिवासी हित की बातों से वोट मिल रहे हैं. बीटीपी की मजबूती का आधार यूथ और आदिवासियों का मिल रहा समर्थन है. बीटीपी दोनों दलों को बराबर नुकसान पहुंचा रही है. जानकारों की मानें तो ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होता दिख रहा है. यही वजह है कि स्थानीयजन कांग्रेस के तीसरे स्थान पर रहने तक का दावा करने लग रहे हैं. उधर, बीजेपी मोदी फैक्टर के चलते बीटीपी से नुकसान होना नहीं मान रही.

बांसवाडा-डूंगरपुर चुनाव के मुद्दे
मुद्दों की बात करें तो यहां सबसे बड़ा मुद्दा है डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना के काम को फिर से शुरू कराना, उदयपुर-अहमदाबाद अवाम परिवर्तन और नेशनल हाइवे 927 स्वरुपगंज से रतलाम वाया डूंगरपुर-बांसवाड़ा का काम है. इसके साथ ही सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा सहित आधारभूत सुविधाओं का विकास करना और आदिवासी समूदाय को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जाना भी प्रमुख मुद्दों में शामिल है लेकिन चुनाव के दौरान ये मुद्दे मोदी शोर और बीटीपी की एंट्री के जोर के बीच गायब हो गए हैं.

सीटों का इतिहास
डूंगरपुर-बांसवाड़ा संसदीय सीट के इतिहास की बात करें तो यहां अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में से 12 बार कांग्रेस, दो बार बीजेपी और दो बार जनता पार्टी को जीत मिली है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मानशंकर निनामा ने कांग्रेस के रेशम मालवीय को 91,916 मतों से पराजित किया था. निनामा को 5,77,433 और मालवीय को 4,85,517 वोट मिले थे.

1952-57 – भीखा भाई – कांग्रेस
1957-62 – पीबी भोगजी भाई- कांग्रेस
1962-67 – रतन लाल – कांग्रेस
1967-71 हीरजी भाई – कांग्रेस
1971-77 हीरा लाल डोडा – कांग्रेस
1977-80 हीरा भाई – जनता पार्टी
1980-84 भीखा भाई – कांग्रेस
1984-89 प्रभु लाल रावत – कांग्रेस
1989-91 हीरा भाई – जनता पार्टी
1991-96 प्रभु लाल रावत – कांग्रेस
1996-98 ताराचंद भगोरा – कांग्रेस
1998-99 महेंद्रजीत सिंह मालवीय – कांग्रेस
1999-04 ताराचंद भगोरा – कांग्रेस
2004-2009 धन सिंह रावत – भारतीय जनता पार्टी
2009-2014 ताराचंद भगोरा – कांग्रेस
2014 – अब तक मानशंकर निनामा – भारतीय जनता पार्टी

क्या हैं यहां का जातीय समीकरण
जातिगत समीकरणों पर गौर करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 29,51,764 है जिसका 92.67 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण और 7.33 प्रतिशत हिस्सा शहरी आबादी है. आदिवासी बहुल बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मेवाड़-वागड़ क्षेत्र का हिस्सा है. अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या कुल आबादी का 75.91 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जाति 4.16 फीसदी हैं.

 

Google search engineGoogle search engine
Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img