एमपी: कमलनाथ का बड़ा बयान- दिग्विजय सिंह के झूठे विश्वास के कारण नहीं बचा पाया अपनी सरकार

पूर्व सीएम ने कहा- सिंधिया-बीजेपी गठजोड़ की थी पूरी जानकारी, दिग्गी ने विश्वास में रखा की विधायक छोड़कर नहीं जाएंगे इसलिए गिरी सरकार, सिंधिया के बीजेपी में जाने की बात से अब तक उबर नहीं पाए हैं कमलनाथ, उप चुनावों में सत्ता वापसी का किया दावा

कमलनाथ दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया
कमलनाथ दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया

पॉलिटॉक्स न्यूज/मध्यप्रदेश. इसी साल मार्च के महीने में कांग्रेस के 22 विधायकों के एक साथ इस्तीफा देने के चलते मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गई और प्रदेश में सत्ता की कमान चौथी बार शिवराज सिंह चौहान के हाथों में आ गई. इस प्रकरण के डेढ़ महीने के बाद कमलनाथ ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी नेताओं से मिलने की पूरी जानकारी थी लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे सीनियर नेता ने उनके मन में झूठा विश्वास भर दिया था कि पार्टी के कुछ निश्चित विधायक साथ छोड़कर और कहीं नहीं जाएंगे. इसके बाद वे निश्चित हो गए और यही वजह रही कि सरकार गिर गई.

अपने आवास पर एक राष्ट्रीय निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में पूर्व सीएम कमलनाथ ने दावा किया कि बीजेपी-सिंधिया गठजोड़ की चालों की पूरी जानकारी होने के बावजूद इस साल मार्च में अपनी सरकार नहीं बचा सके क्योंकि वो झूठे विश्वास में थे. कमलनाथ ने कहा कि वो मध्य प्रदेश में अपनी सरकार इसलिए नहीं बचा सके, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने उनमें झूठा विश्वास भर दिया था कि पार्टी के कुछ निश्चित विधायक साथ छोड़कर और कहीं नहीं जाएंगे.

हालांकि कमलनाथ ने ये भी कहा कि ये दिग्विजय सिंह ने जान बूझकर नहीं किया था लेकिन शायद स्थिति की ठीक समझ नहीं होने की वजह से हुआ. दिग्विजय सिंह ने शायद महसूस किया था कि वो विधायक जो दिन में तीन बार उनसे बात कर रहे थे, वो कभी पार्टी का साथ नहीं छोड़ेंगे लेकिन हुआ उसका उल्टा. वे विधायक ही सबसे पहले पार्टी का साथ छोड़कर भाग गए.

मीडिया से अपनी बातचीत में कमलनाथ ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी जिक्र किया. बातों में बातों में वे अपनी इस कुंठा को छिपा नहीं पाए कि वे अब तक सिंधिया के बीजेपी में जाने के झटके से उबर नहीं पाए हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कमलनाथ ने कहा, ‘जहां तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का सवाल है, मुझे पता था कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद वह जुलाई से बीजेपी के संपर्क में हैं. वह इस तथ्य को कभी पचा नहीं पाए कि वह एक लाख से अधिक वोटों से लोकसभा चुनाव हार गए और वो भी उस उम्मीदवार से जो कांग्रेस का साधारण कार्यकर्ता था और जिसे बीजेपी ने अपने पाले में लेकर उनके खिलाफ चुनाव में उतारा था. सिंधिया अपनी हार के बाद बीजेपी के संपर्क में थे, वहीं बीजेपी की राज्य इकाई ने उन्हें कभी नहीं चाहा. लेकिन अंततः बीजेपी उन्हें ले गई क्योंकि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व किसी भी कीमत पर मध्य प्रदेश से दूसरी राज्यसभा सीट चाहता था.’

कमलनाथ ने प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उप चुनावों में सत्ता वापसी का दावा किया. पूर्व सीएम ने कहा कि वैसे तो यह आंकड़ों का खेल है. अभी हमारे पास 92 विधायक और उनके पास 107 हैं. हमें कम से कम 15 सीटें बीजेपी के बराबर आने के लिए जीतनी होंगी. उसके बाद शेष सात अन्य विधायक पिक्चर में आते हैं, जिनमें 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा से है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि अभी स्थितियां ऐसी हैं कि हम 15 से ज्यादा सीटें जीतेंगे. उन्होंने सिंधिया और शिवराज के प्रचार करने में समर्थ नहीं हो पाने का विश्वास दिलाया.

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अपनी वार्ता में कमलनाथ ने लॉकडाउन से किसानों पर पड़ने वाले असर का भी ज़िक्र किया. कांग्रेस नेता ने कहा कि लॉकडाउन का एक सीधा असर है आर्थिक गतिविधियों में कमी. इसका देशभर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर तबाही वाला असर पड़ रहा है. किसानों को अपनी सब्जी की उपज नष्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि उसके लिए कोई बाजार नहीं है. न ही उन्हें सरकार से कोई मदद मिल रही है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी काफी समय तक उसका असर महसूस किया जाने वाला है.

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