पॉलिटॉक्स ब्यूरो. झारखंड के चुनावी समीकरण पल पल जिस तरह से बदल रहे हैं, उसका अंदाजा पिछले पांच चुनावों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है. आगामी विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी (Jamshedpur East) सीट सबसे हॉट होने वाली है और यहां के नतीजों पर सबकी नजरें लगी हुई हैं. वजह है झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री रघुबर दास. ये सीट रघुबर दास की परम्परागत सीट हैं और वे यहां से लगातार 5 जीत दर्ज कर चुके हैं. इस बार भी उनकी एक तरफा जीत के कयास चुनावों से पहले ही लग रहे थे लेकिन सियासी आंधी ने अपना रूख ऐसा मोड़ा कि रघुबर दास एक तरफा जीत तो दूर, उनके जीतने तक के लाले पड़ते नजर आ रहे हैं. इसी वजह हैं सरयू राय, जो रघुबर दास कैबिनेट में मंत्री हैं. भाजपा ने इस बार उनका टिकट काट दिया तो सरयू राय ने अपनी सीट जमशेदपुर पश्चिम से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा तो भरा ही, साथ ही जमशेदपुर पूर्वी सीट से भी नामांकन दाखिल किया है.
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इसी सीट पर उनके सामने रघुबर दास होंगे. इस सीधी तकरार का मतलब ये है कि एक तरफ तो सरयू जमशेदपुर पश्चिम से निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ेंगे जहां उनका वर्चस्व है और यहां उनका जीतना भी लगभग तय माना जा रहा है. वहीं जमशेदपुर पूर्वी (Jamshedpur East) सीट से रघुबर दास के सामने खड़े होकर उनका वोट बैंक कमजोर करेंगे ताकि रघुबर दास को उनके टिकट काटे जाने का हर्जाना चुनाव में हार कर देना पडे. सरयू राय के रघुबर दास के सामने खड़ा होने पर झामुमो और झाविमो भी उनका समर्थन करने के मूड में है. इस सीट पर भीतर घात भी देखने को मिल रही है. सरयू राय के साथ स्थानीय और पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं की सहानुभूति है. ऐसे में वे रघुबर दास के साथ दोगला गेम खेल सकते हैं.
रघुबर दास के सामने सरयू राय और पार्टी की भीतरी अंतरघात ही मसला नहीं है, बल्कि जोधपुर के गौरव बल्लभ भी हैं जिन्हें कांग्रेस ने जमशेदपुर पूर्वी (Jamshedpur East) सीट से पार्टी उम्मीदवार बनाकर चुनावी दंगल में उतारा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और एक्सएलआरआई जमशेदपुर के प्रोफेसर गौरव बल्लभ झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास के खिलाफ इस बार ताल ठोक रहे हैं. उन्हें प्रत्याशी बनाने की मांग पार्टी के कई सीनियर नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से की थी. याद दिला दें, गौरव वही व्यक्ति हैं जिन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा से एक टीवी चैनल पर ‘ट्रिलियन में कितने जीरो’ वाला सवाल पूछा था. तभी से गौरव बल्लभ सुर्खियों में आए और अब रघुबर दास के सामने एक प्रतिद्धंद्धी बनकर खड़े हैं. हालांकि इस सीट पर गौरव का रसूख रघुबर दास और सरयू राय जितना नहीं है लेकिन एक नेशनल सेलिब्रेटी होने के नाते वे रघुबर दास का काम मुश्किल जरूर करेंगे.
गौरव बल्लभ राजस्थान के जोधपुर जिले के पीपाड़ गांव के रहने वाले हैं. उनकी स्कूली शिक्षा पाली जिले से हुई है. गौरव लंबे समय से कांग्रेस के प्रवक्ता के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं. गौरव का ये पहला विधानसभा चुनाव है और सामने 5 बार के विजेता और खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में गौरव के पास खोने के लिए कुछ नहीं लेकिन पाने के लिए सब कुछ है. वहीं रघुबर दास के पास केवल जीत का रिकॉर्ड है.
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सरयू राय से पुरानी अदावत भी रघुबर दास के अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. सरयू राय फिलहाल रघुवर दास की कैबिनेट में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री हैं लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास के मंत्रिमंडल में रहने के बावजूद सरयू राय उनका खुलकर विरोध करते रहे हैं. कई नीतिगत फैसलों पर उन्होंने सरकार की मुखालफत की. यहां तक कि विधानसभा में विपक्षी दलों के हो-हंगामे को आधार बनाकर उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया. झारखंड में पहली बार बतौर मुख्यमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले रघुबर दास को इस बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फ्री हैंड छोड़ा हुआ है, यही वजह है कि टिकट भी उनके इशारों पर बंट रहे हैं. ऐसे में रघुबर दास ने अपने करीबियों और सहयोगियों को तो टिकट दिला दिए लेकिन जो उनकी कुर्सी और मुख्यमंत्री के दावों पर खरा उतर सकते हैं, उन सभी के टिकट काट एक किराने कर दिए. सरयू राय भी इसी लिस्ट में शामिल हैं. लेकिन राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले सरयू राय यूं ही हार मानने वाले नहीं.
शायद इस स्थिति का उन्हें पहले से ही अंदेशा था इसलिए उन्होंने पहले से ही दो सीटों पर नामांकन पर्चे ले लिए. उन्होंने अपने निर्णय से भाजपा आलाकमान को भी अवगत करा दिया लेकिन न तो केंद्रीय नेतृत्व और न ही रघुबर दास ने उन्हें सीरियसली लिया. ऐसे में उन्होंने न केवल अपनी सेफ सीट से नामांकन दाखिल किया, वहीं रघुबर दास की परम्परागत सीट (Jamshedpur East) से भी पर्चा दाखिल कर उनकी जीत की राह में कांटे बिछा दिए. सरयू राय से संपर्क रखने वाले कार्यकर्ता और स्थानीय नेता भी रघुबर दास के खिलाफ हैं. गौरव बल्लभ भी अपनी पहली जीत के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा ने भी सरयू राय को समर्थन की मौन स्वीकृति दे दी है. राजद, जेडीयू, बसपा, आजसू और लोजपा के साथ अन्य स्थानीय पार्टियां भी मैदान में हैं. ऐसे में रघुबर दास चारों ओर से घिरे हुए हैं.
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रघुबर दास के साथ जो स्थितियां बनी हैं, उसी रास्ते पर कांग्रेस पूरे झारखंड को साधने की फिराक में है. कांग्रेस ने झामुमो से गठबंधन किया है. राजद इस गठजोड़ का तीसरा साथी है. पिछले चुनाव में झाविमो के 6 विधायक पार्टी में हथियाने के बाद भाजपा से उनकी अभी तक ठनी हुई है. रघुबर दास के ‘तानाशाह’ वाले रवैये से उनके खुद के विधायक और मंत्री भी परेशान हैं जो भीतरघात की संभावनाओं को प्रबल हैं. ऐसे में रघुबर दास के लिए जमशेदपुर पूर्वी (Jamshedpur East) सीट से जीत पाना और झारखंड की सत्ता में भाजपा को वापसी दिला पाना मुश्किल होता जा रहा है. अगर भाग्य का छीका टूट सीधे रघुबर दास के हाथों में गिर पड़े, वो बात अलग है.