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देश में मोदी लहर के इतर आंध्रप्रदेश में चमके जगन मोहन रेड्डी का नाम आज हर किसी की जुबान पर है. राजनीति में आते ही अपने पिता को एक हादसे में खो चुके जगन ने प्रदेश की जनता से सीधा जुड़ाव किया. यहां के 13 जिलों की 125 विधानसभा इलाकों में जगन ने 430 दिनों की ‘प्रजा संकल्प यात्रा’ यात्रा की, जिसमें उन्होंने प्रदेश की जनता का मन जीत लिया और उन्हें लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भारी विजय हासिल हुई. आज विधायक दल की बैठक में जगन मोहन रेड्डी को नेता चुना गया है. वे 30 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

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विधानसभा व लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी अब आंध्रप्रदेश में सरकार बनाने में जुटी है. पार्टी ने यहां टीडीपी को धराशायी करते हुए 151 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया है. वहीं लोकसभा की 25 सीटों में से 22 पर विजय होकर इतिहास रच दिया है. यहां एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी सिर्फ 3 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. शनिवार को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के विधायक दल की बैठक आयोजित हुई. जिसमें वाईएस जगन मोहन रेड्डी को विधायक दल का नेता चुना गया. वे 30 मई को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे.

विधायक दल की बैठक के बाद जगन मोहन रेड्डी हैदराबाद के लिए रवाना हो गए. जगन रेड्डी का शाम 4.30 बजे राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से मिलने का कार्यक्रम है. इस दौरान वे विधायक दल के प्रस्ताव को राज्यपाल को सौंपेंगे. रेड्डी 30 मई को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हैं. यह पहला मौका है जब किसी पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा आंध्रप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है. दूसरी ओर जगन मोहन रेड्डी के निवास के पास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. गौरतलब है कि गुरुवार को हुई मतगणना में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है.

बता दें कि साल 2009 में जगन मोहन रेड्डी के पिता आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की एक हेलिकॉप्टर हादमें में मौत हो गई थी. इसके बाद पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी जगन रेड्डी ने ली. जगन के पिता मौत के समय आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, लेकिन हादसे के बाद सीएम की कुर्सी खाली हो गई. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी की जगन मोहन रेड्डी सीएम बनना चाहते थे लेकिन कांग्रेस इससे असहमत थी.

बस इसी बात से नाराज जगन रेड्डी की कांग्रेस पार्टी से दूरियां बढ़ती गई और 29 नवंबर 2010 को उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने मार्च 2011 में अपनी खुद की नई पार्टी का गठन किया और नाम दिया वाईआरएस कांग्रेस. तब किसी ने सोचा होगा कि एक दिन ये पार्टी आंध्रप्रदेश की सत्ता में काबिज होने के साथ-साथ दिल्ली में अपने 22 सांसद पहुंचाएगी. लेकिन पार्टी अध्यक्ष वाई एस जगन मोहन रेड्डी की अथक मेहनत ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनी ही ली.

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