Politalks.News/Delhi. आगामी 14 सितम्बर से संसद का मानसून सत्र बुलाया जा रहा है. कोरोना काल और देश में लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए सदन की कार्यवाही केवल चार-चार घंटे के लिए आहूत होगी. सुबह लोकसभा और शाम को राज्यसभा. 18 बैठकों वाले इस मानसून सत्र को लेकर अभी से न केवल सियासत शुरु हो गई है, साथ ही शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, दिनेश त्रिवेदी और सांसद डेरेक ओ ब्रायन जैसे दिग्गजों ने सत्र पर केवल खानापूर्ति का आरोप भी लगाया है. शशि थरूर ने तो संसद को सरकार का नोटिस बोर्ड तक बता दिया और उनके बहुमत को रबर स्टांप. पूरा विपक्ष सत्ताधारी एनडीए सरकार के विरोध में खड़ा हो गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि सदन की शुरुआत हंगामेदार रहेगी.
तो क्या सच में संसद का मानसून सत्र खानापूर्ति के लिए बुलाया जा रहा है? अगर देखा जाए तो कुछ ऐसा ही होने जा रहा है. दरअसल कोरोना काल और देश में बढ़ते संक्रमण का देखते हुए राज्यसभा और लोकसभा में केवल चार-चार घंटे का सत्र लगाया जाएगा. सत्र के दौरान शनिवार और रविवार की छुट्टी नहीं होगी. इसके अलावा, सरकार ने सदन में ‘प्रश्नकाल’ की कार्यवाही की रद्द कर दिया है जबकि आम तौर पर सत्र की शुरुआत ही प्रश्नकाल से होती है जहां विपक्ष सत्ताधारी पक्ष से प्रश्न पूछता है लेकिन इस बार प्रश्नकाल को सत्र में जगह नहीं मिली है.
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इस पर सदन की कार्यवाही शुरु होने से पहले ही सियासत और विपक्ष के सांसदों की नाराजगी सामने आने लगी है. शशि थरूर, असदुद्दीन ओवैसी सहित अन्य सांसदों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए सरकार को घेरा है. कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने इस मसले पर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है?’
1/2 I said four months ago that strongmen leaders would use the excuse of the pandemic to stifle democracy&dissent. The notification for the delayed Parliament session blandly announces there will be no Question Hour. How can this be justified in the name of keeping us safe?
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
अपने अगले ट्वीट में कांग्रेस सांसद ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना एक ऑक्सीजन की तरह है. लेकिन ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टांप के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. जिस एक तरीके से अकाउंटबिलिटी तय हो रही थी, उसे भी किनारे किया जा रहा है.
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रश्नकाल न आहूत होने को लेकर सवाल उठाया है. ओवैसी ने बुधवार को एक साथ कई सारे ट्वीट किए और सवाल उठाया कि आखिर प्रश्नकाल हटाए जाने का फैसला केंद्र ने अकेले कैसे कर लिया? उन्होंने इसके साथ ही प्रश्नकाल कराए जाने को लेकर सुझाव भी रखे.
अपने ट्वीट में ओवैसी ने सरकार के तरीके पर सवाल उठाते हुए लिखा, ‘1962 के भारत-चीन युद्ध जैसे वक्त में भी प्रश्नकाल को ऑल पार्टी मीटिंग में लिए गए फैसले के बाद ही निलंबित किया गया था. लेकिन इस मामले में सरकार ने कोई मीटिंग नहीं रखी थी. जब स्टैंडिंग समितियों की बैठकें हो रही हैं और यहां तक कि देश में JEE-NEET की परीक्षाएं तक कराई जा रही हैं तो संसद के पहले एक ऑल पार्टी मीट क्यों नहीं बुलाई गई?’
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी इस मसले पर ट्वीट किया और लिखा कि ऐसा कैसे हो सकता है? स्पीकर से अपील है कि वो इस फैसले को दोबारा देखें. प्रश्नकाल संसद की सबसे बड़ी ताकत है.
टीएमसी के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. उन्होंने कहा कि हर सांसद का फर्ज है कि वो इसका विरोध करे, क्योंकि यही मंच है कि आप सरकार से सवाल पूछ सकें. अगर ऐसा हो रहा है तो क्या यही नया नॉर्मल है जो इतिहास में पहली बार हो रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये एक सामान्य सत्र है, कोई विशेष सत्र नहीं है जो इस तरह के फैसले हो रहे हैं. इसका मतलब ये हुआ कि आपके पास किसी सवाल का जवाब नहीं है. हम आम लोगों के लिए सवाल पूछ रहे हैं, ये लोकतंत्र के लिए खतरा है.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मसले पर ट्वीट किया कि कोर्ट में सवाल पूछना अवमानना है. संसद के बाहर सवाल पूछना देशद्रोह है और अब संसद में सवाल पूछना ही मना है.
Asking questions in Court is Contempt
Asking questions outside Parliament is Sedition
And now
Asking questions inside Parliament is Forbidden— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) September 2, 2020
टीएमसी के वरिष्ठ सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी इस मसले पर अपनी नाराजगी जताई. ब्रायन ने कहा कि सांसदों को 15 दिन पहले ही प्रश्न काल के लिए अपने प्रश्न सब्मिट करना आवश्यक है. जब संसद के समग्र कामकाजी घंटे समान हैं तो फिर प्रश्न काल को क्यों रद्द किया गया? तृणमूल सांसद ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना बनाया जा रहा है. जबकि 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद क्या सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो बैठे हैं.
MPs required to submit Qs for Question Hour in #Parliament 15 days in advance. Session starts 14 Sept. So Q Hour cancelled ? Oppn MPs lose right to Q govt. A first since 1950 ? Parliament overall working hours remain same so why cancel Q Hour?Pandemic excuse to murder democracy
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 2, 2020
बता दें, 14 सितंबर से शुरू होने वाला मानसून सत्र बिना कोई अवकाश 1 अक्टूबर तक चलेगा. संसद के दोनों सदनों की कुल 18 बैठकें होंगी. हर दिन के पहले चार घंटे राज्यसभा काम करेगी और अगले चार घंटे लोकसभा. सुबह 9 बजे से दोपहर एक बजे तक लोकसभा तो दोपहर तीन बजे से शाम 7 बजे तक राज्यसभा का सत्र चलेगा. शनिवार और रविवार को भी सत्र अनवरत रूप से चलेगा. 14 सितम्बर से लोकसभा का सत्र शुरु होगा जबकि 15 सितम्बर से राज्यसभा की कार्यवाही शुरु होगी.सत्र में प्रश्नकाल शामिल नहीं करने पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि 14 सितंबर से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान संसद में पूछे गए हर सवाल का जवाब दिया जाएगा. सरकार का कहना है कि हर दिन 160 अतारांकित सवालों का जवाब दिया जाएगा.