संसद के मानसून सत्र में ‘प्रश्नकाल रद्द’ कर मोदी सरकार ने पहले ही ‘कतर’ दिए विपक्ष के पर

मोदी सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला (बहाना) देते हुए मानसून सत्र से प्रश्नकाल को स्थगित करने का फैसला किया है, ऐसे ही शून्यकाल पर भी केंद्र सरकार ने 'चुप्पी साध रखी है', विपक्ष हुआ आग-बबूला, ऐसे में सत्र का होना न होना हुआ बराबर

संसद के मानसून सत्र में 'प्रश्नकाल रद्द'
संसद के मानसून सत्र में 'प्रश्नकाल रद्द'

Politalks.News/Delhi. पिछले कई दिनों से कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष मोदी सरकार पर हमले करने के लिए मानसून सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्ष के जैसे ‘बोलने पर ताला‘ ही लगा दिया है. जी हां, संसद के आगामी मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. कोरोना महामारी के इस दौर में पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों के बीच होने जा रहे इस सत्र में शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है. जब इस बात की जानकारी विपक्षी नेताओं को हुई तो वे केंद्र सरकार के इस फैसले पर आग बबूला हो गए हैं.

बता दें कि कोरोना महामारी के वजह से संसद का मानसून सत्र ‘कड़ी बंदिशों‘ के साथ 14 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक दोनों सदनों की कार्यवाही अलग-अलग पालियों में सुबह नौ बजे से एक बजे तक और तीन बजे से सात बजे तक चलेगी. शनिवार तथा रविवार को भी संसद की कार्यवाही जारी रहेगी. संसद सत्र का समापन एक अक्टूबर को प्रस्तावित है.

जब केंद्र ने संसद सत्र में प्रश्नकाल ही स्थगित कर दिया है तो विपक्ष के नेताओं के लिए संसद की कार्यवाही में भाग लेना ‘नाममात्र‘ का बनकर रह गया है. एक ओर विपक्ष मानसून सत्र के दौरान देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बर्बाद हो चुकी जीडीपी, युवाओं में बेरोजगारी को लेकर आक्रोश सहित ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर सरकार पर जबरदस्त धावा बोलने की तैयारी में था. लेकिन प्रश्नकाल को स्थगित करके सरकार ने एक तरह से साफ सन्देश दे दिया है कि ‘हम कुछ भी करें कोई हमसे सवाल न पूछे‘. सदन में होने वाले किसी भी सत्र को लेकर जितना इंतजार विपक्ष को रहता है उतना ही देश की जागरूक जनता को भी रहता है, लेकिन इस बार तो निराशा ही मिलने वाली है.

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अभी मानसून सत्र में लगभग 12 दिन का समय बचा है लेकिन अभी से ही सरकार और विपक्ष के बीच आर-पार की जंग तेज हो गई है. ऐसे में विपक्ष की ओर से कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसी को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हैं. हालांकि अभी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले में बयान नहीं आया है.

विपक्षी नेताओं ने कहा, मोदी सरकार महामारी का बहाना बनाकर ‘लोकतंत्र की हत्या’ कर रही है–

मानसून सत्र में प्रश्नकाल स्थगित किए जाने पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि ‘लोकतंत्र की हत्या‘ की जा रही है. तृणमूल पार्टी के सांसद ने आगे कहा कि 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद क्या सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो बैठे हैं. जब संसद के समग्र कामकाजी घंटे समान हैं तो फिर प्रश्न काल को क्यों रद्द किया गया. लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना बनाया जा रहा है.

केरल के कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने भी प्रश्नकाल रद्द किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. थरूर ने कहा कि मैंने 4 महीने पहले ही कहा था कि ‘मजबूत नेता कोरोना महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं ‘. शशि थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र में अगर विपक्ष सरकार से सवाल नहीं पूछ सकती तो उसका संसद की कार्यवाही में भाग लेने का कोई मतलब नहीं रह जाता है. थरूर ने कहा कि ऐसे मानसून सत्र से क्या फायदा, जिसमें ‘विपक्ष की आवाज पहले ही दबा दी जाए’. वहीं कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी प्रश्नकाल रद्द किए जाने पर ट्वीट किया कि, ऐसा कैसे हो सकता है. स्पीकर से अपील है कि वो इस फैसले को दोबारा देखें, प्रश्नकाल संसद की सबसे बड़ी ताकत है. इसके अलावा टीएमसी के राज्यसभा सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने भी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हर सांसद का फर्ज है कि वो इसका विरोध करे, क्योंकि यही मंच है कि आप सरकार से सवाल पूछ सकें. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मसले पर ट्वीट किया कि सवाल पूछना अवमानना है, संसद के बाहर सवाल पूछना देशद्रोह है और अब संसद में सवाल पूछना ही मना है.

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संसद की कार्यवाही के दौरान ‘प्रश्नकाल’ और ‘शून्यकाल’ क्या होते हैं-

अब आपको बताते हैं संसद की कार्यवाही के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल क्या होते हैं. प्रश्नकाल और शून्यकाल वो होते हैं जिसको विपक्ष केंद्र सरकार पर हमला करने के लिए अपना ‘मजबूत हथियार’ मानता आया है. संसद की कार्यवाही के दौरान प्रश्नकाल का समय 11 बजे से 12 बजे तक का नियत किया गया है. इसमें संसद सदस्यों और विपक्षी नेताओं की द्वारा किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रिपरिषद से प्रश्न पूछे जाते है.

प्रश्नकाल के समय विपक्ष के नेता सरकार से संबंधित मामले उठाते हैं और सार्वजनिक समस्याओं को ध्यान में लाया जाता है. जिससे सरकार वास्तविक स्थिति को जानने, जनता की शिकायतें दूर करने, प्रशासनिक त्रुटियों को दूर करने के लिए कार्रवाई कर सके. प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं. वहीं प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है, इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है. दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है. बता दें कि शून्यकाल का आरंभ 1960 व 1970 के दशकों में हुआ जब बिना पूर्व सूचना के अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय उठाने की प्रथा विकसित हुई. शून्यकाल के समय उठाने वाले प्रश्नों पर विपक्षी पार्टियों के नेता तुरंत कार्रवाई चाहते हैं.

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एक बार फिर आपको बता दें कि भाजपा की मोदी सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला (बहाना) देते हुए मानसून सत्र से प्रश्नकाल को स्थगित करने का फैसला किया है. ऐसे ही शून्यकाल पर भी केंद्र सरकार ने ‘चुप्पी साध रखी है’. साथ ही प्राइवेट मेंबर बिल के लिए किसी खास दिन का निर्धारण नहीं किया गया है. कुल मिलाकर विपक्ष के लिए इस सत्र का होना न होना अब बराबर है. गौरतलब है कि इस बार 14 सितंबर से शुरू हो रहे मानसून सत्र बिना कोई छुट्टी के लगातार एक अक्टूबर तक जारी रहेगा.

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