विपक्षी दलों की बैठक में गोपाल गांधी व फारुख अब्दुल्ला के नाम पर बनी सहमति, पवार ने फिर किया इंकार

राष्ट्रपति चुनाव के लिए गजट नोटिफिकेशन हुआ जारी, पहले दिन 11 उम्मीदवारों ने भरा अपना नामांकन, वहीं दिल्ली में हुई विपक्षी दलों की बैठक में एक आम उम्मीदवार के नाम पर हुई चर्चा जिसे सभी दलों का मिल सके समर्थन, वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मदीवार के नाम को लेकर की विपक्षी दलों के नेताओं से फ़ोन पर बात

राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष हुआ एकजुट
राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष हुआ एकजुट

Politalks.News/MeetingofOpposition/MamataBanerjee. ठीक एक महीने तीन दिन बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कवायद शुरू हो चुकी है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज से गजट अधिसूचना जारी हो चुकी है और इसके साथ ही करीब 11 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है. सूत्रों के अनुसार दाखिल किए गए 11 नामांकनों में से एक नामांकन अधूरे दस्तावेजों के कारण खारिज हो गया है. तो वहीं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष भी अब एकजुट होता दिखाई दे रहा है. कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आज देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे. TMC प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में आयोजित की गई इस बैठक में एक बार फिर NCP प्रमुख शरद पवार के नाम पर पूरा विपक्ष एकजुट हो गया. हालांकि शरद पवार लगातार राष्ट्रपति पद को ना कहते आए हैं लेकिन सियासी दलों ने आज उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. हालांकि शरद पवार की ना को देखते हुए विपक्षी दलों ने महात्मा गांधी के पोते गोपाल गांधी और फारुक अब्दुल्ला का नाम भी राष्ट्रपति पद के लिए प्रपोज किया है.

बुधवार को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की अहम् बैठक हुई. इस बैठक में TMC सहित 17 विपक्षी दलों कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआईएमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, RJD, एसपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, JD(S), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और JMM के नेता शामिल हुए. आपको बता दें कि इस बैठक में कांग्रेस की एंट्री की वजह से बीजेडी, टीआरएस और आम आदमी पार्टी ने दुरी बना ली, तो वहीं बैठक का न्योता न मिलने पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

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करीब 2 घंटे चली विपक्षी दलों की बैठक में शरद पवार के अलावा सभी नेताओं ने गोपाल गांधी और फारुक अब्दुल्ला का नाम भी राष्ट्रपति पद के लिए प्रपोज किया. विपक्षी दलों की इस बैठक में आम राय ये बनी कि पूरे विपक्ष का एक ही कैंडिडेट होगा. विपक्षी दलों की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि, ‘आज की बैठक में ज्यादातर विपक्षी दल चाहते हैं कि शरद पवार राष्ट्रपति उम्मीदवार बनें. अगर वह इसके लिए तैयार होंगे तो सभी दल उनका समर्थन करेंगे और अगर वह इसके लिए तैयार नहीं होते हैं तो उनकी अध्यक्षता में कैंडिडेट का चयन किया जाएगा.’

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने आगे कहा कि, ‘आज यहां कई पार्टियां थीं और हमने तय किया है कि हम केवल एक आम सहमति वाले उम्मीदवार को चुनेंगे. हर कोई इस उम्मीदवार को हमारा समर्थन देगा. हम दूसरों से सलाह मशविरा करेंगे. यह एक अच्छी शुरुआत है. हम कई महीनों के बाद एक साथ बैठे और हम इसे फिर से करेंगे.’ वहीं बैठक के बाद एक बार फिर NCP प्रमुख शरद पवार ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘मैं दिल्ली में हुई बैठक में भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम सुझाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की तहे दिल से सराहना करता हूं। हालांकि मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने अपनी उम्मीदवारी के प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया है। मैं आम आदमी की तरह ही जनता की भलाई के लिए अपनी सेवा जारी रखना चाहता हूं जिसमें मुझे ख़ुशी है.’ वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार सहित कई अन्य दलों के नेताओं से फ़ोन पर बात की है.

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ममता ने विपक्ष के 8 सीएम सहित 22 नेताओं को चिट्ठी लिखकर बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया था. खास बात यह है कि इस बैठक में कांग्रेस भी शामिल हुई. कांग्रेस की ओर से इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सुरजेवाला और जयराम रमेश शामिल हुए. आपको बता दें, राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज बुधवार को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चूका है. देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए अगले महीन की 18 जुलाई को मतदान होगा और 21 जुलाई को चुनाव का परिणाम सामने आएगा. संविधान के नियमों के अनुसार देश में मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले अगले राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है.

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