Politalks.News/UttarPradesh. पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद उर्फ कृष्णपाल सिंह को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की छात्रा से यौन संबंध बनाने और उसे अपनी कस्टडी में रखने के मामले में राजधानी लखनऊ की एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने सबूतों के अभाव में पूर्व मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को अश्लीलता, अश्लील वीडियो बनाने समेत तमाम आरोपों से बरी कर दिया है. इसके अलावा रंगदारी मांगने के मामले में पीड़िता और उसके साथी को भी बरी कर दिया गया है. रंगदारी मामले के सभी आरोपियों को कोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया है. दरअसल, रेप का आरोप लगाने वाली युवती और उसके साथियों पर चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने का आरोप लगा था.
फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाया. चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने कहा कि रेप मामले में चिन्मयानंद को कोर्ट ने बरी किया है, एमपी एमएलए कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी. दरअसल, 27 अगस्त 2019 को एलएलएम की एक छात्रा के पिता ने शाहजहांपुर के थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक पीड़िता एलएलएम कर रही थी और कॉलेज के हॉस्टल में ही रहती थी. FIR में आगे कहा गया कि 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद था और फेसबुक पर उसका एक वीडियो उसके पिता ने देखा जिसमें छात्रा स्वामी चिन्मयानंद और अन्य लोगों पर उसका और अन्य छात्राओं का शारीरिक शोषण करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगा रही थी.
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मामला दर्ज होने के बाद सितंबर 2019 में चिन्मयानंद की गिरफ्तारी हुई थी. जांच के क्रम में यह बात भी सामने निकलकर आई कि छात्रा और उसका एक दोस्त चिन्मयानंद को काफी समय से ब्लैकमेल कर रहे थे. इसके बाद चिन्मयानंद की शिकायत पर पुलिस ने छात्रा पर 5 करोड़ रुपए के लिए ब्लैकमेल करने की एफआईआर दर्ज की थी. यह मुकदमा अलग से चल रहा था, जिसमें पीड़िता और उसके साथी को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
आपको बता दें, पीड़िता के पिता की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया था कि उसकी पुत्री के साथ कोई अप्रिय घटना करके उसे गायब कर दिया गया है और जब पीड़िता के पिता ने स्वामी चिन्मयानंद से मोबाइल पर संपर्क किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. पीड़िता के पिता ने एफआईआर में दर्ज कराया कि पीड़िता के हॉस्टल के कमरे में ताला बंद था और उस कमरे में स्वामी चिन्मयानंद से संबंधित सबूत होने की बात कही.
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एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि आरोपी चिन्मयानंद व उसके साथी दबंग और गुंडा किस्म के लोग हैं जो सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. लिहाजा उस कमरे का वीडियो बनाकर मीडिया के सामने पुलिस लॉक करे. मामले की सुनवाई एमपी- एमएलए कोर्ट को सौंप दी गई. आपको यह भी बता दें कि सुनवाई के दौरान पीड़िता और गवाह गवाही से मुकर गए थे.