Rajendra Rathore on Gehlot Govt. चुनावी साल में प्रवेश करने जा रही गहलोत सरकार पर प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा का चहुंमुखी हमला जारी है. जन आक्रोश यात्राओं के बाद अब जन आक्रोश सभाओं के जरिए गहलोत सरकार की जन विरोधी नीतियों, बेरोजगारी, बिगड़ती कानून व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा नेताओं का हल्ला बोल जारी है. इसी कड़ी राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने पाली जिले के सोजत विधानसभा में एसडीएम कार्यालय के सामने जन आक्रोश यात्रा में हिस्सा लेकर कांग्रेस सरकार के शासन में लचर कानून व्यवस्था, बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात, किसान कर्जमाफी नहीं होने, कृषि कनेक्शन नहीं देने, महंगी बिजली, पेपर लीक प्रकरण, भ्रष्टाचार और बदहाल चिकित्सा व्यवस्था सहित विभिन्न जनविरोधी नीतियों को जनता के समक्ष उजागर किया.
दिग्गज भाजपा नेता और पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार ने अपने नीतिगत दस्तावेज जन-घोषणा पत्र में किसान कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता, महिला सुरक्षा, संविदाकर्मियों के नियमितिकरण, महंगाई नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठाने एवं प्रदेश के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने जैसे करीब 500 से ज्यादा लोक-लुभावने वादे किए थे जिसमें अधिकतर घोषणाएं आज 4 वर्ष पश्चात् भी अधूरी है. राठौड़ ने कहा कि 24 दिसंबर को वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का सामान्य ज्ञान ही नहीं बल्कि 21 से 23 दिसंबर के बीच हुए सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी का भी पेपर आउट होने के पुख्ता प्रमाण सामने आना सरकार और समूचे परीक्षा तंत्र पर सवालिया निशान है. राज्य में यह पहला मौका नहीं है बल्कि पिछले चार सालों में कोई भी भर्ती ऐसी नहीं हुई जिस पर उंगलियां न उठी हो. वनरक्षक, रीट,पटवारी, जेईएन, लाइब्रेरियन और कांस्टेबल जैसी दर्जनों भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होना इस तरह परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गई है.
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विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि REET परीक्षा पेपर लीक प्रकरण में 16.50 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया था. रीट पेपर लीक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डी.पी. जारोली तथा राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े 2 दर्जन से ज्यादा लोगों को कोर्डिनेटर व परीक्षा सहायक,पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी थी जिनके संरक्षण में ही शिक्षा संकुल स्थित स्ट्रॉंग रूम से पेपर चोरी हुआ और इस मामले में इससे जुड़े करीब 23 से ज्यादा लोगों गिरफ्तार किया गया. राठौड़ ने कहा कि REET पेपर लीक में सरकार के बड़े मंत्रियों व उच्चाधिकारियों की संलिप्तता सामने आई और सदन में 23 फरवरी को एंटी चीटिंग कानून – राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) विधेयक पारित किया गया था लेकिन दुर्भाग्य है कि इस कानून के तहत किसी भी आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई बल्कि डीपी जारोली व अन्य आरोपियों को क्लीन चिट तक दे डाली.
इसके साथ ही पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने आगे गहलोत पर हमला जारी रखते हुए कहा कि पाली जिले में लूट, हत्या, डकैती, चोरी और मारपीट जैसी घटनाएं कानून व्यवस्था की पोल खोल रही है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार दुष्कर्म के मामलों में राजस्थान देश में पहले पायदान पर है. वहीं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचारों में राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है. राठौड़ ने कहा कि पाली जिला ही नहीं समूचा राजस्थान आज राज्य सरकार के कुप्रबंधन व ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की अकर्मण्यता के कारण अंधकार में डूबा है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 7-8 घंटे व शहरी क्षेत्रों में 3-4 घंटे की कटौती हो रही है. राज्य में बिजली संकट का आलम यह है कि अब प्रदेश को उत्तरप्रदेश से 500 मेगावाट, छत्तीसगढ़ से 100 मेगावाट और कर्नाटक से 500 मेगावाट यानी करीब 1100 मेगावाट मंहगी दरों पर उधार लेनी पड़ रही है.
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वहीं आगे बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा जारी की गई किसानों की सुरक्षा चक्र फसल बीमा योजना का मुआवजा नहीं मिला जो प्रदेश के किसानों का हक है. प्रदेश के किसान कर्जमाफी का बाट जोह रहे हैं. वहीं जिन किसानों ने डिमांड नोटिस की राशि जमा करा रखी है उनके भी कृषि कनेक्शन लंबित है. राठौड़ ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अल्पकालीन ऋण लेने वाले प्रदेश के 16 लाख किसान कर्जमाफी नहीं होने से आज डिफॉल्टर हो गये हैं जो किसानों के साथ सरासर धोखा है. सरकार ने 1 लाख 35 हजार किसानों के खाते (NPA) कुर्क कर रोडा एक्ट 1974 की धारा 13 व 14 के प्रावधानों के अंतर्गत जमीन नीलामी के नोटिस दिये और 9 हजार किसानों की जमीनें भी नीलाम हो गई.
इसके साथ ही संविदाकर्मियों के नियमतिकरण का मुद्दा उठाते हुए राजेन्द्र राठौड़ ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने संविदा सेवा नियम – 2022 लागू करके प्रदेश के लाखों संविदाकर्मियों के साथ नियमितिकरण के नाम पर धोखा किया है. जब-जब संविदाकर्मी सरकार के खिलाफ सड़क पर आंदोलनरत रहे तब-तब सरकार ने समझौते के बाद भी उसकी अनुपालना नहीं की. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के 4 वर्ष होने पर सरकार को संविदा सेवा नियम – 2022 लेकर आई है उसमें विगत कई वर्षों से कार्यरत संविदाकर्मियों का अनुभव शून्य कर देना संविदाकर्मियों के साथ विश्वासघात है.