Politalks.News/Bharat/Corona. देशभर में कोरोना की दूसरी लहर का महाकहर जारी है. दिल्ली मुंबई जैसे बड़े महानगरों सहित देशभर के छोटे अस्पतालों की स्थिति हर दिन खराब होती जा रही है. डॉक्टर मरीजों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं. देश में पिछले चार दिनों से रोजाना 4 लाख से ज्यादा नए केस आ रहे हैं. ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोविड संकट को लेकर केंद्र की कड़ी आलोचना की है. आईएमए ने कहा कि वो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ‘सुस्ती‘ देखकर हैरान है. IMA ने अपने एक बयान में कहा कि, ‘कोविड महामारी की दूसरी वेव की वजह से पैदा हुए संकट से निपटने में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सुस्ती और अनुचित कार्रवाई देखकर हैरान हैं.’
देशभर में कोरोना वायरस के महाकोहराम के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक बार फिर से देश में कंप्लीट लॉकडाउन की मांग को दोहराया. आईएमए ने कहा कि देश में कोरोना के भयावह हालातों से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय सुस्त है. आईएमए के पूर्ण लॉकडाउन की मांग को केंद्र ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. आईएमए ने कहा देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने की जरूरत है.
#PMOIndia #NITIAayog #LargestVaccineDrive #IMAIndiaOrg IMA demands the health ministry wake up from its slumber and responds to mitigate the growing challenges of the pandemic. pic.twitter.com/7OxKgLhi9Q
— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) May 8, 2021
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अब ‘जाग जाना‘ चाहिए और कोविड-19 महामारी से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए. डॉक्टरों के संगठन ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए.
डॉक्टर्स के संयुक्त बयान में कहा गया कि, ‘आईएमए मांग करता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को निद्रा से जग जाना चाहिए और कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती जा रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए. कोविड-19 महामारी की दूसरी खौफनाक लहर के कारण पैदा संकट से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर आईएमए बिलकुल चकित है.’
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आपको बता दें, चिकित्सा क्षेत्र में भारत की सर्वोच्च संस्था आईएमए का कहना है कि कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर से निपटने के लिए एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को देशभर में पूर्ण लॉकडाउन का सुझाव दिया था, मगर उनके प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया गया. ऐसे में आईएमए स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्यशैली से आश्चर्यचकित हैं. आईएमए का आरोप है कि कोरोना से निपटने के लिए जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, उनका जमीन से कोई लेना देना नहीं है.
आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि वह पिछले 20 दिन से केंद्र सरकार से योजनाबद्ध तरीके से देशभर में पूर्णलॉकडाउन लगाने की मांग कर रही है, लेकिन उनके सुझावों पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. आईएमए ने कहा कि राज्यों द्वारा अलग-अलग लॉकडाउन लगाने से कुछ नहीं होगा. रात में कर्फ्यू लगाने को कोई फायदा नहीं. जब तक कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं लगाया जाए.
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ऑक्सीजन डिस्ट्रीब्यूशन में दिक्कत
आईएमए ने देशभर के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र पर हमला बोला है. आईएमए ने अपने बयान में कहा कि, “ऑक्सीजन का संकट हर दिन गहरा रहा है और इसकी सप्लाई न होने की वजह से कई लोग मर रहे हैं और डॉक्टरों और मरीजों में पैनिक हो रहा है.” आईएमए ने कहा कि ऑक्सीजन का प्रोडक्शन पर्याप्त है, दिक्कत उसके डिस्ट्रीब्यूशन में है.
‘हम असली मौतों की संख्या क्यों छुपा रहे?’
आईएमए ने केंद्र को आंकड़ों में पारदर्शिता रखने के लिए कहा है. अपने बयान में आईएमए ने कहा कि, “पहली लहर में हमने 756 डॉक्टर खो दिए हैं, जबकि इस दूसरी लहर में थोड़े समय में ही 146 डॉक्टरों की मौत हो गई है. वहीं अस्पतालों में सैंकड़ों मौतों को गैर-कोविड मौतें बताया जा रहा है.”
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इन सबके साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र की मोदी सरकार से अनुरोध किया कि देशभर के चिकित्सकों को सुविधा और समय दिया जाए, ताकि वह इस महामारी से ठीक तरीके से निपट सकें. अगर केंद्र सरकार ने उनकी सलाह मानकर पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया होता तो रोज 4 लाख मामले देखने को नहीं मिलते. बता दें कि पिछले चार दिनों से लगातार देश में चार लाख से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं.