कांग्रेस शाषित राज्यों के सफाए के आंकड़े गिनाते-गिनाते पीएम मोदी भाजपा के ये रिकॉर्ड कैसे भूल गए?

सियासी गलियारों में प्रधानमंत्री मोदी के संसद में दिए भाषण की चहुंओर चर्चा, पीएम ने कांग्रेस को जमकर सुनाई खरी-खोटी, कांग्रेस की राज्यों में हार के चुन-चुनकर गिनाए आंकड़े, लेकिन भाजपा के इस रिकॉर्ड की ओर पीएम ने नहीं दिया ध्यान, कई राज्यों में तो भाजपा ने आजादी के बाद से अब तक भी नही खोला है खाता

भाजपा के ये रिकॉर्ड कैसे भूल गए पीएम मोदी?
भाजपा के ये रिकॉर्ड कैसे भूल गए पीएम मोदी?

Politalks.News/PMModiSpeech. राष्ट्रपति के अभिभाषण (president abhibhashan) की बहस से जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीते सोमवार को लोकसभा में कांग्रेस (Congress) को खूब खरी-खोटी सुनाई. पीएम मोदी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कई बातें कहीं, जिनमें से एक दिलचस्प बात यह थी कि पीएम ने इस दौरान उन राज्यों के बारे में बताया, जहां कांग्रेस पिछले 30-40 साल से नहीं जीती है. पीएम मोदी ने एक के बाद एक आंकड़ों के साथ गिन-गिन कर राज्य बताए. सियासी गलियारों में चर्चा है कि, यह सही है कि अनेक राज्यों में कांग्रेस तीन-चार दशक से हार रही है लेकिन देश के अनेक राज्य ऐसे हैं, जहां आजादी के बाद से ही आज तक वहां के नागरिकों ने भारतीय जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी को एक बार भी नहीं चुना है.

पीएम मोदी के भाषण के बाद अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर कांग्रेस पार्टी को उसकी खराब नीतियों के कारण कई राज्यों में लोग लंबे समय से नहीं चुन रहे हैं तो भाजपा को किस वजह से कई राज्यों ने कभी नहीं चुना? क्या इस आधार पर भाजपा की नीतियों की आलोचना हो सकती है कि अनेक राज्यों ने उसे कभी नहीं चुना? प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि, ‘नगालैंड में 24 साल पहले लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया था. पश्चिम बंगाल में 1972 के बाद कांग्रेस को कभी नहीं चुना. बिहार-उत्तर प्रदेश में कांग्रेस आखिरी बार 1985 में जीती थी. इसी तरह के आंकड़े प्रधानंमत्री ने त्रिपुरा और ओड़िशा के भी दिए. गोवा के बारे में उन्होंने कहा कि, ‘वहां 28 साल पहले कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ जीती थी. वैसे आपको यह भी बता दें कि, गोवा में पिछले चुनाव में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन भाजपा ने उसकी सरकार नहीं बनने दी.

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अब बात कि जाए भाजपा की तो इस मामले में बीजेपी का रिकॉर्ड कांग्रेस से भी चौंकाने वाला है. आजादी के बाद पिछले 75 साल में तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश जैसे बड़े और दक्षिण भारत के राज्यों में भाजपा को नामो निशान भी देखने को नहीं मिलता. छोटे राज्य पुड्डुचेरी ने कभी भी भाजपा बहुमत के साथ नहीं जीती. कर्नाटक में भाजपा आजादी के 61 साल बाद पहली बार सत्ता में आई लेकिन वह भी पूर्ण बहुमत से नहीं. नए बने राज्य तेलंगाना ने अभी तक भाजपा को नहीं चुना है. आजादी के बाद 75 साल में पश्चिम बंगाल ने जनसंघ या भाजपा को नहीं चुना और बिहार में भी अभी तक वहां के लोगों ने एक बार भी भाजपा को नहीं चुना है. पिछले करीब तीन दशक में भाजपा सिर्फ एक बार बिहार में अकेले लड़ी है और बुरी तरह से हारी थी. यहां भाजपा JDU के सहारे अपनी नैया को आगे बढ़ा रही है.

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बात करें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तो इस महत्वपूर्ण राज्य में भाजपा पहली और आखिरी बार 1993 में जीती थी और उसके बाद पिछले 29 साल में दिल्ली के लोगों ने फिर कभी भाजपा को नहीं चुना. पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में से असम और त्रिपुरा सिर्फ दो ही राज्य हैं, जहां भाजपा जीती और वह भी आजादी के छह दशक के बाद. अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी भाजपा ने सरकार बनाई लेकिन वह कांग्रेस के पुराने नेताओं की बैसाखी के सहारे बनी सरकार है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि देश के आधे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भाजपा कभी नहीं जीती फिर भी प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस को रोशनी दिखा रहे थे कि वह अपनी गलत नीतियों के कारण किन-किन राज्यों में लंबे समय से नहीं जीत रही है.

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